जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला पर लोगों को देश के ख़िलाफ़ लामबंद करने और घाटी में सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों के मद्देनज़र फारुक अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ़्तार किया गया है।
दरअसल, फारुक अब्दुल्ला पर आरोप है कि वो अपने भाषणों के ज़रिए अलगाववादी नेताओं और आतंकवादियों का महिमा मंडन कर रहे थे। इसके अलावा उन पर आरोप है कि वो अनुच्छेद-370 और 35-A के नाम पर लोगों को देश के ख़िलाफ़ भड़का सकते थे, इससे देश की एकता-अखंडता ख़तरे में पड़ सकती थी। उनकी विचारधारा अलगाववाद और आतंकवाद को समर्थन देने की थी, जिससे आम लोगों का जीवन ख़तरे में पड़ सकता था। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने वाले अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय किए जाने के बाद से ही फारुक अब्दुल्ला गुपकार रोड स्थित अपने घर में नज़रबंद हैं।
ख़बर के अनुसार, फारुक के ख़िलाफ़ की गई PSA की कार्रवाई में साल 2016 से अब तक सात ऐसे मौक़ों का हवाला दिया गया है, जिनमें उन्होंने अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स और आतंकी समूहों के पक्ष में भाषण दिए। फारुक अब्दुल्ला के बारे में बता दें कि वो ऐसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनकी गिरफ़्तारी PSA के तहत की गई और उनके घर को जेल घोषित किया गया।
PSA आदेश के अनुसार, फारुक के पास श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने की ‘ज़बरदस्त क्षमता’ है। अव्यवस्था पैदा करने की इस ज़बरदस्त क्षमता को देश के ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने की कार्रवाई से जोड़ कर देखा जाता है। इसके अलावा फारुक पर राज्य प्रशासन द्वारा क़ानून के विरोध में बयान जारी करने का भी आरोप लगाया गया है, जिसका मक़सद सार्वजनिक तौर पर अव्यवस्था फैलाना था।
ग़ौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेन्स के चेयरमैन हैं, और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। PSA के प्रावधानों के अनुरूप उन्हें छ: महीने तक जेल में रखा जा सकता है।