असम में लगभग 48000 घुसपैठियों की पहचान की गई है। इन घुसपैठियों की पहचान बीते लगभग साढ़े चार दशक में की गई है। राज्य में घुसपैठियों के संबंध में यह जानकारी असम सरकार ने दी है। यह जानकारी असम विधानसभा में दी गई है।
असम विधानसभा में सरकार ने घुसपैठियों पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि राज्य में 1971 से लेकर 2014 के बीच 47,928 घुसपैठियों की पहचान की गई है। इन लोगों को राज्य के फॉरेन ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया है। असम विधानसभा में मुख्यमंत्री और गृहमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि इन 47,928 विदेशी लोगों में से 27,309 मुस्लिम हैं जबकि 20613 हिन्दू हैं। यानी कुल घुसपैठियों में 56% मुस्लिम हैं।
राज्य विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, 27,309 मुस्लिम घुसपैठियों में से सबसे अधिक 4182 जोरहाट जिले में जबकि 3897 मुस्लिम गुवाहाटी शहर में पहचाने गए हैं। डिब्रूगढ़ में 2782 लोगों को मुस्लिम घुसपैठिया बताया गया है। इसके अलावा होजाई, सिवासनगर, नगांव और कछार में भी 2000 से अधिक मुस्लिम घुसपैठियों की पहचान हुई है। इसके अलावा भी असम के कई जिलों में मुस्लिम घुसपैठियों को पहचाना गया है। वहीं बाहर से आने वाले सबसे अधिक हिन्दुओं की सँख्या कछार, गुवाहाटी और लखीमपुर जैसे जिलों में हैं।
वर्ष 1971 से घुसपैठियों की पहचान किए जाने के पीछे वर्ष 1985 में राजीव गाँधी की सरकार के दौरान किया गया असम एकॉर्ड है। इस समझौते को असम के छात्र नेता प्रफुल्ल कुमार महंत और भारत सरकार के बीच किया था। इस समझौते के अनुसार, उन लोगों को घुसपैठिया माना जाएगा जो अवैध रूप से राज्य में वर्ष 1971 में घुसे हैं। यह समझौता असम में घुसपैठ को लेकर हुए छात्र आन्दोलन के बाद किया गया था।
असम में बांग्लादेश के रास्ते होने वाली घुसपैठ बड़ा मुद्दा रही है। इसी को लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी बताया था कि राज्य की 72% जनसंख्या असमिया भाषी है जबकि 28% बांग्ला बोलते हैं। असम सरकार ने प्रदेश में बाहरी घुसपैठ और असम की संस्कृति को बचाने को लेकर आश्वासन भी दिया है।