पूर्वोत्तर के सबसे अहम राज्य असम में स्थाई शांति स्थापित करने में जुटी मोदी सरकार को बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। असम में विद्रोह का झंडा उठाए उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) का केंद्र सरकार और असम की राज्य सरकार के साथ समझौता हो गया है। इसी के साथ उल्फा के 750 कैडर ने हथियार डाल दिए हैं। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि अब असम के 85 प्रतिशत हिस्से से अफस्पा कानून को हटा दिया गया है।
असम में उल्फा और केंद्र सरकार के बीच समझौता
शुक्रवार (29 दिसंबर 2023) को नई दिल्ली में केंद्र सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ। इस समझौते के तहत उल्फा ने अपने सभी हथियार और गोला-बारूद सरकार को सौंप दिए। उल्फा के 750 कैडर ने भी हथियार डाल दिए। अब तक उल्फा के 9000 से अधिक कैडर हथियार डाल चुके हैं। इस समझौते के साथ असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कही ये बात
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि आज (29 दिसंबर 2023) असम के लिए एक सुनहरा दिन है, जब लंबे समय से हिंसा का दंश झेल रहे नॉर्थ ईस्ट और असम में शांति स्थापित होने जा रही है। उन्होंने कहा कि 2014 में पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट के बीच की दूरी कम करने के प्रयास हुए और खुले मन से सबके साथ बातचीत की शुरुआत हुई।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उग्रवाद, हिंसा और विवाद-मुक्त नॉर्थ ईस्ट की परिकल्पना लेकर गृह मंत्रालय ने काम किया। उन्होंने कहा कि पूरे नॉर्थ ईस्ट में पिछले 5 वर्षों में विभिन्न राज्यों के साथ शांति और सीमा संबंधित 9 समझौते हुए हैं, जिनके कारण आज नॉर्थ ईस्ट के बड़े हिस्से में शांति की स्थापना हुई है।
In presence of Union Home Minister @AmitShah, a Memorandum of Settlement signed between Government of India, Government of Assam and representatives of United Liberation Front of Assam (ULFA), in New Delhi
— PIB India (@PIB_India) December 29, 2023
In last 5 years, 9 peace and border related agreements have been signed… pic.twitter.com/CnrJ3J2jWG
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज तक 9,000 से अधिक कैडर ने सरेंडर किया है और असम के 85 प्रतिशत हिस्से से AFSPA को हटा लिया गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच हो रहे त्रिपक्षीय समझौते से पूरे असम के सभी हिंसक गुटों को समाप्त करने में मोदी सरकार को सफलता मिली है। यह समझौता असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट में शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इस के समझौते के तहत, उल्फा प्रतिनिधियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने, सभी हथियार डालने और अपने सशस्त्र संगठन को खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा उल्फा अपने सशस्त्र कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने, कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने और देश की अखंडता को बनाए रखने पर भी सहमत हुआ है।
अकेले असम में 8200 से ज्यादा कैडर कर चुके हैं आत्मसमर्पण
अमित शाह ने कहा कि उल्फा संघर्ष में दोनों पक्षों के लगभग 10 हज़ार लोग मारे गए, जो इस देश के ही नागरिक थे, लेकिन आज इस समस्या का संपूर्ण समाधान हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने एक बहुत बड़े पैकेज और असम के विकास के प्रोजेक्ट्स को भी सहमति दी है। मोदी सरकार समझौते की हर बात पर पूरी तरह अमल करेगी और इस पर खरी उतरेगी।
शाह ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद असम में हिंसक घटनाओं में 87 प्रतिशत, मृत्यु में 90 प्रतिशत, अपहरण में 84 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही सिर्फ असम में अब तक 7500 कैडर ने सरेंडर किया है, जिसमें आज 750 और जुड़ जाएँगे। इस प्रकार अकेले असम में में 8200 से अधिक कैडर द्वारा आत्मसमर्पण किया जाना असम के लिए शांति के नए युग का सूत्रपात है।
HISTORIC DAY: ULFA PEACE ACCORD 🙌
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 29, 2023
Guided by the sterling vision and blessings of Hon’ble PM Shri @narendramodi ji efforts for lasting peace & progress in Assam received a historic impetus today. The Memorandum of Settlement, signed under the guidance of Hon’ble HM Shri… pic.twitter.com/FhKZS3pDWO
पीएम मोदी के विजन की वजह से संभव हुए कई समझौते
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने 2019 में एनएलएफटी, 2020 में ब्रू, बोड़ो, 2021 में कार्बी, 2022 में आदिवासी समझौता, असम-मेघालय सीमा समझौता, 2023 में असम-अरूणाचल सीमा समझौता और यूएनएलएफ और अब उल्फा के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि आज इस समझौते के साथ ही पूरे नॉर्थ ईस्ट और विशेषकर असम के लिए शांति के नए युग की शुरूआत होने जा रही है।
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय उल्फा की माँगों को पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाएगा और इसकी मॉनीटरिंग के लिए एक समिति भी बनाई जाएगी, जो असम सरकार के साथ मिलकर समझौते को पूरा करने का प्रयास करेगी। गृहमंत्री शाह ने कहा कि 2019 के बाद हुए सभी समझौतों में मोदी सरकार समय से आगे है और समय से पहले ही सभी शर्तों को पूरा करने का प्रयास किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के उग्रवाद-मुक्त नॉर्थ ईस्ट के ब्रॉडर विज़न के बिना ये संभव नहीं था।