देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) की हेलिकॉप्टर क्रैश मामले की जाँच रिपोर्ट बुधवार (5 जनवरी 2022) को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) को सौंप दी गई। पिछले महीने हुए इस हादसे में सीडीएस जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत कुल 14 सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई थी। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी जीवन-मौत से जूझते हुए एक हफ्ते बाद दुनिया से विदा हो गए थे।
IAF is giving detailed presentation to Defence Minister Rajnath Singh on the CDS chopper crash inquiry report. The tri-services probe report has given its findings on reasons behind the crash & made recommendations for the future chopper operations for flying VIPs: Govt Sources
— ANI (@ANI) January 5, 2022
हादसे की जाँच के लिए त्रि-सेवा कमिटी के प्रमुख एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने वायुसेना प्रमुख विवेक राम (वीआर) चौधरी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से करीब 45 मिनट तक मुलाकात की। इस दौरान रक्षा सचिव भी मौजूद रहे। चीफ एयर चीफ मार्शल ने रक्षामंत्री को यह रिपोर्ट सौंपी। इस त्रिस्तरीय जाँच रिपोर्ट में भविष्य में VIPs के हेलिकॉप्टर संचालन के लिए कुछ सिफारिशें भी की गई हैं। बता दें कि हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए तीनों सेनाओं के अधिकारियों की जाँच समिति बनाई गई थी, जो कि अब पूरी हो चुकी है।
जाँच टीम ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को विस्तार से जानकारी दी और बताया कि आखिर किन हालात में ये हादसा हुआ था। इस पर फिलहाल आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि भारतीय वायु सेना का Mi-17V5 हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी त्रुटि के कारण हादसे का शिकार नहीं हुआ था। इसमें बताया गया कि जब विमान पहाड़ियों से गुजरते समय एक रेलवे लाइन के पास उड़ रहा था, तभी अचानक घने बादल में घुस गया। बताया गया कि हेलिकॉप्टर कम ऊँचाई पर उड़ रहा था। बावजूद इसके चालक दल ने विमान उतारने का फैसला नहीं किया। ऐसे में विमान एक चट्टान से टकरा गया।
बताया जा रहा है कि चूँकि पूरा चालक दल ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी का था, तो ऐसा लगता है कि उन्हें भरोसा था कि वे स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे, क्योंकि आपात स्थिति का सुझाव देने के लिए ग्राउंड स्टेशनों पर कोई कॉल नहीं किया गया। जानकारी के मुताबिक, तीन बलों के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी दी जाती है। इन पायलटों को कम दृश्यता में भी विमान उड़ाने और उतारने में महारत हासिल होती है।
इसके अलावा, जाँच समिति द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि भविष्य में चालक दल में मास्टर ग्रीन और अन्य श्रेणी के पायलट होने चाहिए, ताकि यदि आवश्यक हो तो वे जमीन पर स्टेशन से मदद ले सकें। एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली जाँच समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।
उल्लेखनीय है कि 8 दिसंबर को हुए हादसे में जनरल रावत समेत 14 सैन्य अधिकारियों की मृत्यु हो गई थी। मृतकों में रावत के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी शामिल थे।