लगभग दो साल पहले लद्दाख के गलवान घाटी (Galwan Valley, Laddakh) में चीनी सैनिकों (Chinese Troop) की दुस्साहस के लगभग दो साल बीत चुके हैं। उस दौरान भारतीय सीमा में जबरदस्ती घुस रहे चीनियों को भारतीय सैनिकों ने खदेड़ दिया था, जिसमें कई चीनियों के मारे जाने की बात भी सामने आई थी।
इस दौरान की एक शर्मनाक करतूत सामने आई है। चीन ने अपने घायल सैनिकों की इलाज के लिए भारतीय सेना के 30 वर्षीय मेडिकल सैनिक ‘डॉक्टर’ दीपक सिंह (Dr. Deepak Singh) का अपहरण कर लिया था। उनसे अपने सैनिकों का इलाज कराया और काम हो जाने के बाद हत्या कर दी थी। मेडिकल सैनिक उनको कहते हैं, जिन्हें सेना में चिकित्सकीय कार्यों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इन्हें डॉक्टर कहा जाता है, हालाँकि इनके पास MBBS की डिग्री नहीं होती है।
In Galwan, Army medic Naik Deepak Singh, 30, who treated & saved the lives of wounded Chinese soldiers, was abducted by the PLA to treat more of them & then killed: new first-hand details of the 2020 clash in Ladakh.
— Shiv Aroor (@ShivAroor) August 10, 2022
Front page piece on #IndiasMostFearless 3 in @HindustanTimes. pic.twitter.com/BtYZzFiRMm
पत्रकार शिव अरूर और राहुल सिंह द्वारा लिखी गई किताब ‘इंडियाज मोस्ट फियरलेस 3: न्यू मिलिट्री स्टोरीज ऑफ अनइमैजिनेबल करेज ऐंड सेक्रिफाइस’ में चीन की इस शर्मनाक करतूत का खुलासा किया गया है। किताब में अधिकारियों के हवाले से बताया है कि साल 2020 की उस रात को क्या-क्या हुआ था।
15 जून 2020 की रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में एक कर्नल समेत भारतीय सेना के 20 जवान बलिदान हो गए थे। वहीं, कई सप्ताह बाद चीन ने स्वीकार किया था कि उसके भी 4 सैनिक मारे गए। हालाँकि, इस इस संख्या को लेकर चीन की हर तरफ आलोचना हुई थी और तथ्यों को छुपाने की भी आरोप लगा था।
किताब में बताया गया है कि डॉक्टर दीपक सिंह जख्मी चीनी सैनिकों का इलाज कर रहे थे, तभी ऊपर पहाड़ से एक चट्टान उनके ठीक बगल में गिरा। उसका एक टुकड़ा उनके ललाट पर लगा और वह गिर गए। तब एक इंडियन मेजर ने गुस्से में चीनियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वे उस डॉक्टर को निशाना बना रहे हैं, जो PLA के जख्मी जवानों का इलाज कर रहा है।
घायल होने के बावजूद दीपक सिंह ने घायल सैनिकों का इलाज करना बंद नहीं किया। उसी दौरान चीनी सैनिकों ने उन्हें बंधक बना लिया। चीनियों ने अपहरण करके अपने बाकी घायल सैनिकों का इलाज करवाया। जब चीनियों का इलाज हो गया तो उन्होंने डॉक्टर दीपक की हत्या कर दी।
करीब 30 से ज्यादा भारतीय सैनिकों की जान बचाने के लिए उन्हें मरणोपरांत युद्धकाल के दूसरे सर्वोच्च सम्मान ‘वीर चक्र’ से 26 जनवरी 2021 को सम्मानित किया गया था। वहीं, उनकी पत्नी रेखा ने मई 2022 में चेन्नै स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी को जॉइन किया है। वह 2023 में बतौर लेफ्टिनेंट इंडियन आर्मी का हिस्सा बनेंगी। वह जीवन में एक बार गलवान जरूर जाना चाहती हैं।
भारतीय सेना के कर्नल रविकांत के हवाले से किताब में कहा गया है, “दीपक ने कितने भारतीय सैनिकों को बचाया इसका हमारे पास आँकड़ा है, लेकिन उन्होंने उस रात चीन के कितने सैनिकों की जान बचाई इसका आँकड़ा नहीं है। हम इतना जरूर कह सकते हैं कि उस रात कई जख्मी चीनी सैनिक जिंदा रह पाए तो ये नायक दीपक सिंह की मेहरबानी थी।”
कर्नल रविकांत ने आगे कहा, “उन्हें (चीनी सैनिकों को) उनकी ही सेना ने उनके हाल पर छोड़ दिया था, लेकिन नायक दीपक सिंह ने उनके जख्मों का इलाज किया। हमें देश की रक्षा के लिए जान लेने की ट्रेनिंग मिली हुई है, लेकिन जिंदगी बचाने से बड़ा आखिर क्या हो सकता है?” कर्नल रविकांत उस दौरान 16 बिहार बटालियन के सेकंड-इन-कमांड थे। कर्नल बी. संतोष बाबू के सर्वोच्च बलिदान के बाद उन्होंने चीनी सेना के साथ झड़प में शामिल बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी सँभाली था।
किताब में कहा गया है कि उस रात झड़प के दौरान करीब 400 भारतीय सैनिक थे, जबकि चीन की तरफ से इसके करीब तीन गुना। झड़प के बाद PLA में भगदड़ मच गई थी। हवलदार धर्मवीर के हवाले से किताब में बताया गया है, “जब हम 16 जून की सुबह इलाके में इकट्ठे हुए तब आसपास कई चीनी सैनिकों की लाशें पड़ी हुई थीं। हमें आदेश था कि हम चीनियों के शवों को न छुए, क्योंकि PLA बाद में अपने मारे गए सैनिकों की लाशें ले जाती।”