लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर गतिरोध बरकरार है। चीन ने एक बार फिर एलएसी के मसले पर नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। लेकिन भारत ने पलटवार करते हुए चीन से सख्त अंदाज में कह दिया है कि बार-बार भटकाने की मंशा सफल नहीं होगी।
We’ve seen report quoting a Chinese Foreign Ministry statement on China’s position on Line of Actual Control (LAC) in India-China border areas. India never accepted the so-called unilaterally defined 1959 LAC. The position has been consistent,well known; including to Chinese: MEA pic.twitter.com/LiualUyfmA
— ANI (@ANI) September 29, 2020
दरअसल, चीन एक बार फिर एलएसी को तय करने में 1959 के एकतरफा समझौते का हवाला दे रहा है, लेकिन भारत ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार (सितंबर 29, 2020) को भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर कहा, “हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की स्थिति पर चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के हवाले से एक रिपोर्ट देखी है। भारत ने तथाकथित एकतरफा परिभाषित 1959 एलएसी को कभी स्वीकार नहीं किया। स्थिति आज भी वही, यह अच्छी तरह से सबको पता है, चीन के लोगों को भी।”
विदेश मंत्रालय की तरफ कहा गया है, “1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मकसद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और यथास्थिति बनाए रखना था। 1996 में सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों (सीबीएम) पर समझौते, सीबीएम के कार्यान्वयन पर प्रोटोकॉल सहित विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के तहत 2005 भारत-चीन सीमा प्रश्न के निपटारे के लिए राजनीतिक पैरामीटर और मार्गदर्शक सिद्धांत पर समझौता, भारत और चीन दोनों ने एलएसी के संरेखण की एक आम समझ तक पहुँचने के लिए एलएसी के स्पष्टीकरण और पुष्टि के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
The two sides had engaged in an exercise to clarify & confirm the LAC up to 2003, but the process couldn’t proceed further as Chinese didn’t show willingness. Therefore, the Chinese insistence now that there is only one LAC is contrary to solemn commitments made by them: MEA https://t.co/N6ux8NdSEG
— ANI (@ANI) September 29, 2020
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, “दोनों पक्ष 2003 तक एलएसी को स्पष्ट करने और पुष्टि करने की कवायद में लगे थे, लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि चीन ने इच्छा नहीं दिखाई। इसलिए, अब चीन इस बात पर अड़ा है कि केवल एक एलएसी उनके द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के विपरीत है। हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष पूरी ईमानदारी और विश्वासपूर्वक सभी समझौतों और समझ का पालन करेगा और एलएसी की एकतरफा व्याख्या को आगे बढ़ाने से बचना चाहिए।”
… 2005 Agreement on Political Parameters &Guiding Principles for settlement of the India-China Boundary Question, both India and China have committed to clarification and confirmation of the LAC to reach a common understanding of the alignment of the LAC: MEA 2/2
— ANI (@ANI) September 29, 2020
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कभी भी 1959 में चीन की ओर से एलएसी की एकतरफा दी गई परिभाषा को स्वीकार नहीं किया। 1993, 1996 और 2005 में चीन के साथ दो पक्षीय बातचीत में सहमति बनी थी कि एलएससी पर दोनों देशों के बीच जिन बिंदुओं पर गतिरोध है उसे बातचीत के रास्ते सुलझाते रहेंगे और किसी तरह की एकतरफा कार्रवाई से बचेंगे। भारत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में चीन का इस तरह का बयान आपत्तिजनक है और दोनों देशों के बीच आपसी सहमति का घोर उल्लंघन भी है।
बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि भारत ने लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना अवैध तरीके से की है। वे इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। हम 7 नवंबर 1959 को बताई गई सीमा को एलएसी मानते हैं।