Friday, April 26, 2024
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सत्ता में थे राजीव गाँधी और फारूक अब्दुल्ला, छोड़ दिए पाकिस्तान प्रशिक्षित 70 आतंकी: पूर्व DGP ने बताया, कैसे इस्लामी आतंक को मिला बढ़ावा

पूर्व डीजीपी ने जिन आतंकियों के नामों का उल्लेख किया है, उनमें त्रेहगाम का मोहम्मद अफजल शेख, रफीक अहमद अहंगर, मोहम्मद अयूब नजर, फारूक अहमद गनी, गुलाम मोहम्मद गुजरी, फारूक अहमद मलिक, नजीर अहमद शेख और गुलाम मोही-उद-दीन तेली शामिल हैं।

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ में 1990 के इस्लामिक जिहाद और कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार एवं पलायन को दिखाया गया है। यह फिल्म आजकल काफी चर्चा में है। इस फिल्म के कंटेंट पर जारी विवाद के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) शेष पॉल वैद ने गुरुवार (17 मार्च 2022) को बड़ा खुलासा किया। वैद ने देश में आतंकवाद के पनपने के लिए 1989 में केंद्र में रही कॉन्ग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

एसपी वैद ने ट्विटर के जरिए कहा कि शायद बहुत ही कम लोगों को ये पता होगा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) द्वारा प्रशिक्षित 70 आतंकियों के पहले जत्थे को गिरफ्तार कर लिया था। पूर्व पुलिस अधिकारी ने सनसनीखेज खुलासे में कहा कि फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार के राजनीतिक फैसले के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा था। बाद में इन आतंकियों ने राज्य में कई आतंकी संगठनों का नेतृत्व किया।

राज्य के पूर्व डीजीपी शेष पॉल वैद ने उन आतंकवादियों के नामों का भी खुलासा किया, जिन्हें फारूक अब्दुल्ला सरकार ने छोड़ दिया था। बाद में इन्हीं आतंकियों ने घाटी में कई सारी आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला 1987 से 1990 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। उसी दौरान घाटी में इस्लामिक जिहादियों ने हिंदुओं का नरसंहार किया था।

इसके अलावा उस दौरान केंद्र में राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार पर उंगली उठाते हुए पूर्व डीजीपी ने सवाल किया, “क्या यह 1989 की केंद्र सरकार की जानकारी के बिना संभव था?”

पूर्व डीजीपी ने जिन आतंकियों के नामों का उल्लेख किया है, उनमें त्रेहगाम का मोहम्मद अफजल शेख, रफीक अहमद अहंगर, मोहम्मद अयूब नजर, फारूक अहमद गनी, गुलाम मोहम्मद गुजरी, फारूक अहमद मलिक, नजीर अहमद शेख और गुलाम मोही-उद-दीन तेली शामिल हैं।

बता दें कि साल था 1989 में जुलाई और दिसंबर के बीच फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने 70 कट्टर इस्लामी आतंकियों को छोड़ दिया था। बाद में ये पाकिस्तान का समर्थन पाकर खूंखार आतंकी बने और हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया। घाटी में हिंदुओं के खिलाफ विरोध और इस्लामिक उग्रवाद को बढ़ावा देने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

हिंदुओं के खिलाफ गढ़े गए नैरेटिव के कारण 1990 में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़े, जो कि बाद में इस समुदाय के नरसंहार की हद तक पहुँच गया है। इसका परिणाम यह हुआ कि घाटी में मदरसा समर्थित कट्टरपंथी इस्लामी जिहादियों ने लाखों कश्मीरी हिंदुओं को घाटी छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।

मार्च 1990 तक कश्मीर में हजारों हिंदू महिलाओं का रेप, हत्या और उनके साथ लूटपाट इस्लामिक आतंकियों ने की। कश्मीरी हिंदू अपने देश में ही शरणार्थी बनने को मजबूर हो गए। जम्मू के शिविरों में अमानवीय परिस्थितियों में उनका पुनर्वास किया गया।

द कश्मीर फाइल्स मूवी ने रिलीज के साथ ही कट्टरपंथी इस्लामी आतंकियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर सालों से दबी बहस को फिर से जिंदा कर दिया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे उस दौरान केंद्र और राज्य ने कश्मीरी हिंदुओं की पीड़ा पर अपनी आँखें मूँद ली थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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