भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बहादुरी और नेतृत्व क्षमता से पूरा देश परिचित है। उनका सैन्य करियर 40 साल तक चला और उन्होंने 5 युद्ध में भारत की तरफ से दुश्मनों के दाँत खट्टे किए। सैम मानेकशॉ का एक वीडियो मेजर जनरल हर्ष काकर (रिटायर्ड) ने ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने अपने पाकिस्तान यात्रा से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। उनके इंटरव्यू में कही गई इन बातों को आज भी लोगों को जानना चाहिए।
2002 के इस इंटरव्यू में सैम मानेकशॉ ने बताया था कि वो भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के 2 महीने बाद ही पाकिस्तान गए थे। बता दें कि 1971 में उनके नेतृत्व में ही भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर के बांग्लादेश नामक नए मुल्क के गठन का रास्ता साफ़ किया था। मानेकशॉ ने बताया कि पाकिस्तान में उनका काफी जोर-शोर से स्वागत किया गया था। लाहौर में पाकिस्तानी गवर्नर ने उन्हें लंच के लिए भी आमंत्रित किया था।
वीडियो में मानेकशॉ बताते हैं कि उन्हें गवर्नर ने लंच से पहले मार्टिनी कॉकटेल पीने के लिए दिया। इसके अलावा उन्हें वाइन भी पेश किया गया। लंच के दौरान ही गवर्नर ने पूछा कि जनरल, क्या आप मेरी सहायता कर सकते हो? इस पर फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने जवाब दिया कि अगर उनसे हो सकेगा तो वो ज़रूर करेंगे। मानेकशॉ ने समझा कि गवर्नर अपने किसी रिश्तेदार को लेकर उनसे कुछ सहायता माँगेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं था।
गवर्नर ने कहा कि बाहर उनके कुछ स्टाफ खड़े हैं, जो मानेकशॉ से मिलकर बात करना चाहते हैं। सैम मानेकशॉ ने देखा कि वो सभी उनसे मिलने के लिए एक लाइन में खड़े थे। जब वो सभी से एक-एक कर मिल रहे थे तो 11वें व्यक्ति ने अचानक से अपनी पगड़ी निकाल दी और उनके पाँव पर रख दिया। मानेकशॉ ने जल्दी से उसकी पगड़ी को उठा कर उसे सौंपा और पूछा कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रहा है? उसने जो जवाब दिया, वो जानने लायक बात है।
उस व्यक्ति ने कहा- “साहब, आपने हम सबको बचा लिया।” उस व्यक्ति के 5 बेटे पाकिस्तानी फ़ौज में शामिल थे। उन्हें भारत-पाकिस्तान युद्ध में बंदी बना लिया गया था। उक्त पाकिस्तानी व्यक्ति ने बताया कि अपनी चिट्ठियों में उसके बेटों ने बताया था कि उन सबको भारतीय सेना की तरफ से कुरानशरीफ दिया गया था। उस पत्र में बताया गया था कि उनके सोने की व्यवस्था बैरकों में की गई थी, जबकि भारतीय सेना के जवान ख़ुद बाहर सोते थे।
Worth listening, even for my Pak bots. This is the Indian army from the mouth of a simple Pak soldier. Listen to the end pic.twitter.com/0LT1DHyYLy
— Maj Gen Harsha Kakar (@kakar_harsha) July 4, 2020
उन बंदी बनाए गए पाकिस्तानी सैनिकों के सोने के लिए गद्दों की व्यवस्था की गई थी जबकि भारतीय जवान ख़ुद ज़मीन पर सोते थे। ये सब भारतीय सेना के जवानों ने ही किया था। उस व्यक्ति ने सैम मानेकशॉ को बताया कि आप सभी के साथ हाथ मिलाते हो और आपने पकिस्तानी फौजियों के साथ लंगड़ में भी खाया। इसके बाद गवर्नर के सामने ही उसने कहा- “साहब, हम ये कभी नहीं मान सकते कि हिन्दू ख़राब होते हैं।“
जबकि सैम मानेकशॉ ने बताया कि उन्हें अपने ही देश में परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स और मंत्रियों को उनसे शिकायत थी। बकौल सैम मानेकशॉ, उन लोगों का कहना था कि जनरल पाकिस्तानी फौजियों के साथ ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वो उनके दामाद हों। एक कैबिनेट बैठक में उन लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से सैम मानेकशॉ की शिकायत कर दी।
इसके बाद मानेकशॉ ने इंदिरा गाँधी से कहा कि पाकिस्तानी के फौजी भी सैनिक हैं, उन्होंने भी युद्ध लड़ा और काफी अच्छी तरह से लड़ा। मानकेशॉ ने इंदिरा से कहा कि भले ही पाकिस्तानी फौजी जंग हार गए हों लेकिन उन्हें बंदी बनाए जाने के बावजूद वो पाकिस्तानियों की नहीं बल्कि सैनिकों की देखभाल कर रहे हैं, सैनिकों के साथ उसी तरह का व्यवहार कर रहे हैं। मानेकशॉ इंदिरा गाँधी के सामने भी अपनी बात रखने से नहीं हिचकिचाते थे।