बतौर नेता प्रतिपक्ष लोकसभा में अपने पहले ही संबोधन में हिन्दुओं को हिंसक बताने वाले कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भारतीय सेना को बदनाम करने की भी कुचेष्टा की है। उन्होंने केंद्र सरकार पर एक जवान और दूसरे जवान के बीच फूट डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक को पेंशन मिलेगी और वो बलिदानी कहाएगा, लेकिन दूसरा बलिदानी नहीं कहाएगा और उसे पेंशन नहीं मिलेगी। इस दौरान उन्होंने एक अग्निवीर के बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि उसे कुछ नहीं मिला।
हालाँकि, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि वो गलतबयानी कर के सदन को गुमराह कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी ‘अग्निवीर’ के बलिदान होने पर परिवार को 1 करोड़ रुपए की धनराशि मुआवजे के रूप में दी जाती है। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राहुल गाँधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश से माफ़ी माँगें। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस तरह की योजना UK-US में भी है।
बता दें कि ‘अग्निपथ योजना’ के तहत भारतीय सेना में 4 साल के लिए भर्ती हुए ‘अग्निवीर’ अगर बलिदान होते हैं तो उसके परिजनों को कम से कम 1.25 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा मिलता है। आइए, बताते हैं कैसे। परिवार को 48 लाख रुपए बीमा का मिलता है, 44 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाती है, 8 लाख रुपए ‘सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष’ से, ‘सेवा निधि’ से 11.71 लाख रुपए और 40,000 रुपए से लेकर 17 लाख तक की धनराशि बचे हुए कार्यकाल के कुल वेतन के हिसाब से मिलती है।
MINIMUM FINANCIAL ASSITANCE UNDER #AGNIPATH SCHEME TO THE FAMILY (NoK) IN CASE AN #AGNIVEER IS KILLED IN ACTION (KIA) GOES UPTO INR 1.25 CRORE & MAXIMUM IT COULD GO BEYOND 2-3 CRORES.
— Ashish Singh (@AshishSinghNews) July 1, 2024
48 Lakhs (Insurance).
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44 Lakhs (Ex-gratia).
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8 Lakhs (Armed Forces Bartle Casualty Fund).
+… pic.twitter.com/14v2AYXXoC
भारतीय सेना और बैंक के बीच हुए MoU के तहत भी धनराशि मिलती है। लुधियाना के एक ‘अग्निवीर’ के बलिदान होने के बाद उसके परिवार को इसके तहत 50 लाख रुपए मिले थे। वहीं इन सबके अलावा राज्य सरकार के फंड से भी कुछ मिलता है। लुधियाना वाले मामले में ये अमाउंट 1 करोड़ रुपए था। साथ ही अगर कोई ‘अग्निवीर’ दिव्यांग हो जाता है तो उसे भी 15, 25 या 44 लाख की धनराशि मुआवजे के रूप में मिलती है, जो दिव्यांगता के प्रतिशत से निर्धारित होती है।