गुजरात के अहमदाबाद में पकड़ाए अवैध बांग्लादेशी चंदोला झील को कचरे से भरकर अपने लिए घर बना रहे थे। अपनी जाँच में सिटी क्राइम ब्रांच ने इसका खुलासा किया है। बता दें कि शुक्रवार (25 अक्टूबर 2024) को अहमदाबाद पुलिस क्राइम ब्रांच ने 51 अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों को गिरफ्तार किया था। अब उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाएगा। कार्रवाई के दौरान 250 व्यक्तियों से पूछताछ की गई थी।
इन अवैध बांग्लादेशियों ने झील को भरने के लिए ना सिर्फ उसमें कचरे डाल रहे थे, बल्कि झील में किसी तरह पानी ना पहुँचे इसका भी उन्होंने पूरा बंदोबस्त कर रखा था। घुसपैठियों ने झील में पानी ना जाए, इसके लिए पिराना डंपिंग साइट से कचरे लाकर नर्मदा पाइपलाइन को ब्लॉक कर दिया था। इसकी पुष्टि तब हुई जब क्राइम ब्रांच ने 1985, 2011 और 2024 की सैटेलाइट तस्वीरों की समीक्षा की।
देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार, इन घुसपैठियों ने चंदोला झील के कुछ हिस्सों को भरकर उन पर अवैध घर भी बना लिए हैं। हालाँकि, चार महीनों की पुलिस कार्रवाई में इनमें से 60 से 70% घर खाली हो गए हैं। इनमें रहने वाले अधिकांश घुसपैठिए या तो भाग गए हैं या फिर पकड़े गए हैं। ये लोग नकली हिंदू नामों का इस्तेमाल करके यहाँ रह रहे थे और उस नाम से फर्जी दस्तावेज भी बना लिए थे।
पुलिस के सामने यह सबसे बड़ी समस्या ये पता लगाना है कि यहाँ से भागे आखिर कहाँ गए। क्या वे गुजरात के अन्य हिस्सों में चले या देश के अन्य हिस्सों में चले गए या फिर वापस अपने देश बांग्लादेश चले गए। पुलिस दूसरे राज्यों के साथ खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रही है और इसके बारे में उन्हें सूचित कर रही है। हालाँकि, भागे हुए बांग्लादेशियों के बारे में पता लगाना आसान नहीं है।
दरअसल, कुछ हफ्ते पहले फर्जी पहचान कागजात बनाने और बांग्लादेश से मानव तस्करी के जरिए महिलाओं को भारत लाने का मामला सामने आया था। इन महिलाओं से यहाँ वेश्यावृत्ति कराई जाती थी। सहायक पुलिस आयुक्त भरत पटेल ने बताया कि इन दो मामलों में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों के बयान पर ही पुलिस ने कार्रवाई की और 51 बांग्लादेशियों को पकड़ा।
पटेल ने बताया कि प्राथमिक जाँच में सामने आया कि ये लोग स्थानीय पहचान पत्र बनवा कर कारखानों में दिहाड़ी मजदूरी, बाँस से बनने वाले सामान बनाते और कुछ लोग भीम माँगने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि कुछ लोग बांग्लादेश से विवाह करके युवतियों को यहाँ लाते हैं, और उनसे देह व्यापार कराते हैं। बड़े पैमाने पर राशि को हवाला से बांग्लादेश भेजने का भी पता चला है।
इससे पहले त्रिपुरा की राजधानी अगरतला रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा एजेंसियों ने 22 अक्टूबर 2024 की सुबह तीन रोहिंग्या मुस्लिम और दो बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया था। राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) के प्रभारी अधिकारी तपस दास ने कहा कि उन्हें सूचना मिली कि कुछ रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक त्रिपुरा से बाहर जाने के लिए अगरतला रेलवे स्टेशन पर आएँगे।
तपस दास ने आगे बताया कि पूछताछ में पता चला कि रोहिंग्या नागरिक हैदराबाद जाने वाले थे, जबकि बांग्लादेशी नागरिक मुंबई जाने की योजना बना रहे थे। उन्होंने कहा, “हमने उनके पास से बांग्लादेशी मुद्रा, दस्तावेज और कुछ मोबाइल फोन जब्त किए हैं।” इससे पहले पुणे से भी 21 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया था।
महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने भी खुफिया सूचना के आधार पर रजनगाँव में 21 अक्टूबर 2024 को सर्च ऑपरेशन चलाकर 21 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने कहा था, “उनमें से नौ के पास फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड थे और उनमें से एक के पास वोटर आईडी कार्ड भी था। बांग्लादेशी नागरिक के पास वोटर आईडी कार्ड था, उसने इसे गुजरात से हासिल किया था।”
एसपी ने कहा कि ये सभी या तो पैदल चलकर सीमा पार करते हुए पश्चिम बंगाल में यहाँ आए या फिर नावों से समुद्री मार्ग से अवैध रूप से यहाँ पहुँचे। उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ के बच्चे भी हैं, जिनकी उम्र तीन साल से पाँच साल के बीच है। भारत में घुसने के बाद ये गुजरात और मुंबई चले गए। कुछ दिन पहले ये पुणे आए हैं।” लंबे समय रह रहे इन लोगों के पास से फर्जी भारतीय पहचान पत्र आदि भी बरामद किए गए थे।
बता दें कि पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर मानव तस्करों का एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है, जो सिर्फ कुछ हजार रुपए में बांग्लादेशी लोगों को भारत में घुसपैठ कराता है। घुसपैठ करने वालों में बांग्लादेशी के साथ-साथ रोहिंग्या मुस्लिम भी शामिल हैं। इसके बाद घुसपैठियों को फर्जी पहचान देकर जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया जाता है।