सीमा पर भारत और चीन के बीच जारी तनातनी के बीच चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि यदि बातचीत की मेज पर चीन के साथ समाधान नहीं निकला तो सैन्य विकल्प भी मौजूद हैं।
उन्होंने कहा ऐसा केवल उस स्थिति में होगा अगर कूटनीतिक स्तर पर जारी वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चीन के साथ बातचीत असफल रहती है तो सैन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
पिछले 2 महीने के दौरान भारत और चीन के बीच कई बार कूटनीतिक स्तर पर बात हुई लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम हासिल नहीं हुए हैं। अप्रैल और मई महीने से ही फिंगर एरिया, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और कुंगरंग समेत कई इलाक़ों में गतिरोध जारी है। जनरल रावत ने कहा,
“लद्दाख और आसपास के क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण का सामना करने के लिए हमारे पास सैन्य विकल्प मौजूद हैं। लेकिन इस विकल्प पर विचार सिर्फ तब किया जाएगा जब कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर जारी वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।” हालॉंकि जनरल रावत ने सैन्य विकल्पों पर विस्तार से चर्चा करने से इनकार कर दिया।
The military option to deal with transgressions by the Chinese Army in Ladakh is on but it will be exercised only if talks at the military and the diplomatic level fail: General Bipin Rawat, Chief of Defence Staff on the ongoing dispute between India and China in Eastern Ladakh pic.twitter.com/YT6hxzReP5
— ANI (@ANI) August 24, 2020
अप्रैल और मई से लेकर अब तक भारत और चीन के बीच कूटनीतिक स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। पिछले हफ्ते ही दोनों देशों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता हुई थी। इसमें पाँच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता भी शामिल है। चीनी सेना जुलाई के दौरान एलएसी के आसपास कई क्षेत्रो में दाख़िल हो गई थी। जिसके बाद दोनों देशों की सेना के बीच काफी विवाद हुआ।
ख़बरों के मुताबिक़ चीनी सेना खुद इस वार्ता पर कोई ठोस प्रस्ताव स्वीकार करने के पक्ष में नहीं थीं। इस पर भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया था कि एलएसी पर उन्हें किसी भी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को फिंगर क्षेत्र छोड़ कर पीछे हटना होगा लेकिन वह क्षेत्र छोड़ने को तैयार नहीं थे। नतीजतन सैन्य कमांडर्स ने एलएसी पर मौजूद कमांडिंग अधिकारियों को किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है।
इसके अलावा भारतीय सेना ने सीमा पर मौजूद जवानों को आधुनिक हथियारों के साथ तैयार रहने के लिए कहा है। 15 जून 2020 को दोनों देशों की सीमाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर हालात संवेदनशील बने हुए हैं। दोनों देशों की सीमाओं के बीच हुई इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 20 जवान बलिदान हो गए थे। वहीं चीनी सेना के 40 से अधिक जवान मारे गए थे। लेकिन चीन की सरकार ने इस बात की पुष्टि कभी नहीं की।