हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल से लगी भारत की सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने भारत से लगे नेपाल के इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की दूसरी रिपोर्ट:
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले से भी नेपाल की सीमा लगती है। आप बढ़नी बॉर्डर से नेपाल के कपिलवस्तु जिले में प्रवेश करते हैं। यह भारत-नेपाल की व्यस्तत्म सीमाओं में से एक है।
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कपिलवस्तु की गिनती नेपाल के उन जिलों में होती है, जहाँ मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या का 18% मुस्लिम हैं। यहाँ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ही आपको मस्जिद और मदरसे भी दिखने लगते हैं।
नेपाल में प्रवेश करते ही मस्जिद-मदरसा
बढ़नी बॉर्डर से नेपाल में प्रवेश करने के बाद कपिलवस्तु जिले का कृष्णा नगर शुरू हो जाता है। यहाँ सीमा से लगा ही एक मार्केट है। मार्केट के ग्राउंड फ्लोर पर डॉक्टर सईद अहमद की क्लिनिक से लेकर फैजल प्रिंटिंग, इमरान मोबाइल जैसी कई दुकानें हैं। दूसरे तल पर अल हलाल पब्लिक सेकेंडरी स्कूल चलता है। जो बोर्ड लगा है उसके अनुसार यह इंग्लिश मीडियम का स्कूल है। दूसरे तल पर मस्जिद है, जिसकी गुंबद भारत की सीमा से भी दिखाई देती है।
इसी मस्जिद से सटा तीन मंजिला मदरसा भी है। मदरसे का नाम ‘दारुल सलाम’ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मदरसे में नेपाल के अलग-अलग हिस्सों के तालिब (छात्र) हैं। इनके अलावा पश्चिम बंगाल और कश्मीर से भी लोग आकर दीनी तालीम हासिल कर रहे हैं।
बाजार में तमाम दुकानें मुस्लिमों की
मदरसा दारुल सलाम से एक गली कृष्णा नगर मुख्य बाजार की तरफ जाती है। इस रास्ते में अधिकतर दुकानें मुस्लिमों की है। बाजार में बुर्के वाली महिलाओं का खरीददारी करते दिखना सामान्य है। मर्दों की वेशभूषा पर भी इस्लामी असर दिखता है। कई घरों के ऊपर इस्लामी झंडे भी लगे हैं।
सऊदी अरब जैसी मस्जिद
कृष्णानगर बाजार से करीब 1 किलोमीटर आगे बढ़ने पर एक और बड़ी मस्जिद और उसी से सटा हुआ मदरसा है। मस्जिद का ऊपरी हिस्सा सऊदी अरब में बनी मस्जिद अल नवाबी से मिलता-जुलता है। इस मस्जिद का नाम मदीना मस्जिद है। स्थानीय मुस्लिमों की मानें तो यह करीब 70 साल पुरानी मस्जिद है।
मदीना मस्जिद के ठीक सामने एक बड़ा मदरसा सड़क के उस साइड है। इस मदरसे का नाम ‘जामिया उम्मे सलमा’ है। आसपास के लोगों ने बताया कि यहाँ भारत से भी सैकड़ों लड़के तालीम लेने आते हैं। किराने का दुकान चलाने वाले एक मुस्लिम बुजुर्ग ने बताया कि मदीना मस्जिद सुन्नी जमात की है, जबकि बॉर्डर पर दिखी मस्जिद अहले हदीस वालों की है।
मदरसे से ठीक बगल में एक खंडहरनुमा मकान है। मकान देखने पर किसी पुराने मंदिर जैसा लग रहा था। लेकिन इस मकान के बारे में आसपास के लोग हमें कोई जानकारी नहीं दे सके। मदरसे के पास आरिफ खान की कोल्डड्रिंक की दुकान है। वे खुद को इलाके का भावी विधायक बताते हैं।
विभिन्न पार्टियों में कई मुस्लिम नेता
ऑपइंडिया की टीम को कृष्णा नगर में कई राजनैतिक दलों के पोस्टर लगे दिखाई दिए। पोस्टरों से सभी राजनैतिक दलों में मुस्लिमों की अच्छी-खासी नुमाइंदगी का पता चलता है। इंतखाब अहमद खान, मिर्जा राशिद बेग, अकरम पठान जैसे नाम पोस्टरों पर भरे पड़े थे।
मुख्य हाईवे पर भी मुस्लिमों की दुकानें
एक हाईवे भारत के बढ़नी बॉर्डर को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ता है। इस हाईवे के दोनों तरफ मुस्लिम समुदाय के लोगों की कई दुकानें हैं। चाहे वह फारुख की चिकन शॉप हो या चाँद का गैरेज… मुस्लिम नाम वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान भरे पड़े हैं। कृष्णा नगर में राजनीतिक तौर पर सक्रिय दीपेंद्र ने बताया कि चैपुरवा, लक्ष्मीनगर, भिलमी, बरगदी, क़ुदरबेटवा और जावाभारी जैसे कई इलाके कपिलवस्तु जिले में मुस्लिम बहुल हैं।
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