Tuesday, December 3, 2024
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भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित VSHORADS मिसाइलों का किया सफल परीक्षण किया: आधुनिक तकनीक से लैस, कम दूरी के लक्ष्य को भेदने में कारगर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को और मजबूत करेगी। रक्षा मंत्रालय ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "DRDO भारत ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की तकनीकी रूप से उन्नत लघु हथियार प्रणाली VSHORADS के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं।"

भारत ने राजस्थान के जैसलमेर स्थित पोखरण फायरिंग रेंज में स्वदेशी रूप से विकसित VSHORADS मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। DRDO ने यहाँ बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के तीन परीक्षण किए गए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल विकास परीक्षणों में शामिल DRDO, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को और मजबूत करेगी। रक्षा मंत्रालय ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “DRDO भारत ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की तकनीकी रूप से उन्नत लघु हथियार प्रणाली VSHORADS के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं।”

उम्मीद है कि VSHORADS कम दूरी पर दुश्मन के विमानों, ड्रोन और अन्य हवाई लक्ष्यों से निपटने के लिए बलों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करेंगी। सेना अपनी आवश्यकताओं के लिए रूसी इग्ला मिसाइलों पर निर्भर है, लेकिन पिछले एक दशक से वह आधुनिकीकरण की आवश्यकता महसूस कर रही है।

VSHORADS परियोजना में विकास और उत्पादन में दो निजी कंपनियाँ भागीदार हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत मिसाइल सहित स्वदेशी हथियारों का तेजी से विकास कर रहा है। इस दिशा में यह सफल परीक्षण बेहद सकारात्मक माना जा रहा है। इससे भारती सेनाओं को मजबूती मिलेगी।

इससे पहले शुक्रवार (4 अक्टूबर) को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2024 को संबोधित करते हुए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने इंडो-पैसिफिक के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की अपील की।

उन्होंने कहा, “भारत ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की लगातार वकालत की है और क्षेत्रीय संवाद, स्थिरता और सामूहिक विकास को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीयता पर जोर देते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की माँग की है।” रक्षा मंत्री ने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त अभ्यास और सूचना-साझाकरण पहल सहित क्षेत्रीय भागीदारों के साथ जुड़ाव का उद्देश्य सामूहिक समुद्री सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना है। उन्होंने कहा किया कि भारतीय सशस्त्र बल, विशेष रूप से नौसेना, क्षेत्र के देशों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं और उनकी क्षमता और योग्यता के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “जबकि भारत का समुद्री सहयोग के लिए प्रयास जारी है, इसके हित किसी अन्य देश के साथ संघर्ष में नहीं हैं। किसी अन्य देश के हितों का अन्य देशों के हितों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए। यही वह भावना है जिसके साथ हमें मिलकर काम करना चाहिए।”

इंडो-पैसिफिक के लिए भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “इंडो-पैसिफिक के लिए भारत का दृष्टिकोण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के विचार पर आधारित है, क्योंकि हम ऐसी साझेदारी को बढ़ावा देने में विश्वास करते हैं जो सतत विकास, आर्थिक विकास और आपसी सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का अपने भागीदारों के साथ जुड़ाव इस समझ से निर्देशित है कि सच्ची प्रगति केवल सामूहिक कार्रवाई और तालमेल के माध्यम से ही हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के कारण भारत को इस क्षेत्र में एक ‘विश्वसनीय और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार और पहला उत्तरदाता’ माना जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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