चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है, उसकी मंशा सैन्य ताकत बढ़ा कर अमेरिका को पीछे करना है। चीन इस ताकत को बढ़ाकर भारत को भी चुनौती देना चाहता है। वह हिन्द महासागर में भारत को घेरना चाहता है, जबकि भारत भी अब चीन की मंशा को समझ कर अपनी रणनीति बनाने में जुट गया है। इसलिए, भारत नौसेना की ताकत बढ़ाना चाह रहा है।
चीन अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के क्रम में अपनी नौसेना पर विशेष ध्यान दे रहा है और लगातार नए नए जहाज अपने बेड़े में शामिल कर रहा है। भारत ने चीन को टक्कर देने के लिए नौसेना की ताकत बढ़ाने का निर्णय कर लिया है।
अंग्रेजी समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया‘ में छपे एक लेख के अनुसार, भारत वर्ष 2035 तक नौसैनिक बेड़े में 175 नए युद्धपोत शामिल करने की योजना बना रहा है जिसमें से बड़ी संख्या में वॉरशिप्स का निर्माण भी चालू हो गया है। अच्छी बात यह है कि इनमें से अधिकतर जहाज भारत में ही बनेंगे।
वर्तमान में भारत के पास 132 युद्धपोत हैं जबकि लगभग 150 विमान और 130 हेलीकाप्टर हैं। विमानों में नौसेना के पास लड़ाकू, टोही और सामान ढोने वाले – तीनों ही तरह के विमान शामिल हैं। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के लेख में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक भारत के पास 155-60 युद्धपोत हो जाएँगे। वर्तमान में नौसेना इस संख्या को 175 तक ले जाने पर विचार कर रही है। इससे भारत हिन्द महासागर समेत अन्य क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति ज्यादा मजबूती से दर्ज करवा सकेगा।
बीते कुछ समय से मोदी सरकार भी नौसेना को लेकर काफी गंभीर है। बीते वर्ष नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के कमीशन किए जाने से लेकर अब तक नौसेना के लिए नए सौदे हो चुके हैं। इनमें 3 नई पनडुब्बी, 26 राफेल M विमान, 5 लॉजिस्टिक जहाज समेत अन्य कई सौदे शामिल हैं।
इस बीच नौसेना के लिए भारत ने अपनी निर्माण क्षमताओं में भी इजाफा किया है। अब नौसेना अधिकांश युद्धपोतों के डिजाइन स्वयं ही तैयार कर रही है। यह भी जानकारी सामने आई है कि तेज निर्माण के लिए जहाज़ों के लिए एक जैसे ही प्लेटफॉर्म विकसित कर लिया गया है।
इसके अतिरिक्त, भारत के जहाज निर्माण में अब विदेशी सामान की मात्रा भी घट रही है। जहाज़ों में लगने वाला विशेष इस्पात भी अब भारत में ही निर्मित होने लगा है। अन्य कई प्रमुख सिस्टम्स भी भारत में ही निर्मित हो रहे हैं जिससे पैसे की भी बचत हो रही है और विदेशों पर निर्भरता भी घट रही है।
हालाँकि, इन सभी सफलताओं के बावजूद भी कई मुद्दों पर धीमी गति के कारण नौसेना की शक्ति पर असर पड़ रहा है। बीते कई वर्षों से नौसेना के लिए 6 नई पनडुब्बी खरीदने की योजना धरती पर नहीं उतर पा रही है, इसी तरह तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी सरकार की मंजूरी की राह देख रहा है। इसके अतिरिक्त, नौसेना को हेलीकाप्टर की भी जरूरत है।
लेकिन, सरकार अब तेजी से इस दिशा में काम कर रही है कि नौसेना को नए जहाज और हथियार दिए जाएँ। नौसेना के लिए नई मिसाइलों पर भी काम जारी है। इसके लिए DRDO लगातार काम कर रहा है।
चीन से निपटने के लिए भारत अपनी क्षमताओं में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य देशों से सहयोग को भी बढ़ा रहा है। चीन का अमेरिका समेत वियतनाम, फिलिपिन्स और जापान जैसे देशों से समुद्री नियंत्रण को लेकर टकराव चल रहा है। भारत इन देशों के साथ भी सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। इसी क्रम में हाल ही में अमेरिकी नौसेना के युद्धपोतों के भारत में मरम्मत को लेकर भी कदम उठाए गए हैं। हालाँकि, चीन का सामना करने के लिए भारत को अपनी युद्धपोत का निर्माण तेज करना होगा।