सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (3 जनवरी 2022) को ISIS दुल्हन सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा को भारत वापस लाने का फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार 8 हफ्ते में विचार कर इस पर फैसला ले। आयशा आतंकवादी समूह ISIS में भर्ती होने के लिए भारत छोड़कर अफगानिस्तान चली गई थी। इस समय वह अफगानिस्तान की एक जेल में बंद है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से आयशा के पिता वी जे सेबेस्टियन फ्रांसिस की याचिका पर विचार करने को कहा है, जिन्होंने अपनी बेटी और 7 साल की नातिन सारा को भारत वापस लाने के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा, “अगर वीजे सेबेस्टियन केंद्र सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं हुए तो उन्हें अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट जाने का अधिकार है।” याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा, “हम सरकार को आपके अनुरोध पर निर्णय लेने का निर्देश नहीं दे सकते हैं, क्योंकि यह ऐसे मामले नहीं हैं, जिसमें हम निर्णय दे सकते हैं। इन मामलों में सरकार का फैसला सर्वोपरि होगा।” याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील रंजीत मरार ने कहा कि तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने से पहले जुलाई 2021 में सेबेस्टियन याचिका दायर की गई थी।
4 महिलाएँ अपने शौहर के साथ अफगानिस्तान गई थीं
आयशा 2019 से अफगानिस्तान की जेल में बंद है। इस्लाम कबूल कर चुकीं आयशा समेत केरल की 4 महिलाएँ अपने शौहर के साथ अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल होने के लिए गई थीं। शौहर की मौत के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था। सोनिया उर्फ आयशा के पिता वी जे सेबेस्टियन फ्रांसिस की याचिका में कहा गया था कि उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा है।
केरल की ये महिलाएँ 2016-18 में अफगानिस्तान के नंगरहार पहुँची थीं। इस दौरान उनके शौहर अफगानिस्तान में अलग-अलग हमलों में मारे गए थे। ये महिलाएँ इस्लामिक स्टेट के उन हजारों लड़ाकों में शामिल थीं, जिन्होंने नवंबर और दिसंबर 2019 में अफगानिस्तान के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। चारों महिलाओं की पहचान सोनिया सेबस्टियन उर्फ आयशा, मेरिन जैकब उर्फ मरियम, निमिशा उर्फ फातिमा ईसा और रफाएला के रूप में हुई है। भारत में भी आयशा के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा दर्ज है।
इससे पहले वर्ष 2021 में केरल के वीजे सेबेस्टियन फ्रांसिस ने अपनी बेटी आयशा और उसकी 7 वर्षीय बेटी को भारत वापस लाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने मोदी सरकार को आतंकी गतिविधियों में शामिल इन महिलाओं को वापस ना लाने का आरोप लगाते हुए उनके रुख को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
बता दें कि केरल के कासरगोड की सेबस्टियन 31 मई, 2016 को अपने पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला के साथ मुंबई हवाई अड्डे से भारत से रवाना हुई थी। बताया गया था, “शौहर-बीवी ने जुलाई, 2015 में रमजान के दौरान पडन्ना और कासरगोड में आईएस और जिहाद का समर्थन करने के लिए सिक्रेट क्लासेस आयोजित की थीं। सेबस्टियन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट है।”