जम्मू कश्मीर में पहले आतंकियों के मारे जाने के बाद उनके जनाजे निकालने का चलन चल पड़ा था, जिसके बाद सरकार ने नए नियम बना कर आतंकियों के शवों को उनके गृह इलाकों से दूर दफनाने की प्रक्रिया चालू की, ताकि उन्हें हीरो न बनाया जा सके। आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद ऐसा ही किया गया था। पुलवामा के एक आतंकी अतहर के मारे जाने के बाद भी उसके अब्बा मुस्ताक अहमद को वहाँ से दूर दफनाने को कहा गया। अब जम्मू कश्मीर पुलिस ने एनकाउंटर का वीडियो भी जारी कर दिया है।
मारे गए आतंकी का अब्बा लगातार सशस्त्र बलों पर फेक एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए कह रहा था कि उसके बेटे के मारे जाने के बाद अब वो भी मर चुका है, इसीलिए या तो उसे पुलवामा में उसके गाँव में ही बेटे को दफनाने की इजाजत मिले, नहीं तो उसे भी अपने बेटे के बगल में दफना दिया जाए। बुधवार (दिसंबर 30-31) की रात को अतहर सहित 3 आतंकियों को श्रीनगर में हुए एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
भारतीय सेना को मिले इनपुट्स के आधार पर ये कार्रवाई की गई, जिसमें CRPF और पुलिस के जवान भी शामिल थे। सेना को सूचना मिली थी कि ये आतंकी किसी हमले की साजिश रच रहे थे। ये सभी कुख्यात आतंकियों की सूची में नहीं थे, लेकिन लगातार सक्रिय थे। उन्हें आत्मसमर्पण करने का भी मौका दिया गया, लेकिन वो लगातार फायरिंग करते रहे। अब तीनों ही आतंकियों की लाशों को एक साथ दफना दिया गया है।
उनमें से एक के रिश्तेदार जम्मू कश्मीर पुलिस में हैं। उनके परिवार दावा कर रहे हैं कि ये फेक एनकाउंटर है। पुलिस ने इस मामले में जाँच का आश्वासन दिया है। मृत आतंकियों में अजाज़ अहमद पुलवामा का है और एक हेड कॉन्स्टेबल का बेटा है। वो और अतहर एक-दूसरे को जानते थे। अजाज़ के अब्बा मोहम्मद मकबूल का कहना है कि वो सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा नहीं कर सकते। मारा गया तीसरा आतंकी जुबैर अहमद सोपियाँ का था।
On 29/12/20 evening after the cordon at #Hokersar, troops are repeatedly #appealing the trapped #terrorists to come out and #surrender with assurances that they will not be harmed. @JmuKmrPolice pic.twitter.com/B625zd78yY
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) January 4, 2021
अब जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस एनकाउंटर का वीडियो भी सोमवार को जारी कर दिया। इसमें पुलिस के जवान माइक पर अनाउंसमेंट करते हुए देखा जा सकते हैं। वो तीनों आतंकियों को लगातार आत्मसमर्पण करने के लिए कह रहे हैं। दूसरी तरफ से इसका कोई जवाब नहीं दिया जाता है। होकरसर में तीनों आतंकियों को घेर लिया गया था, जिसके बाद उन्हें आश्वस्त किया गया था कि अगर उन्होंने सरेंडर कर दिया तो कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाएगा, लेकिन वो नहीं माने।
भारतीय सेना ने बताया है कि तीनों आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की गई। सोमवार को इन आतंकियों के परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसियों को लेकर श्रीनगर पहुँचे थे, जहाँ उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। अतहर के अब्बा मुस्ताक ने पूछा कि क्या भारत के लोग उसकी बात नहीं सुन रहे? उसने दावा किया कि उसका बेटा मात्र 16 साल का था और उसे अब न्याय चाहिए। उसने ये भी कहा कि उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं है।
At #Hokersar on 30/12/2020 in the #morning hours, troops are once again #appealing the trapped #terrorists to come out in the ground and #surrender before them. @JmuKmrPolice pic.twitter.com/Bz30kNbZfI
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) January 4, 2021
वहीं जुबैर का भाई भी पुलिस में कॉन्स्टेबल है। उसका नाम मोहम्मद शरीफ लोन है। उसने दावा किया कि उस दिन दोपहर 2 बजे तक उसका भाई घर में ही था, ऐसे में मात्र 2 घंटे के भीतर ही वो आतंकी कैसे बन गया? उसने दावा किया कि उसका भाई कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में है। अब वीडियो जारी किए जाने के बाद परिजन कह रहे हैं कि उसमें अंदर से फायरिंग की आवाज़ नहीं आ रही है, इसीलिए ये भरोसे के लायक नहीं।
पुलिस ने जो 2 वीडियो जारी किए हैं, उनमें से एक दिसंबर 29 की शाम का है, जबकि एक उसके अगले दिन की सुबह का है। दोनों में ही पुलिस उन तीनों आतंकियों को चेतावनी देती ही दिख रही है, लेकिन उधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है। आतंकियों ने जिस घर को अपना अड्डा बनाया था, उसे चारों तरफ से घेर लिया गया था। इतनी देर तक चेताए जाने के बावजूद उन्होंने फायरिंग की, जिसके बाद उन्हें मार गिराया गया।
जानकारी देते चलें कि जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथियों द्वारा सेना और सुरक्षबलों पर होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं में साल 2016 से लेकर साल 2020 तक 90% की गिरावट दर्ज की गई है। साल 2019 की तुलना में इस साल हुई पत्थरबाजी की घटनाओं में 87.13% की गिरावट हुई है। साल 2019 में, पत्थरबाजी की 1,999 घटनाएँ हुईं थीं, जिनमें से 1,193 बार यह पत्थरबाजी केंद्र सरकार द्वारा साल 2019 के अगस्त माह में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने की घोषणा के बाद हुईं।