जम्मू कश्मीर सरकार ने 5 कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बर्खास्त कर दिया है। इन सभी पर नशे के अवैध कारोबार का हिस्सा होने का भी आरोप है। बर्खास्त हुए इन आरोपितों में से पुलिस कॉन्स्टेबल, चौकीदार, जल शक्ति विभाग, बैंक और ग्राम अधिकारी भी शामिल हैं।
बर्खास्त किए गए कुछ आरोपितों पर तो आतंकी हमलों की साजिश भी रचने का आरोप है। बर्खास्तगी की यह कार्रवाई जम्मू कश्मीर सरकार ने शनिवार (15 अक्टूबर 2022) को की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बर्खास्त हुए आरोपितों के नाम तनवीर सलीम डार, सैयद इफ्तिकार अंद्राबी, इरशाद अहमद खान, आफ़ाक़ अहमद वानी और अब्दुल मोमिन पीर हैं।
तवनीर सलीम डार जम्मू कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल था, सैयद इफ्तिकार अंद्राबी ग्रामीण विकास विभाग में ग्राम विकास ऑफिसर, जबकि इरशाद अहमद खान बारामुला के जलशक्ति विभाग में चौकीदार के पद पर काम करता था। इन तीनों के अलावा आफ़ाक़ अहमद वानी बारमूला सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में मैनेजर और अब्दुल मोमिन पीर हंदवाड़ा के सब डिवीजन में असिस्टेंट लाईन मैन के पद पर काम करता था।
बर्खास्त पुलिस कॉन्स्टेबल तनवीर आतंकी ग्रुप लश्कर ए तैयबा में कमांडर के तौर पर सक्रिय था। वह आतंकियों तक रसद पहुँचाने का भी काम करता था। तनवीर पर कई आतंकी हमलों में शामिल होने और साजिशकर्ता होने का आरोप लगा है। इन आतंकी हमलों में साल 2021 में श्रीनगर में हुई MLC जावेद की हत्या भी शामिल है।
तनवीर साल 2003 से पहले आतंकी संगठनों के साथ मिला हुआ बताया जा रहा है। उस पर बांदीपुरा, सोपोर और श्रीनगर में भी आतंकी हमलों के सूत्रधार होने का आरोप है। इन हमलों में श्रीनगर के एक कॉम्प्लेक्स में साल 2003 में हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है, जिसमें कई नागरिक और सुरक्षा बलों की जान चली गई थी।
बर्खास्त सिपाही तनवीर होटल पंपोश पर हुए हमले का भी मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। इस हमले में सुरक्षा बल के 8 जवान बलिदान हुए थे। साल 2014 में तनवीर को गिरफ्तार करके बर्खास्त कर दिया गया था लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी बर्खास्तगी पर रोक लगा दी थी। उस पर आतंकियों को पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की मूवमेंट की जानकारी भी लीक करने का आरोप है।
बर्खास्त हुए कॉपरेटिव बैंक मैनजेर आफाक अहमद वानी पर नशे के कारोबार में शामिल होकर आतंकियों के लिए पैसे जुटाने का आरोप है। आफाक को साल 2020 में NIA ने आतंकी गठजोड़ के आरोप में गिरफ्तार किया था।
बर्खास्त ग्राम विकास ऑफिसर सैयद इफ्तिकार अंद्राबी पर साल 2015 और 2017 में पाकिस्तान दौरे का आरोप है। बताया जा रहा है कि वह लश्कर ए तैय्यबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए काम करता था। अंद्राबी पर आतंकियों के लिए पैसे जुटाने का आरोप है और बताया जा रहा है कि उसके रिश्ते कई बड़े आतंकी कमांडरों से हैं।
बर्खास्त किया गया चौथा कर्मचारी अब्दुल मोमिन पीर हंदवाड़ा के बिजली विभाग में असिटेंट लाइन मैन के पद पर था। रिश्ते में वह इफ्तिखार अहमद अंद्राबी का दामाद है। पीर को साल 2017 व 2020 में नशे की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। उस पर पाकिस्तान के लश्कर आतंकी वहीद गिलानी से भी गठजोड़ का आरोप है।
बर्खास्त हुआ पाँचवाँ कर्मचारी इरशाद अहमद खान साल 2010 में भर्ती हुआ था। वह जलशक्ति विभाग में चौकीदार के पद पर था। उस पर आतंकी समूहों को हथियार और अन्य गोला बारुद सप्लाई करने का आरोप है। साल 2015 में सोपोर के एयरटेल टावर पर हुए हमले में इरशाद को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था।
पहले भी हुई हैं बर्ख़ास्तगियाँ
गौरतलब है कि अगस्त 2022 में जम्मू कश्मीर सरकार ने 4 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया था। इस कार्रवाई में आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की बीवी और आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन का बेटा भी शामिल था। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन आरोपितों के टेरर इकोसिस्टम में संलिप्तता के सबूत पाए थे। बर्खास्त कर्मचारियों में वैज्ञानिक और प्रोफेसर भी शामिल थे।
मार्च 2022 में भी 5 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था। इनमें कम्प्यूटर ऑपरेटर, टीचर और पुलिस कॉन्स्टेबल शामिल थे। अप्रैल 2022 में भी कश्मीर लॉ कॉलेज के पाकिस्तान समर्थक प्रोफेसर शेख शौकत को बर्खास्त किया गया था।