झारखंड हाई कोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में झारखंड सरकार पर प्रश्न उठाए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब बांग्लादेशी घुसपैठ से इनकार किया जा रहा है तो भला जनजातीय जनसंख्या कैसे घट गई। हाई कोर्ट ने संथाल परगना में जनजातीय समाज (ST) की जनसंख्या घटने को लेकर प्रश्न पूछे हैं।
झारखंड हाई कोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दायर की गई एक याचिका की सुनवाई में यह सब बाते कही हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने 22 अगस्त, 2024 को इस मामले की सुनवाई की है। इस दौरान हाई कोर्ट के सामने संथाल परगना के सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों ने बांग्लादेशी घुसपैठ को हलफनामा दायर किया है।
यह हलफनामे गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज और दुमका जिलों के प्रशासन की तरफ से दाखिल किए गए हैं। इस हलफनामे में प्रशासन ने दावा किया है कि इन जिलों में कोई भी बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं आया है। प्रशासन के इस दावे पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है।
हाई कोर्ट ने इस संबंध में कहा, “इस कोर्ट ने संबंधित जिलों के DC की ओर से दायर हलफनामे का अध्ययन किया है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेशी प्रवासियों की कोई घुसपैठ नहीं हुई है, लेकिन इन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों की संख्या कम होने के कारण के संबंध में कोई बात नहीं बताई गई है।”
हाई कोर्ट ने आगे इसी मामले पर प्रश्न उठाए हुए कहा, “सवाल यह है कि यहाँ रखे गए आँकड़ों में इस क्षेत्र में (संथाल परगना) अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 1951 में 44.67% थी जो वर्ष 2011 में घट कर 28.11% तक आ गई। इसे दिनांक 8 अगस्त, 2024 के आदेश में नोट भी किया गया है। लेकिन हैरानी की बात है कि हलफनामे में इन क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या में कमी के बारे में कोई प्रासंगिक आँकड़े प्रस्तुत नहीं करके उस बिंदु पर कोई जवाब नहीं दिया गया है।”
गौरतलब है कि इस मामले की पहले सुनवाई में कोर्ट ने राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह इनकी पहचान करे। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार राज्य में अवैध रूप से घुसने वालों की पहचान करके आँकड़े तैयार करे और उन्हें राज्य से बाहर करे। इसको लेकर संथाल परगना के जिलों ने कमिटियों का गठन किया था। इन कमिटियों का काम जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना था। अब इस मामले में इन जिलों के प्रशासन ने कहा है कि राज्य में कोई घुसपैठिया नहीं है।
सरकार कह रही घुसपैठ नहीं, लेकिन वोट बेतहाशा बढ़े
जहाँ झारखंड सरकार घुसपैठ की बात को कोर्ट के भीतर नकार रही है वहीं विपक्षी दल दूसरी चिंताएँ जता रहे हैं। हाल ही में भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है।
भाजपा ने बताया है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।
नई नहीं है डेमोग्राफी बदलने की बात
झारखंड हाई कोर्ट की टिप्पणी को रेखांकित करने वाली काफी सारी घटनाएँ पहले भी सामने आ चुकी हैं। इससे पहले मार्च, 2024 में आजतक की एक रिपोर्ट में याचिका में बताई गई समस्या को लेकर ही बात की गई थी। आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि यहाँ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, पश्चिम बंगाल के रास्ते आते हैं। इसके बाद वह बस जाते हैं। इनमें से कुछ आदिवासियों की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। जब लडकियाँ उनके दिखावे में फंस जाती हैं तो उनसे शादी कर ली जाती है।
शादी के बाद लड़की की कागजों में पहचान जनजाति के तौर पर ही रहने दी जाती है। इसके बाद उस लड़की के नाम पर जमीन ली जाती है या फिर उसकी ही जमीन कब्जा ली जाती है। रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सब करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को फंडिंग मिलती है। लड़की की पहचान जनजातीय रखने के पीछे सरकारी फायदे लेने के मकसद रहता है। इसके अलावा कई जगह उन लड़कियों को चुनाव भी लड़वाया गया, जिन्होंने मुस्लिमों से शादी की।
आजतक की रिपोर्ट में यह तक बताया गया था कि यहाँ घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी इस जमीन में खनन के लिए भी ऐसा कर रहे हैं। कुल मिलाकर धीमे-धीमे इस इलाके की पहचान बदली जा रही है। बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में घुसते ही फर्जी पहचान पत्र भी बनवा लेते हैं। इसमें इनकी मदद पहले से आकर बस चुके लोग भी करते हैं।