हरियाणा के मेवात जिले के नूँह में कथित तौर पर बड़ी संख्या में रोहिंग्या बसाए जा रहे हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय लोग रोहिंग्या घुसपैठियों को आश्रय दे रहे हैं। यह एक मुस्लिम बहुल इलाका है। साथ ही यह इलाका पशुओं की तस्करी सहित विभिन्न तरह की आपराधिक गतिविधियों के लिए भी पहचान रखता है।
बताया जाता है कि दिल्ली से बाहर किए गए ज्यादातर रोहिंग्या ने हरियाणा में पनाह ली है।विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हरियाणा में रोहिंग्याओं की मौजूदगी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है जब जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या को तुरंत रिहा करने और उन्हें प्रत्यर्पित करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा सरकार राज्य में बसे अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने के प्रयास कर रही है। सरकार इनके दस्तावेजों की पड़ताल की योजना बना रही है। हालाँकि इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लग सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 600-700 रोहिंग्या परिवार राज्य में बसे हैं। करीब 2 हजार रोहिंग्या के अकेले मेवात जिले में होने की बात कही जा रही है। लेकिन, विहिप का मानना है कि ये संख्या वास्तविकता से काफी काम है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल का दावा है कि यह संख्या लाखों में हैं। हरियाणा में रहने वाले ज्यादातर रोहिंग्या कथित तौर पर मेवात (नूँह), फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल और यमुना नगर जिलों में बसे हैं। राज्य के अन्य जिलों में भी रोहिंग्या हैं, लेकिन उनकी पहचान करना मुश्किल है क्योंकि इनमें से ज्यादातर ने फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड बनवा रखे हैं।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर में सख्ती के बाद रोहिंग्याओं के पंजाब की तरफ जाने की भी खबरें आई थीं। जागरण की रिपोर्ट में बताया गया है कि विहिप 2008 से ही देश से रोहिंग्या मुस्लिमों को निकाले जाने को लेकर प्रयास कर रहा है। उस समय दिल्ली से निकाले जाने के बाद ये रोहिंग्या हरियाणा और उत्तर प्रदेश चले गए और वहाँ अपनी बस्तियाँ बसा ली। अब इन्हें मेवात में मुस्लिमों द्वारा पनाह दी जा रही है।
2008 में रोहिंग्या चाहते थे कि भारत में स्थायी तौर पर रहने के लिए उन्हें रिफ्यूजी का दर्जा दिया जाए। इसको लेकर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार विभाग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था। उस समय बंसल ने केंद्र सरकार को 40 पन्नों का पत्र लिखकर इन्हें रिफ्यूजी का दर्जा नहीं देने का आग्रह किया था। साथ ही इससे होने वाले खतरों को लेकर भी आगाह किया था। विहिप के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा था कि इनके विभिन्न देशों के आतंकी संगठनों से संपर्क होने की भी आशंका है।
रिपोर्ट में बंसल के हवाले से बताया गया है कि गृह मंत्रालय ने देश में रहने वाले रोहिंग्या की संख्या 40 हजार के करीब बताई है, लेकिन असल संख्या लाखों में हो सकती है। कथित तौर पर ज्यादातार रोहिंग्या हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) का समर्थन किया था और राज्य में इसे लागू करने की सोच रही है। इसके लिए राज्य सरकार परिवारों के परिचय पत्र और उनका डाटा तैयार करने की दिशा में काम भी कर रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी एनआरसी का समर्थन करते हुए कहा था कि कानून किसी बाहरी को देश में रहने की इजाजत नहीं देता है। उन्हें अवैध प्रवासियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।