एटीएस (ATS) कमांडो ने लखनऊ के काकोरी से पकड़े अलकायदा के दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार करने के बाद देश में आतंक फैलाने की साज़िश को नाकाम कर दिया। जाँच एजेंसियाँ अलकायदा के इन दोनों संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ में सामने आया है कि ये दोनों सिर्फ 3 हजार रुपए में प्रेशर कुकर बम तैयार कर रहे थे।
जिस मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर को पकड़ा गया है, वह रिक्शे की बैटरी से बम बनाने में जुटा था। दोनों DIY मॉड्यूल यानी ‘Do it yourself’ मॉड्यूल पर काम कर रहे थे। इन्होंने अपने पैसों से खरीदकर बम बनाया था, इनकी कोशिश थी कि ई-रिक्शा में इस्तेमाल होने वाली बैटरी से बम बनाया जाए।
दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अल-कायदा के लिए काम किया था और वे आतंकी संगठन के इशारे पर बम बना रहे थे। कथित तौर पर, अल-कायदा के आतंकवादी इंटरनेट के जरिए उन तक पहुँचे थे। ये बम बनाने में सफल भी हो गए थे, अब बस टारगेट चुनने की प्रक्रिया चल रही थी।
मानव बम मॉड्यूल पर कर रहे थे काम
पकड़े गए दोनों आतंकियों के नाम मिनहाज अहमद और मसीरूद्दीन है, अलकयदा का ये मानव बम मॉड्यूल था, दोनों आतंकी अंसार गजवातुल हिंद ग्रुप से जुड़े थे। दोनों लंबे समय से लखनऊ में रह रहे थे, अहमद के पिता लखनऊ के दुबग्गा इलाके में मोटर वर्कशॉप का काम करते हैं और उसकी बीवी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में कार्यरत है। उसके घर से इस यूनिवर्सिटी का एक वाहन पास भी जब्त किया गया है। दोनों आतंकियों के पकड़े जाने के बाद यूपी- बिहार पुलिस ने सभी जिलों और रेलवे स्टेशनों पर अलर्ट जारी कर दिया।
एसीएस (होम) अवनीश अवस्थी ने आज तक से बात करते हुए बताया, “जाँच में अल कायदा के साथ संबंधों की पुष्टि हुई है। यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि यह काफी बड़ा गठजोड़ है और हाँ, यूपी निशाने पर था। ये मॉड्यूल स्वतंत्र रूप से काम करते हैं क्योंकि उनके सिस्टम अलग हैं। इन सब से निपटने के लिए खुफिया एजेंसियों और एटीएस को काफी ताकत और हथियार दिए जाएँगे। मॉड्यूल घातक हो सकता था। हम पब्लिक डोमेन में ज्यादा शेयर नहीं कर सकते हैं। गिरफ्तार किए गए दोनों बड़ी योजना बना रहे थे और राज्य में काफी नुकसान कर सकते थे। वे हमेशा संवेदनशील क्षेत्रों को निशाना बनाते हैं जहाँ वे भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं।”
उमर हलमंडी के हैंडलर के संपर्क में थे दोनों
उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, ये आतंकी अलकायदा के उत्तर प्रदेश मॉड्यूल के प्रमुख उमर हलमंडी के हैंडलर के संपर्क में थे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, “वे लखनऊ सहित राज्य के विभिन्न शहरों में 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) से पहले आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।” कुमार ने कहा कि ये लोग मानव बमों के इस्तेमाल सहित विस्फोट की योजना बना रहे थे।
टेलीग्राम के जरिए आतंकियों ने संपर्क किया था
रिपब्लिक टीवी के अनुसार, इस मामले की आगे की जाँच से पता चला है कि आतंकवादी टेलीग्राम ऐप के जरिए अपने अंतरराष्ट्रीय आकाओं के संपर्क में थे। एटीएस अब पकड़े गए आतंकवादियों के टेलीग्राम और व्हाट्सएप चैट पर नजर रख रही है। आतंकवाद निरोधी दस्ते ने लैपटॉप, दस्तावेज और जले हुए कागज भी जब्त किए थे। विदेशी हैंडल के अलावा, दोनों उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अन्य लोगों के संपर्क में थे।
टीवी के लाइव प्रसारण से ATS नाखुश
जब एडीजी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया से बातचीत कर रहे थे, तो वे इस बात से खुश नहीं थे कि ऑपरेशन का सीधा प्रसारण कई न्यूज चैनलों पर चलाया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस अभियान समाप्त होते ही जरूरत के आधार पर जानकारी साझा करेगी। उन्होंने कहा, “ऐसे दिशा-निर्देश हैं जो सभी को राष्ट्रीय सुरक्षा के संचालन के लाइव फीड के प्रसारण से प्रतिबंधित करते हैं।” पुलिस अधिक जानकारी साझा करेगी यदि उन्हें लगता है कि इसे साझा किया जा सकता है।
रविवार (जुलाई 11, 2021) को करीब 11 घंटे से चले सर्च ऑपरेशन में भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया। इस तरह यूपी से अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों की गिरफ्तारी देश में एक साल के भीतर तीसरे बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ है।
इससे पहले राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने पश्चिम बंगाल और केरल में अलकायदा के मॉड्यूल का खुलासा किया था। केरल के एर्नाकुलम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से इन आतंकियों की गिरफ़्तारी हुई थी। ये लोग कोच्चि नौसेना बेस और शिपयार्ड्स को निशाना बनाने वाले थे। बिहार पुलिस भी लखनऊ में अलकायदा आतंकियों की गिरफ़्तारी के बाद अलर्ट पर है। देश के कई हिस्सों में अलकायदा के स्लीपर सेल मौजूद हैं, इनकी फंडिंग पर रोक लगा कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना मुख्य चुनौती है।
एक भाजपा सांसद के अलावा कई अन्य भाजपा नेता इन आतंकियों के निशाने पर थे। आसपास के घरों में इन आतंकियों के साथियों के ठिकाने हो सकते हैं, इसीलिए उनकी भी तलाशी हो रही है। सीरियल ब्लास्ट की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और अफगानिस्तान में इस पर ‘रिसर्च’ हुआ था। आसपास के 500 मीटर के दायरे में सारे घरों को खाली करवा लिया गया। जल्द ही कई और खुलासे होने की संभावना है।