हम सब के लिए जुलाई के महीने की यादें लगभग एक जैसी हैं। नई-नई शुरू हुई बारिश और गर्मी की छुट्टी के बाद वापस से खुले स्कूल। लेकिन महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की यादें जुलाई को लेकर शायद हमसे थोड़ी अलग हैं। मुंबई ने जुलाई में इस्लामिक आतंकवाद का वो खौफनाक मंजर देखा है, जो आज भी उसकी जीवटता को झकझोर देता है। पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट और उसके बाद 13 जुलाई 2011 को हुए तीन बम धमाकों ने मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे भारत को हिलाकर रख दिया था। 13 जुलाई 2011 को मुंबई में हुए बम धमाके इंडियन मुजाहिद्दीन ने, मुंबई के ही 26/11 आतंकी हमलों के आरोपित अजमल कसाब के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए किए थे।
9 मिनट में 3 बम ब्लास्ट
13 जुलाई को मुंबई में बम विस्फोट कराने का पूरा प्लान इंडियन मुजाहिद्दीन के फाउंडर यासीन भटकल का था। मुंबई के व्यस्ततम इलाकों में 10-15 मिनट के अंतराल में 3 बम विस्फोट हुए थे। उस दिन बुधवार था और शाम का समय था। कभी न सोने वाली मुंबई उस शाम उसी चहल-पहल में मशगूल थी, जो रोज हुआ करती थी। कर्मचारी काम करके अपने घरों को लौट रहे थे। महिलाएँ अपने बच्चों को लेकर घूमने निकली थीं। तब ऐसा कोरोना वायरस का भी कोई झंझट नहीं था, हाँ मुंबई को तेज बारिश का डर जरूर रहा होगा लेकिन फिर भी मुंबई कभी भविष्य की चिंता नहीं करती कि वर्तमान का आनंद लेना ही भूल जाए!
लेकिन 13 जुलाई 2011 को शायद मुंबई को यह अंदाजा नहीं था कि उसके वर्तमान का एक ऐसा पल आने वाला है, जो उसके भविष्य को हमेशा के लिए रक्तरंजित यादों से बुना हुआ बना देगा। पहला धमाका दक्षिणी मुंबई में हुआ, शाम 06:54 बजे। यह धमाका झावेरी बाजार की खाऊ गली में एक मोटरसाइकिल में प्लांट किए गए बम से हुआ। पहले तो कोई कुछ समझ ही नहीं पाया। लोगों की चहल-पहल, भगदड़ में तब्दील हो गई। चारों ओर सिर्फ चीखें ही सुनाई दे रही थीं। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक मिनट बाद ही ओपेरा हाउस इलाके में प्रसाद चैंबर और पंचरत्न बिल्डिंग के बाहर एक टिफिन बॉक्स में रखे गए बम से जोरदार धमाका हो गया। ओपेरा हाउस का यह इलाका मुंबई के व्यस्ततम इलाकों में से एक है। यहाँ एक समय में सैकड़ों की संख्या में लोगों की आवाजाही रहती है। जब दूसरा धमाका हुआ, तब मुंबई के लोगों को यह आशंका हो गई थी कि मुंबई एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर आया है। इसके बाद तीसरा धमाका 07:05 बजे दादर के कबूतर खाना इलाके के पास बस स्टैंड में एक बिजली के खंभे पर लटकाए गए बम के कारण हुआ। हालाँकि पुलिस ने दो जिंदा बम ग्रांट रोड सांताक्रूज से बरामद कर लिए थे।
कहा जाता है कि ये बम धमाके जिनमें आईईडी का इस्तेमाल हुआ था, मुंबई में पहले हुए धमाकों से ज्यादा ताकतवर थे। जिन तीन जगहों पर ये धमाके हुए, वहाँ की जमीनें हिल गई थीं। इमारतों के काँच टूट गए थे। विस्फोट के सीधे संपर्क में आए लोगों के शरीर के अंग कई मीटर तक बिखरे पड़े थे। चारों ओर सिर्फ चीखें थी। मुंबई एक बार फिर अपने लोगों की लाशों को गिन रही थी। खून से सने हुए क्षत-विक्षत शव प्रतीक्षा कर रहे थे कि कब उन्हें समेटा जाएगा और उनके अपनों को सुपुर्द किया जाएगा। खून से लथपथ घायल लोग बेसुध पड़े हुए थे। इन धमाकों में 31 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी, वहीं लगभग 500 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
कसाब का जन्मदिन मनाया था आतंकियों ने
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए क्रूरतम आतंकी हमले के आरोपित अजमल आमिर कसाब का जन्मदिन 13 जुलाई को ही था। उस समय कसाब को फाँसी की सजा हो चुकी थी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 13 जुलाई 2011 को मुंबई के ये धमाके कसाब की ‘शान’ में ही कराए गए थे। इंडियन मुजाहिद्दीन के फाउंडर यासीन भटकल ने कहा था कि उसे इन धमाकों पर गर्व है। इन बम धमाकों की पूरी प्लानिंग यासीन भटकल ने ही की थी। इसके बाद दिल्ली, बेंगलुरु और बाकी महानगरों में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
इन धमाकों के बाद कई लोगों से पूछताछ हुई। धमाकों की जाँच का जिम्मा एटीएस को सौंप दिया गया था। जाँच के दौरान 18 राज्यों में सुराग की तलाश की गई थी। धमाकों के आरोपित यासीन भटकल को एक अंडरकवर ऑपरेशन के बाद नेपाल सीमा से 28 अगस्त 2013 को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसे बाद में फाँसी की सजा सुनाई गई थी। इसके पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लाइफलाइन कहे जाने वाली लोकल ट्रेन को निशाना बनाकर सीरियल बम ब्लास्ट किया गया था। खार और बांद्रा रोड स्टेशन में 7 मिनट के दौरान 7 धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी जबकि लगभग 900 लोग घायल हो गए थे। इससे पहले भी 1993, 2002, 2003 में भी मुंबई में लगातार बम धमाके होते रहे।