म्यांमार की सेना ने नॉर्थ-ईस्ट के 22 उग्रवादी भारत को सौंपे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के नेतृत्व में संचालित ऑपरेशन के कारण यह मुमकिन हो पाया है।
यह पहला मौका है जब म्यांमार ने पूर्वोत्तर के उग्रवादियों को सौंपने के भारत सरकार के अनुरोध पर काम किया है।डोभाल अरसे से इस दिशा में सक्रिय थे।
म्यांमार की सेना ने शुक्रवार दोपहर नॉर्थ-ईस्ट के 22 उग्रवादियों को भारत सरकार को सौंप दिया. मणिपुर और असम में वॉन्टेड इन उग्रवादियों को एक विशेष विमान से वापस लाया जायेगा.https://t.co/8voeauyhCn
— एन पी पाठक (@NPPathak2) May 15, 2020
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 22 उग्रवादियों को म्यांमार की सेना ने भारत को सौंप दिया है। विशेष विमान से इन्हें भारत लाया गया। अब ये उग्रवादी मणिपुर और असम की पुलिस को सौंप दिए जाएँगे।
जानकारी के मुताबिक 22 विद्रोहियों में से 12 मणिपुर में चार विद्रोही समूहों से जुड़े हुए हैं। ये उग्रवादी UNLF, PREPAK (Pro), KYKL और PLA से हैं। बाकी 10 एनडीएफबी (एस) और केएलओ जैसे असम में सक्रिय समूहों से जुड़े हैं।
डोभाल के अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ कि जब म्यांमार सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट के विद्रोही समूहों के नेताओं को सौंपने के भारत के अनुरोध पर काम किया है। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते खुफिया और रक्षा सहयोग के कारण संभव हुआ है। वहीं सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि म्यांमार सरकार के लिए यह एक बड़ा कदम है और दोनों देशों के बीच गहराते संबंधों का यह एक परिणाम भी है।
दरअसल म्यांमार के साथ भारत की 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है। लेकिन म्यांमार की सेना द्वारा ऑपरेशन करने पर सहमति बनने के बाद पिछले कुछ वर्षों से उग्रवादी समूह दवाब में हैं। पिछले साल, म्यांमार की सेना ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई इंटेलिजेंस सूचना के आधार पर अभियान चलाया था। इन अभियानों में 22 विद्रोहियों को म्यांमार सेना ने सागिंग क्षेत्र में पकड़ा था।
आपको बता दें कि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने असम में शांति बहाल को लेकर 34 साल पुराने विवाद को सुलझाया था, जिसके तहत 6 उग्रवादी संगठनों ने सरकार के सामने घुटने टेक दिए थे। इसके लिए त्रिपक्षीय करार पर हस्ताक्षर किए गए थे।