रमज़ान के दौरान आतंकवाद विरोधी अभियानों को रोकने के लिए कश्मीर के राजनीतिक दलों की माँग को इस बार नज़रअंदाज कर दिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स के हवाले से खबर है कि सुरक्षा बलों ने इस अवधि के दौरान कश्मीर में 23 स्थानीय और विदेशी आतंकवादियों का सफाया कर दिया है। जम्मू कश्मीर में 2019 में मारे गए आतंकवादियों की संख्या 100 से अधिक हो गई है। इसके परिणामस्वरूप पिछले शुक्रवार (31 मई) को जमात-उल-विदा के दौरान घाटी में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण मज़हबी सभाएँ सम्पन्न हुईं।
पिछले साल घाटी में आतंकरोधी अभियानों की शुरुआत न होने के कारण, रमज़ान महीने के दौरान केवल 11 आतंकवादी मारे गए थे और वह भी कुपवाड़ा और हंदवाड़ा ज़िलों में। ख़बर के अनुसार, ईद-उल-फितर त्योहार के बाद, घाटी में बढ़ती हिंसा और कट्टरपंथ का हवाला देकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 19 जून, 2018 को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अपना समर्थन वापस ले लिया था जिससे जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार टूट गई थी।
हालाँकि, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती चाहती थीं कि सेना इस साल भी रमज़ान के दौरान आतंकरोधी अभियान न चलाए, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने इस माँग को नज़रअंदाज़ कर दिया। शुक्रवार तक सुरक्षा बलों द्वारा 23 आतंकवादियों को मार गिराया गया था, जिसमें अल-क़ायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसार ग़ज़ावत-उल-हिंद का खूंखार आतंकी ज़ाकिर मूसा भी शामिल था। घाटी के शोपियाँ, पुलवामा, अवंतीपोरा, सोपोर, कुलगाम और अनंतनाग इलाक़ों में अन्य आतंकी मारे गए।
आतंकवाद-विरोधी अभियानों में कोई कसर न छोड़े जाने के अलावा सुरक्षा बलों ने यह भी सुनिश्चित किया कि विदेशी आतंकवादियों को रमज़ान महीने के दौरान फिर से संगठित होने और योजना बनाने का कोई मौका ना मिल सके।