30 मार्च को जम्मू कश्मीर स्थित बनिहाल में सीआरपीएफ के काफ़िले पर हुए हमले का मामला सुलझा लिया गया है। इस हमले को जमात-ए-इस्लामी के छात्र गुट ने अंजाम दिया था और इसकी साज़िश पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन और जैश-ए-इस्लामी ने रची थी। राज्य पुलिस ने इस मामले में एक रिसर्च स्कॉलर समेत 6 आतंकियों को गिरफ़्तार किया है। सभी आतंकियों को एनआईए को सौंपने की तैयारी की जा रही है। पीएचडी स्कॉलर हिलाल अहमद मंटू बठिंडा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ता है। वह जमात के स्टूडेंट विंग का सदस्य है। जम्मू के आईजी एमके सिन्हा ने मामले को सुलझाने का दावा करते हुए बताया कि 30 मार्च को बनिहाल में पुलवामा जैसा कार ब्लास्ट करके सीआरपीएफ कॉनवाय पर हमला करने की कोशिश की गई। अगले ही दिन पुलिस ने इस कार को ब्लास्ट करने वाले ओवेस अमीन नाम के आत्मघाती हमलावर को पकड़ लिया था।
Hilal Ahmad Mantoo, PhD student from Kashmir studying in Punjab was arrested last week in connection with car bomb blast in Banihal on March 30. IGP Jammu MK Sinha says ‘We have almost cracked the case completely and six persons so far have been arrested’ pic.twitter.com/sygu2npqSj
— ANI (@ANI) April 29, 2019
बनिहाल में भी पुलवामा हमले की तरफ ही बड़ी क्षति पहुँचाए जाने की योजना थी लेकिन आतंकी कामयाब नहीं हो पाए। इस साज़िश के पीछे पाकिस्तानी आतंकी मुन्ना बिहारी का नाम सामने आया है। मामले की तेज़ जाँच के लिए सतर्क पुलिस ने एसआईटी का गठन कर दक्षिण कश्मीर के उमर शफी, शोपियाँ निवासी आकिब शाह, शाहिद वानी उर्फ वाटसन और पुलवामा स्थित चकोरा का रहने वाला वसीम अहमद डार उर्फ डॉक्टर को दबोचा। पुलिस के अनुसार, मुन्ना बिहारी और हिज़्बुल आतंकी रियाज़ नायकु के कहने पर रईस और उमर ने ओवेस को आत्मघाती हमले के लिए तैयार किया था। इन्होंने मिलकर पुलवामा स्टाइल में ही कार को तैयार किया और फिर कार में विस्फोटक भी कर डाला। कार कहाँ से ली गई और आतंकियों ने विस्फोटक कहाँ से ख़रीदा, इस बारे में अभी तक कुछ ख़ुलासा नहीं हुआ है।
इस बार आतंकी संगठनों ने काफ़ी चालाकी से काम लिया था। हमले को अंजाम देने के लिए ऐसे लोगों के चयन किया गया, जिनके ख़िलाफ़ कोई एफआईआर दर्ज नहीं थी। पुलिस के शक से बचने के लिए ऐसे आतंकियों को इस साज़िश में शामिल नहीं किया गया, जो पहले से सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर थे। बनिहाल में हमला करने से पहले 26 मार्च को भी आतंकियों ने इसी तरह का प्रयास किया था लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी थी क्योंकि ब्लास्ट हुआ ही नहीं। जमात-ए-इस्लामी कश्मीर में मज़बूत प्रभाव रखता है और इसने 1971 के बाद से कुछ चुनावों में भी हिस्सा लिया था। राज्य में अलगाववादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में लगे जमात पर गृह मंत्रालय ने 2019 में 5 वर्षों का प्रतिबन्ध लगा दिया था।
>J&K: More visuals from Banihal, Ramban where an explosion occurred in a car. CRPF sources say ‘prima facie blast in the car seems to be a cylinder explosion, CRPF convoy was at a significant distance from explosion site, does not appear to be an attack. Investigations on.’ pic.twitter.com/u7pN6ckaFy
— ANI (@ANI) March 30, 2019
गृह मंत्रालय को पुख़्ता सूचना और सबूत मिले थे कि ये संगठन जम्मू कश्मीर में आतंकियों को कई सारी सुविधाएँ मुहैया करा रहा है। गिरफ़्तार आतंकियों ने कश्मीर में युवाओं को बरगलाने और मज़हब के नाम पर भड़काने की बात स्वीकार की है। बता दें कि 30 मार्च को बनिहाल में हुए हमले में सीआरपीएफ की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई थी और जवानों को भी मामूली चोटें आई थीं। आतंकियों द्वारा विस्फोटकों से लदी सैंट्रो कार को जम्मू से श्रीनगर ले जाते वक़्त उड़ा दिया गया था। जिस कार में ब्लास्ट हुआ, उसके ड्राइवर को भी गिरफ़्तार कर लिया गया था। उसके आकाओं ने उसे सीआरपीएफ काफ़िले को उड़ाने के लिए बोला था लेकिन वह वहाँ से भाग निकला था। बाद में सुरक्षा बलों ने उसे धर दबोचा।