चीन के फौजियों ने 9 दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी को पार करने की कोशिश की थी। लेकिन 17000 फीट की ऊँचाई पर भारतीय सैनिकों ने ही उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। चीन की फौज को वापस होने के लिए मजबूर कर दिया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार चीन के 300 से अधिक फौजी इसमें शामिल थे। लेकिन भारत के 50 सैनिकों ने ही उनका रास्ता रोक दिया। करीब आधे घंटे के भीतर ही भारतीय सेना की बैकअप टीम भी मौके पर पहुँच गई। इसके बाद दोनों देशों के बीच झड़प हुई और चीनी फौजियों को लौटना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार तवांग सेक्टर में जो कुछ हुआ वह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की सोची-समझी साजिश थी। चीनी फौजी कीलों वाले डंडे, मंकी फिस्ट और टेजर गन जैसे घातक हथियारों से लैस थे। इन हथियारों से भले किसी की जान न जाए लेकिन ये इतने घातक होते हैं कि इनकी चपेट में आने के बाद गहरी चोट आ सकती है। मंकी फिस्ट लोहे या पत्थर का बना होता है। इसे कलाई पर पहना जाता है। वहीं टेजर गन के झटके से सामने वाले को कुछ देर के लिए सुन्न किया जा सकता है। इस दौरान झटका खाना वाला व्यक्ति कुछ भी करने में सक्षम नहीं होता।
भारतीय सेना ने 12 दिसंबर को जारी बयान में कहा था, “शुक्रवार (9 दिसंबर, 2022) को, चीनी सेना के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी को पार करने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और मजबूती के साथ इसका मुकाबला किया। आमने-सामने की इस लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं हैं। हालाँकि, अब दोनों पक्ष पीछे हट गए हैं। घटना के बाद कार्रवाई के रूप में, क्षेत्र में भारतीय कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए चीनी कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की है।”
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (13 दिसंबर 2022) को चीन की इस हरकत पर संसद में बयान दिया है। उन्होंने बताया कि चीन की फ़ौज ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में सीमा (Line Of Actual Control) पर अतिक्रमण कर के यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास किया। इस दौरान हुए संघर्ष में भारतीय सेना ने चीनी फौजियों को वापस अपने पोस्ट्स पर जाने को मजबूर कर दिया। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि दोनों तरफ से कुछ सैनिकों को चोटें भी आई हैं। भारत सरकार की तरफ से उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संघर्ष में न तो हमारे किसी सैनिक की मृत्यु हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।
उन्होंने बताया, “भारतीय सैन्य कमांडरों के त्वरित हस्तक्षेप के कारण PLA के सैनिक वापस अपनी जगह पर चले गए। घटना के बाद क्षेत्र के एरिया कमांडर ने 11 दिसंबर, 2022 को अपनी चीनी समकक्षों के साथ स्थापित व्यवस्था के तहत एक फ्लैग मीटिंग की, जिसमें इस घटना पर चर्चा हुई। चीनी पक्ष को मना किया गया कि वो इस तरह की हरकतें न करें। उन्हें सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए भी कहा गया। चीन के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी इस मुद्दे को उठाया गया है।”
गौरतलब है कि चीन ने ऐसा ही हमला साल 2020 में भी किया था। तब भी चीनी फौजी ऐसे ही हथियारों के साथ आए थे। उस समय भी भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया था। साल 2020 में चीन ने दो बार घुसपैठ की कोशिश की थी। पहली बार 21 मई 2020 और फिर 15 जून 2020। गलवान में 15 जून को हुई हाथापाई हिंसक झड़प में बदल गई थी। इसमें कर्नल संतोष बाबू समेत भारत के 20 जवान बलिदान हो गए थे।