गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान चीनी सैनिकों ने तार वाली लाठी, टेसर वगैरह का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सेना ने उत्तर प्रदेश की एक कंपनी को गैर घातक हथियार बनाने को कहा था। नोएडा के स्टार्टअप फर्म एपेस्ट्रॉन प्राइवेट लिमिटेड ने यह जानकारी देते हुए ऐसे हथियार तैयार कर लेने की बात कही है। पारंपरिक भारतीय अस्त्रों से प्रेरित इन हथियारों का इस्तेमाल न केवल दुश्मन देश की सेना के खिलाफ संघर्ष में किया जा सकता है, बल्कि हिंसा, उपद्रव जैसी स्थिति पर काबू पाने में भी ये कारगर साबित हो सकते हैं।
To tackle Chinese Army’s barbed clubs, tasers, non lethal weapons ready for Indian security forces
— ANI Digital (@ani_digital) October 18, 2021
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एपेस्ट्रॉन के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी मोहित कुमार ने ANI को बताया, “जब चीनी ने हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार की छड़ें और टेसर का इस्तेमाल किया था तब हमें भारतीय सुरक्षा बलों के लिए गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था।” कुमार ने कहा, “हमने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही टेसर और गैर-घातक उपकरण विकसित किए हैं।”
A UP-based firm has developed non-lethal weapons inspired by traditional Indian weapons for security forces
— ANI (@ANI) October 18, 2021
Security forces asked us to develop non-lethal weapons after the Chinese used wired sticks, tasers against our soldiers in Galwan clash: Mohit Kumar, CTO, Apastron Pvt Ltd pic.twitter.com/5rOinDuGIK
वज्र नाम से मेटल रोड टेजर
विभिन्न हथियारों का प्रदर्शन करते हुए कुमार ने कहा कि वज्र नाम से स्पाइक्स के साथ एक मेटल रोड टेसर विकसित किया गया है। इसका इस्तेमाल दुश्मन सैनिकों पर आक्रामक रूप से हमला करने के लिए हाथ से मुकाबला करने के साथ-साथ उनके बुलेट प्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वज्र में स्पाइक्स भी होते हैं जो करंट को डिस्चार्ज करते हैं और दुश्मन के सैनिक को आमने-सामने की लड़ाई के दौरान अप्रभावी बना सकते हैं।
त्रिशूल का प्रदर्शन
कुमार ने त्रिशूल का भी प्रदर्शन किया। इसका उपयोग वाहनों को रोकने के साथ-साथ रिस्ट्रिक्टेड एरिया में घुसपैठ को रोकने के लिए किया जा सकता है।
#WATCH ‘Trishul’ and ‘Sapper Punch’- non-lethal weapons-developed by UP-based Apasteron Pvt Ltd to make the enemy temporarily ineffective in case of violent face offs pic.twitter.com/DmniC0TOET
— ANI (@ANI) October 18, 2021
सैपर पंच
सुरक्षा बलों को ‘सैपर पंच’ नामक एक और टेसिंग उपकरण प्रदान किया गया है, जिसे सर्दियों के सुरक्षा दस्ताने की तरह पहना जा सकता है। इसका इस्तेमाल हमलावर दुश्मन सैनिकों को झटका देने के लिए किया जा सकता है। यह वाटरप्रूफ या शून्य से 30 डिग्री कम तापमान में भी काम कर सकता है। ये करीब 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है।
दंड
दंड यानी बिजली से चलने वाला डंडा। ये 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है। ये वाटरप्रूफ भी है। इस बिजली वाले डंडे की मार जिस पर पड़ेगी वो फिर मुड़कर नहीं आएगा।
भद्र
भद्र एक ख़ास तरह की ढाल है, जो जवान को पत्थर के हमले से बचाती है। इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को ज़ोर का झटका धीरे से देता है।
कुमार ने कहा कि इनमें से कोई भी हथियार मौत या किसी भी गंभीर चोट का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन दुश्मन सैनिकों को शारीरिक संघर्ष के दौरान अस्थायी रूप से अप्रभावी बना सकता है। उन्होंने कहा कि ये हथियार किसी भी आम नागरिक को नहीं बेचे जाएँगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड पर लिपटे कंटील तारों और टेजर्स के जरिए भारतीय सेना के जवानों पर हमला कर दिया था। जिसके बाद हुई झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए थे।