बीएसएनएल ने अपने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद राज्य में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। अलगाववादियों व कई कश्मीरी नेताओं की मंशा पर पानी फेरने के लिए कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी। यह सब इसीलिए किया गया था ताकि हिंसा न भड़के। लेकिन, सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के दो कर्मचारियों ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को इंटरनेट सुविधाएँ दी।
सैयद अली शाह गिलानी भारतीय सेना को भला-बुरा कहता रहा है और पाकिस्तान के गुण गाता रहा है। गिलानी के नाम वाले ट्विटर हैंडल से लगातार अफवाहें फैलाई जा रही थीं। इसके बाद भारत सरकार ने ट्विटर को ऐसे कई एकाउंट्स की सूची दी थी, जो जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी प्रोपेगंडा चला कर घाटी में हिंसा फैलाना चाह रहे थे। दो बीएसएनएल कर्मचारियों के निलंबन के बाद यह सवाल फिर से उठने लगा है कि पाकिस्तान परस्त अलगाववादियों का नेक्सस कितना बड़ा है और इसमें किस-किस स्तर के लोग शामिल हैं?
Separatist Syed Ali Shah Geelani enjoyed access to Internet for 4 full days as 2 BSNL employees were helping him surreptitiously. He was found to be in regular touch with Pakistani handlers when Indian security agencies were involved in bringing sanity in the Valley.
— Pramod Kumar Singh (@SinghPramod2784) August 19, 2019
इंटरनेट सेवाएँ प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद बीएसएनएल के उक्त दोनों कर्मचारियों की मदद से भारत-विरोधी एजेंडा चलाने वाला गिलानी 4 दिनों तक चोरी-छिपे इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठाता रहा। ‘नेशन फर्स्ट’ में रणनीतिक मामलों के वरिष्ठ संपादक प्रमोद कुमार सिंह के अनुसार, गिलानी इंटरनेट के जरिए पाकिस्तानी आकाओं से लगातार संपर्क में था। वह भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में शांति कायम रखने के प्रयासों को सफल होते देख कर निराश था।
Deep investigation into Islamist links of these employees is what is needed. And full details of this investigation should be made public so that people can become familiar with the root cause of this disease. https://t.co/07EyLigivI
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) August 19, 2019
रणनीतिक मामलों के जानकार वकील दिव्य कुमार सोती ने इस ख़बर के सामने आने के बाद निलंबित किए गए बीएसएनएल कर्मचारियों के ‘इस्लामिक लिंक’ की जाँच कराने की माँग की है। वकील दिव्य सोती ने कहा है कि जाँच के निष्कर्ष को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि गिलानी ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के लोगों से भी संपर्क किया था।