पश्चिम बंगाल राज्य के गृह मंत्रालय ने कोलकाता के सूरज सिंह की शिकायत पर तमाल भट्टाचार्या के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज (स्वीकार) कर ली है। मामला देशद्रोह की धाराओं के तहत दर्ज हुआ है। तमाल भट्टाचार्या को कुछ समय पहले ही अफगान से बचा कर भारत लाया गया था, लेकिन उसने यहाँ पहुँचते ही तालिबान का गुणगान करना शुरू कर दिया।
अपनी शिकायत में सूरज ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था कि वह इस शिकायत पर कार्रवाई करें। शिकायत में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी दम दम इलाके के निमटा निवासी 34 वर्षीय तमाल भट्टाचार्या को भारतीय प्रशासन ने देश में चल रही अशांति के कारण अफगानिस्तान से बाहर निकाला। वह अफगानिस्तान के एक स्कूल में कार्यरत था और तालिबान के आने के बाद अपनी निकासी के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई थी।
अपनी शिकायत में उन्होंने बताया कि कैसे तालिबान के चंगुल से लौटकर भट्टाचार्या ने उन्हीं के पक्ष में बयान दिया। सूरज ने कहा, “वापसी के बाद उसकी टिप्पणी बदली और ये बदलाव परेशान करने वाला है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है। कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूज चैनल्स को इंटरव्यू देते हुए उसने तालिबान को सराहा और न केवल ऐसे दिखाया जैसे कि वह कितने दयावान हों बल्कि यह भी दिखाया कि तालिबान ने उसकी मदद की, उसे खाना खिलाया , उसका मनोरंजन किया और एयरपोर्ट पर क्रिकेट भी खेले।”
ऑपइंडिया से बात करते हुए सूरज ने कहा, “तालिबान के लिए इस तरह का सॉफ्ट कॉर्नर तालिबान के साथ उसके जुड़ने होने पर सवाल उठाता है। यह संभव है कि तमाल जैसे कम्युनिस्ट के पास तालिबान के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर हो, लेकिन तालिबानियों की इतनी अधिक प्रशंसा करना अत्यधिक समस्याग्रस्त है और मेरा मानना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।”
अपनी शिकायत में सूरज ने कहा, “मुश्किल समय में, जहाँ पूरी दुनिया आतंकवाद से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है, और उसके ऊपर तमाल भट्टाचार्या जैसे लोग ‘सबसे घातक जिहादी आतंकवादी तालिबानी समूह में से एक’ का ऐसे चित्रण कर रहे हैं जैसे वो दयालु और मददगार हों। तालिबानी आतंकवादियों की उदारता के बारे में भट्टाचार्या की इस तरह की टिप्पणी और दावे को देखना वास्तव में बहुत अजीब लगता है। ”
सूरज मानते हैं कि तमाल के विचार एक खतरनाक स्थिति की ओर इशारा करते हैं और आरोप लगाया कि उसका संबंध कट्टरपंथी संगठन से भी हो सकता है। सूरज ने कहा, इस तरह के कनेक्शन “हमारी घरेलू सुरक्षा के लिए खतरा” हैं। उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान (तालिबान) द्वारा हमारे महान राष्ट्र के सद्भाव और शांति को बिगाड़ने की साजिश की प्रबल संभावना है।”
सूरज ने गृह मंत्रालय से इस बाबत अनुरोध किया था कि आधिकारिक गुप्त अधिनियम 1923 और भारतीय दंड संहिता की धारा 121, 121ए और 124ए के तहत मामला दर्ज हो। मंत्रालय ने अब उनकी शिकायत को स्वीकार कर लिया है।
तमाल भट्टाचार्या से जुड़ा पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद 21 अगस्त की रात तमाल को बचा कर भारत लाया गया था। वह वहाँ काबुल के आर्मी स्कूल में फिजिक्स और केमेस्ट्री टीचर के तौर पर काम कर रहा था। उसे वहाँ स्टॉफ क्वार्टर मिला था हालाँकि, पूरे देश पर तालिबान के कब्जे के बाद वह प्रिंसिपल के आवास में बंद हो गया। उसने इंडियन एंबेसी को कॉन्टैक्ट करना शुरू किया और किसी तरह हामिद करजई पहुँचा। इसके बाद भारत सरकार से खुद को निकालने की अपील भी की। बाद में आईएएफ ही उसे 10 अन्य बंगालियों के साथ भारत लेकर आया। 22 अगस्त को वह दिल्ली उतरा और इसके बाद उसने टीवी9 को दिए इंटरव्यू में तालिबान की तारीफों के पुल बाँध दिए।
तमाल ने कहा था, ”हमने सोचा था कि वे (तालिबानी) हमें पकड़ लेंगे और मार डालेंगे। यह डर मेरे साथ 5-6 घंटे तक बना रहा, जब तक कि हमें कर्दन इंटरनेशनल स्कूल से सुरक्षित बाहर नहीं निकाला गया। हमने स्कूल के मालिक और वहाँ मौजूद तालिबानियों से बातचीत की। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वे हमारी रक्षा करेंगे। तालिबानियों ने मुझे और अन्य सभी शिक्षकों की रक्षा करने का वादा किया और सच्चाई भी यही है कि तालिबान ने अपना वादा निभाया।”
तमाल के विवादास्पद दावों को कट्टरपंथी इस्लामवादियों का भारी समर्थन मिला था, जो तालिबान द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को उचित ठहराने के अवसरों की तलाश कर रहे थे। ट्विटर पर मोजम्मल हक सोहेल ने लिखा था, “तमाल भट्टाचार्या एक भारतीय शिक्षक हैं, जो कल (रविवार) रात भारत लौटे। उन्होंने तालिबान की तारीफ की। उन्होंने कहा कि तालिबान के खिलाफ मीडिया में जो कुछ हो रहा है वह सब दुष्प्रचार है, यह बेहद घटिया मीडिया है।”