Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाकंधार विमान हाइजैक: यात्रियों के बदले छोड़े गए 3 आतंकी आज कहॉं?

कंधार विमान हाइजैक: यात्रियों के बदले छोड़े गए 3 आतंकी आज कहॉं?

भारत सरकार द्वारा रिहा किए जाने के बाद मसूद अजहर ने भारत में सबसे ज़्यादा आतंकवादी हमले करवाए। इनमें भारतीय संसद पर हमला (13 दिसंबर 2001), मुंबई आतंकी हमला (26 नवंबर 2011), पठानकोट एयरबेस हमला (2 जनवरी 2016), पुलवामा आतंकी हमला (14 फरवरी 2019) शामिल है।

कंधार विमान हाइजैक की घटना को आज 21 साल पूरे हो चुके हैं। 24 दिसंबर 1999 को आईसी 814 विमान काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ा था जिसे आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था। इसके बाद वह विमान को कंधार लेकर गए थे। इस घटना के वक्त विमान में 176 यात्री और 15 क्रू के सदस्य मौजूद थे। 

इस विमान में सवार सभी यात्रियों की जान बचाने के लिए भारत सरकार ने तीन आतंकवादियों मसूद अज़हर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा किया था। इस मामले में सीबीआई ने कुल 10 लोगों को आरोपित बनाया था, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उसमें से 7 लोग (5 अपहरणकर्ता) फ़िलहाल पाकिस्तान में मौजूद हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह आतंकवादी अभी कहाँ हैं।

भारत सरकार द्वारा रिहा किए जाने के बाद मसूद अजहर ने भारत में सबसे ज़्यादा आतंकवादी हमले करवाए। इनमें भारतीय संसद पर हमला (13 दिसंबर 2001), मुंबई आतंकी हमला (26 नवंबर 2011), पठानकोट एयरबेस हमला (2 जनवरी 2016), पुलवामा आतंकी हमला (14 फरवरी 2019) शामिल है। 

पुलवामा आतंकी हमले के मामले में मसूद अजहर को फ़रार घोषित किया गया है। मसूद अजहर ने साल 2000 में आतंकवादी संगठन ‘जैश-ए-मोहम्मद’ का गठन किया और इसके ज़रिए कई बड़ी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया। 2019 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था। फ़िलहाल वह किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। 

मसूद अजगर की तरह मुश्ताक अहमद ने भी भारत सरकार द्वारा रिहा किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में कई ग्रेनेड हमले करवाए। फरवरी 2019 में सीआरपीएफ़ जवानों के काफ़िले पर हुए आतंकवादी हमलों के पीछे भी मुश्ताक अहमद का हाथ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ मुश्ताक अहमद को मसूद अजहर का करीबी भी माना जाता है और वह मूल रूप से कश्मीर का रहने वाला है।

जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर का एक और करीबी आतंकवादी उमर शेख, जिसने 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की थी। उस पर लगाए गए आरोपों के मुताबिक़ उमर शेख ने यह घटना पूरी साज़िश के तहत अंजाम दी थी। इस मामले में उमर शेख और उसके साथियों को मृत्यु दंड दिया था लेकिन पाकिस्तान की सिंध हाईकोर्ट ने 2020 में सभी को बरी कर दिया था। हालाँकि, दिवंगत पत्रकार डेनियल पर्ल के परिवार वालों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर अभी सुनवाई जारी है। 

गौरतलब है कि इंडियन एयरलाइन्स का विमान आईसी 814, 24 दिसंबर 1999 को शाम साढ़े चार बजे काठमांडू स्थित त्रिभुवन हवाई अड्डे से दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ा था। भारत के क्षेत्र में दाख़िल होते ही उसे 5 हथियारबंद आतंकियों ने अगवा कर लिया था। इसके बाद उन्होंने पायलट से कहा कि वह विमान को पाकिस्तान के लाहौर ले चले, जिस पर पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए कहा कि विमान में उतना ईंधन नहीं है। लगभग 6 बजे के आस-पास विमान को अमृतसर में लैंड कराया गया और फिर लाहौर के लिए रवाना हो गया। 

पाकिस्तानी सरकार की अनुमति के बगैर उस विमान को लाहौर में उतारा गया और फिर रात के लगभग पौने दो बजे यह विमान दुबई पहुँचा। यहाँ ईंधन के बदले लगभग 27 यात्रियों को छोड़ा गया जिसमें अधिकांश बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे। अंत में इस विमान की लैंडिंग कंधार अफग़ानिस्तान में हुई। इस बीच विमान पर सवार अन्य यात्रियों के बीच भय पैदा करने के लिए आतंकवादियों ने 25 साल के रूपल कात्याल की हत्या कर दी थी। रूपल की हाल ही में शादी हुई थी और आतंकवादियों ने उन्हें चाकुओं से गोद कर मारा था। 

आतंकवादियों ने विमान में मौजूद यात्रियों को छोड़ने के लिए 35 आतंकियों की रिहाई और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की माँग उठाई थी। कई दिनों तक चली बातचीत के बाद 31 दिसंबर को तय हुआ कि 3 आतंकवादियों को रिहा किया जाएगा। तत्कालीन एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद जैश-ए-मोहम्मद के इन तीनों आतंकवादियों को अपने साथ कंधार लेकर गए थे। 

भारत सरकार और आतंकवादियों के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफग़ानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर अगवा किए गए सभी यात्रियों को रिहा किया गया था। समझौता होते ही तालिबान सरकार ने उन्हें 10 घंटे के भीतर अफग़ानिस्तान छोड़ने की बात कही थी। शर्तों पर सहमति के बाद आतंकवादी हथियारों के साथ विमान से उतरे और हवाई अड्डे पर इंतज़ार कर रही गाड़ियों में बैठ कर रवाना हो गए।            

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -