राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की महिला पुलिसकर्मियों की शक्ति (संख्या) में इस वर्ष 16% का इजाफा हुआ है। 1 जनवरी से यदि जोड़ें तो इस वर्ष महिलाओं की साझेदारी में 10.3% की बढ़ोतरी हुई, जबकि पिछले वर्ष यह प्रतिशत 8.9 फीसद था। एक ऐसे क्षेत्र में जहाँ दशकों से पुरुष प्रधानता का बोलबाला रहा हो, वहाँ महिलाओं की इस बढ़ती साझेदारी को खूब सराहा जा रहा है।
इस क्षेत्र में सबसे बढ़िया साझेदारी महिला पुलिकर्मियों की बिहार में 25.3% के साथ दर्ज हुई। इसके बाद हिमाचल में यही शेयर 19.15%, चंडीगढ़ में 18.78% और तमिलनाडु में 18.5 % देखने को मिला। जम्मू कश्मीर पुलिस में सबसे कम महिलाओं की साझेदारी देखने को मिलती है और इसके बाद तेलंगाना में भी यही हाल है।
यह सारी जानकारी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने मंगलवार (दिसंबर 29, 2020) को मुहैया करवाई। उन्होंने इस ओर भी ध्यान आकर्षित करवाया कि प्रति लाख के हिसाब से पुलिस संख्या में पिछले साल के मुकाबले (158.2) इस वर्ष (155.7) गिरावट देखी गई।
इसके अलावा यह भी पता चला कि राज्यवार ढंग से पुलिस जनसंख्या अनुपात की गणना में सबसे सशक्त नागालैंड है। वहाँ प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से 1301 पुलिसकर्मी हैं। इसी तरह अंडमान एंव निकोबार, मणिपुर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में भी पुलिस जनसंख्या का आँकड़ा सराहनीय है। वहीं प्रति लाख में पुलिस जनसंख्या का सबसे निम्न आँकड़ा बिहार, दमन एंड दिउ, पश्चिम बंगाल, आँध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर बताती है कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में पुलिसकर्मियों की स्वीकृत शक्ति 26.23 लाख होती है, लेकिन वास्तविकता में ये आँकड़ा सिर्फ 20.9 लाख तक सीमित है। आँकड़े बताते हैं कि कुल मिलाकर राष्ट्रभर में पुलिसबलों में कर्मियों के लिए स्वीकृत पदों का लगभग पाँचवाँ हिस्सा खाली रहता है।
हालाँकि, पूरे राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में महिला पुलिसकर्मियों की शक्ति 1.85 लाख से बढ़कर 2.15 लाख हो गई, जो बताता है कि इनमें 16% की वृद्धि हुई।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों (CAPFs) में उनकी हिस्सेदारी केवल 2.9% थी। CAPF कर्मियों में ( ITBP, BSF, CRPF, CISF, SSB, NSG) में महिलाएँ 29249 की संख्या में थीं। इनमें CISF में इनकी संख्या 8,631, CRPF में 7,860 और BSF में 5,130 थीं।
बता दें कि केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं की साझेदारी ने साल 2014 के बाद उछाल देखा था। 2014 में इनकी संख्या 1.11 लाख हुआ करती थी और 2019 में ये संख्या 2.15 लाख पहुँच गई है। इनका एक कारण राज्यों द्वारा अपनाया गया आरक्षण का तरीका भी है। आज 14 राज्य महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देते हैं। 2 राज्य 20 फीसद कोटा और तीन राज्य 10 फीसद कोटा देते हैं। इसके अलावा केंद्रीय फोर्स में भी लड़कियों के लिए आरक्षण लेकर आया गया है।