लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार (अगस्त 17, 2019) को कहा कि गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति का पार्टी चला पाना काफी मुश्किल है, क्योंकि गाँधी-नेहरू परिवार ही कॉन्ग्रेस की ब्रांड इक्विटी हैं। चौधरी के मुताबिक, कॉन्ग्रेस पार्टी की वापसी अब काफी हद तक उन क्षेत्रीय पार्टियों के कमजोर होने पर निर्भर है, जिनकी कोई विचारधारा ही नहीं है।
चौधरी ने कहा कि कॉन्ग्रेस जैसी मजबूत विचारधारा वाली पार्टी, जिसकी हर जगह पहुँच हो वह पार्टी ही भाजपा जैसे सांप्रदायिक दल का सामना कर सकती है। अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि वर्तमान समय में क्षेत्रीय दल जिस तरह से काम कर रहे हैं, वे आने वाले दिनों में अपना महत्व खो देंगे और उनके महत्व खोने का मतलब है कि देश द्विध्रुवी राजनीति की ओर बढ़ जाएगा। और द्विध्रुवी राजनीति की स्थिति उत्पन्न होने से कॉन्ग्रेस दोबारा सत्ता में आ सकते हैं। इसलिए पार्टी का भविष्य उज्ज्वल है।
कॉन्ग्रेस नेता ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी की वापसी अब काफी हद तक उन क्षेत्रीय पार्टियों के कमजोर होने पर निर्भर करता है, जिनकी कोई विचारधारा ही नहीं है। जबकि कॉन्ग्रेस को व्यापक समर्थन प्राप्त है। साथ ही उन्होंने सोनिया गाँधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि सोनिया गाँधी पार्टी की डोर हाथ में नहीं लेना चाहती थीं, लेकिन राहुल गाँधी के इस्तीफा देने के बाद संगठन को संकट में देख उन्होंने वरिष्ठ कॉन्ग्रेस पदाधिकारियों का अनुरोध स्वीकार कर लिया। चौधरी ने कहा कि सोनिया गाँधी ने संकट के समय में पार्टी की बागडोर संभाली। उन्हीं के नेतृत्व में ही मुश्किल समय में 2004 और 2009 में दो बार कॉन्ग्रेस ने सरकार बनाई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘गाँधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति का पार्टी का नेतृत्व करना वास्तव में मुश्किल होगा। राजनीति में भी ‘ब्रांड इक्विटी’ होती है। अगर आप अभी भाजपा को देखेंगे तो क्या मोदी और शाह के बिना वह सुचारू रूप से चल सकती है? जवाब है नहीं। इसी तरह हमारी कॉन्ग्रेस पार्टी में भी गाँधी परिवार हमारी ‘ब्रांड इक्विटी’ है। इसमें कोई नुकसान नहीं है। किसी और पार्टी के पास वह बात नहीं है। यह एक कठोर सत्य है।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुराने और नए लोगों का मिश्रण पार्टी के लिए अच्छा है। पार्टी में विचारों में अंतर हो सकता है, लेकिन लक्ष्य समान है। चौधरी का कहना है कि कॉन्ग्रेस राजनैतिक और वैचारिक दोनों ही स्तर पर भाजपा से लड़ रही है। अभी भले ही सांप्रदायिक राजनीति का स्तर ऊपर है, मगर ये स्थाई नहीं रहेगा। जल्दी ही चीजें बदल जाएँगी।
वहीं, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने को लेकर चौधरी का कहना है, “जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया वह अभूतपूर्व और अलोकतांत्रिक है। हमने यूटी को राज्यों में परिवर्तित होते देखा है लेकिन यह पहली बार है कि किसी राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया है।”