सर्वोच्च न्यायालय ने देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है। इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। इसी क्रम में बुधवार (11 मई, 2022) को शीर्ष अदालत के फैसले पर एक ट्वीट कर राहुल गाँधी ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और देशभक्ति की बात की। इसके जरिए उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने लिखा, “सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच को कुचलना राजहठ है। डरो मत!” इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशद्रोह कानून पर रोक लगाने वाला टीओआई का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया।
सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 11, 2022
सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं।
सच सुनना राजधर्म है,
सच कुचलना राजहठ है।
डरो मत! pic.twitter.com/AvbWVxKh6p
राहुल गाँधी के लोकतंत्र पर इस ज्ञान के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उनपर करार पलटवार किया। रिजिजू ने कई सारे ट्विटर थ्रेड शेयर कर कहा, “राहुल गाँधी के खोखले शब्द। अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस है। यह पार्टी हमेशा भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और भारत को विभाजित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।”
Empty words by @RahulGandhi
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 11, 2022
If there is one party that is the antithesis of freedom, democracy and respect for institutions, it is the Indian National Congress.
This Party has always stood with Breaking India forces and left no opportunity to divide India. https://t.co/Rajl1pG2v8
अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, “पहला संशोधन कौन लाया? पंडित जवाहरलाल नेहरू के अलावा कोई नहीं! यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जनसंघ थे जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के उनके उद्देश्यों के खिलाफ खड़े थे। नेहरू जी ने केरल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को भी बर्खास्त कर दिया था।”
इंदिरा गाँधी का जिक्र कर दिया करारा जबाव
रिजिजू यहीं नहीं रुके, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर राहुल के लेक्चर पर उन्हें उनकी दादी इंदिरा गाँधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल की याद दिला दी। रिजिजू ने कहा कि जहाँ तक फ्रीडम ऑफ स्पीच को कुचलने की बात है तो इसमें श्रीमती इंदिरा गाँधी तो गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। आपातकाल के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं उन्होंने 50 से भी ज्यादा बार अनुच्छेद 356 लगाया था और वो संविधान के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका को कमजोर करने के इरादे से ही आई थीं।
And…
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 11, 2022
UPA Government has the worst track record of filing sedition cases. In 2012, thousands of people had sedition cases filed against them under the watchful eyes of ‘Recounting Minister’ P. Chidambaram.
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, वो शख्स इंदिरा गाँधी ही थीं, जिन्होंने देश के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बनाया था। ये एक नई आईपीसी थी, जो कि 1973 में अस्तित्व में आई और 1974 में लागू हो गई। बीजेपी नेता के मुताबिक, कॉन्ग्रेस का देशद्रोह का केस दर्ज कराने में सबसे घटिया रिकॉर्ड रहा है। 2012 में पी चिदंबरम के मंत्री रहते हुए हजारों लोगों पर देशद्रोह के केस दर्ज किए गए थे।