बुढ़ापे में चेहरे की झुर्रियों के बीच उस वक़्त जमुना माई के चेहरे पर खुशी के आँसू आ गए जब 12 साल के इंतज़ार के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिली। पाकिस्तान से 2006 में आईं जमुना माई शुक्रवार से भारत की नागरिक हो गई हैं, हालाँकि अब उनकी उम्र 101 साल है। बता दें कि जमुना माई जोधपुर में एक छोटे से गाँव सोधा री धाणी में 12 साल पहले आकर बसी थीं और उन्होंने 2015 में यहाँ की नागरिकता के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने अब उन्हें नागरिकता प्रदान की।
नागरिकता हासिल करने वाली सबसे बुजुर्ग महिला
भारतीय नागरिकता मिलने के बाद जमुना माई ने अपने परिवार के साथ खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “मुझे भारत की नागरिकता मिली है और मैं बहुत खुश हूँ कि अब मैं भारत में हूँ, और रहूँगी। आखिरकार 12 साल के बाद मुझे नागरिकता मिल ही गई।” वहीं जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि जमुना माई भारत की नागरिकता हासिल करने वाली देश की सबसे बुजुर्ग महिला हैं।
जमुना माई के बेटे आत्माराम ने कहा, “मेरे दादाजी राजस्थान के रहने वाले थे वो अकाल में पाकिस्तान चले गए थे। हालाँकि, बाद में हमने समस्या का सामना करना शुरू कर दिया और भारत वापस आने का फैसला किया। आज मेरी माँ भारत की नागरिक बन गई हैं। हम चाहते हैं कि हमारे पूरे परिवार को भारत की नागरिकता मिले।”
2006 में धार्मिक वीजा पर आया था परिवार
जमुना माई 2006 में भारत आईं थी। इससे पहले उनका परिवार पाकिस्तान के कब्ज़े वाले पंजाब में ज़मींदारों के यहाँ खेती करके गुजारा कर रहा था। जमुना के बेटे आत्माराम बताते हैं कि भारत में 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पाकिस्तान में रहना उनके लिए आसान नहीं था, जिसके कारण उन्हें भारत आना पड़ा।
पंजीकरण के आधार पर मिल सकी नागरिकता
जमुना माई को नागरिकता अधिनियम 1955 के आधार पर भारत की नागरिकता दी गई है। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 में ग़ैरक़ानूनी अप्रवासी न होने पर ही नागरकिता पाने का प्रावधान है। भारत के नागरिक के तौर पर पंजीकृत होने के लिए आवेदन करने से पहले न्यूनतम सात वर्ष तक भारत में निवास अनिवार्य है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों को क़ानूनी तौर पर वीजा लेकर भारत में आने पर ही यहाँ की नागरिकता मिल सकती है।