खूंखार आतंकवादी ज़ाकिर मूसा के अपराधों पर पर्दा डालने की क़वायद में मेनस्ट्रीम मीडिया भी पीछे नहीं है। मूसा जो हिज़्बुल का पूर्व कमांडर था और फ़िलहाल अल-क़ायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसार ग़ज़ावत-उल-हिंद का सरगना था, उसे सुरक्षा बलों ने 23 मई को मार गिराया था।
लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया और कुछ तथाकथित-धर्मनिरपेक्ष-उदारवादी मारे गए इन आतंकियों की मौत का शोक मनाने में कभी विफल नहीं होते और वो अक्सर कुख़्यात आतंकियों के अपराधों पर पर्दा डालने पर उतारू हो जाते हैं। इतना ही नहीं मेनस्ट्रीम मीडिया ऐसे आतंकियों को ‘नायक’ या ‘शहीद’ का दर्जा देने से भी नहीं चूकती।
Zakir Musa, was tracked down and killed on May 23.
— News18.com (@news18dotcom) May 30, 2019
But how did Zakir Musa, who was a fashionable young boy who only cared about his sports bikes and cigarettes, go on to become a dreaded militant in Kashmir? | @Aakashhassan reports.https://t.co/mwj04jUjSh
न्यूज़ 18 ने मारे गए आतंकवादी मूसा पर एक ख़बर प्रकाशित की है। इस ख़बर में मूसा के बारे में ऐसी-ऐसी सांसारिक जानकारी शेयर की गई हैं, जैसे कि वो एक रॉकस्टार या फ़िल्म अभिनेता हो। न्यूज़ 18 की ख़बर में इस बात को उजागर करने का प्रयास किया गया है कि 2013 में, पेशे से इंजीनियर मूसा के पिता अब्दुल रशीद भट को आईफोन, आईपॉड और तीन डेबिट कार्ड वाला एक पैकेट कैसे मिला था। इस ख़बर में मूसा के दुखी पिता के शब्दों को अहमियत देते हुए बताया गया कि मूसा ने अपने विलासिता के जीवन को त्यागकर आतंकवादी बनने का फ़ैसला लिया था।
ख़बर में आतंकवादी मूसा के दोस्तों के हवाले से लिखा गया है कि मूसा को हेयर जेल, महँगे डियोडरेंट, नए कपड़े और जूते पसंद थे।
न्यूज़ 18 की ख़बर में उस मुख्य वजह को भी जानने का प्रयास किया गया, जिसकी वजह से तथाकथित “युवा लड़के जो स्पोर्ट्स बाइक और सिगरेट से प्यार करते थे” वो आतंकवादी संगठनों में क्यों शामिल हो जाते हैं? इस ख़बर में यह ‘ख़ुलासा’ किया गया कि मूसा के आतंकवादी बनने के पीछे एक घटना शामिल है, जब उसे एक पुलिसकर्मी ने थप्पड़ मारा था और उस पर पथराव का झूठा आरोप लगाया गया था।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें आतंकी ज़ाकिर मूसा के पिता एक भीड़ को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि सभी ‘मुज़ाहिद’ अल्लाह के लिए लड़ रहे हैं और उन्हें एकजुट होना चाहिए। मूसा ने इस तथाकथित ‘आज़ादी’ के लिए कभी संघर्ष नहीं किया, बल्कि उसने ख़लीफ़ा के लिए लड़ाई लड़ी। वो जिहाद का सिपाही था और उसका घोषित उद्देश्य ग़ज़वा-ए-हिंद था।
This is Zakir Musa’s father saying that all ‘Mujahid’ are fighting for Allah & that they must be united.
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) May 28, 2019
Musa never fought for this so-called “azadi”. He fought for the Caliphate. He was a soldier of Jihad & his stated aim was Ghazwa-e-Hind.
This is radicalisation. ? pic.twitter.com/j190UFwYkX
इससे पहले AltNews के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने आतंकवादी मूसा को ‘अलगाववादी’ कह कर उसके गुनाहों पर पर्दा डालने का भरसक प्रयास किया था।
इसके अलावा मेनस्ट्रीम मीडिया और कई पत्रकारों द्वारा बुरहान वानी और पुलवामा के हमलावरों के नरसंहारों पर भी पर्दा डाला गया था। कुख्यात आतंकियों और मानवता के दुश्मनों को स्टाइलिश, फैशनेबल युवा पुरुष और क्रांतिकारियों के रूप में चित्रित करने का प्रयास ठीक उसी तरह है जैसे पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में अपने एजेंडे को सफल करने के लिए किया जाता है। कुख्यात आतंकियों की पसंद-नापसंद से भला जनता को क्या लेना-देना!
ज़ाकिर मूसा एक अमीर परिवार से था। वह पंजाब के एक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग का छात्र था। इस तथ्य के बावजूद मूसा ने आतंकवादी बनने का विकल्प चुना। उसके आतंकवादी बनने के पीछे बेरोज़गारी और ग़रीबी को दोष नहीं दिया जा सकता। अगर फिर भी कोई उसके बारे में ऐसा सोचता है तो यह सिर्फ़ इस्लामी कट्टरता ही है।
पुलवामा का हमलावर हो या ज़ाकिर मूसा, इन सभी आतंकियों ने अपने मक़सद को स्पष्ट किया था कि वो इस्लामिक ख़िलाफ़त चाहते थे, लेकिन वो कश्मीर को अलग नहीं करना चाहते। जबकि पुलवामा के हमलावर ने कहा था कि वह गोमूत्र पीने वालों को मारना चाहता है। मूसा ने कहा था कि वह भारत के हिन्दुओं से छुटकारा चाहता है। मीडिया और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग ऐसे नरसंहार करने वालों की विचारधाराओं के पीछे के कारणों को खोजने का प्रयास करते रहते हैं, इनका मक़सद केवल जनता को वास्तविक मुद्दों से भटकाना होता है।