Sunday, November 17, 2024
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‘मेरे चाचा को ऐसे ही मारा था…’: कश्मीर फाइल्स देख फूट-फूट कर रोई महिला, निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के छू लिए पैर

एक ही एक और वीडियो विवेक रंजन ने अपने ट्विटर हैंडल से साझा किया है। वीडियो साझा कर उन्होंने लिखा, "टूटे हुए लोग, बोलते नहीं, उन्हें सुना जाता है।"

भारतीय महिषियों ने कहा है कि आदमी नहीं, समय बलवान होता है। एक समय ऐसा भी था, तब बॉलीवुड गैंग के आशीर्वाद के बिना फिल्मों में काम करना ही नहीं, बनाना और उसे प्रदर्शित करने की सोचना भी मुश्किल था। चेहरा से लेकर फिल्मों के कंटेंट तक यही गैंग तय करते थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि बॉलीवुड के इस प्रोपेगंडा गैंग से पंगा लेकर कोई ना सिर्फ फिल्म को प्रदर्शित भी कर सकता है, बल्कि इस गैंग के विरोध को दरकिनार करते हुए उन्हें नेपथ्य में भी धकेल सकता है। फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए इसे साबित कर दिखाया है।

‘द कश्मीर फाइल्स’ संभवत: पिछले कुछ दशकों में पहली ऐसी फिल्म आई है, जिसे दर्शकों ने देखा नहीं बल्कि महसूस किया है। हर दर्शक फिल्म के हर सीन और संवाद से खुद को आत्मिक रूप से जुड़ा हुआ महसूस करता है। जिन लोगों के परिजनों के साथ ये घटना हुई है, वो तो अपने अतीत को चलचित्र के माध्यम से प्रतिबिंबित होते देख रहे हैं।

इस फिल्म को देखने वाला कोई ऐसा दर्शक नहीं होगा, जो सिनेमा हॉल से नम आँखों से ना निकल रहा हो। कोई अपनी रूलाई को दबा रहा है, तो कोई अपने बहते आँसुओं को छुपाने का प्रयास करता हुआ दिखता है। फिल्म के दर्शकों के ऐसे अनेकों वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिन्हें देखकर की उनके दिल के दर्द का अहसास हो जाता है।

ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला फिल्म देखने के बाद सिनेमा हॉल से बाहर आती है और पास खड़े फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के पैरों को छू लेती है। उस महिला की भाव विह्वलता और दिल के उद्गगार को प्रदर्शित करने का शायद इससे बेहतर भाव कुछ और नजर नहीं आया हो। इस वीडियो को अग्निहोत्री ने फेसबुक पर साझा किया है।

वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि सिनेमा हॉल से निकलने के बाद अपनी उम्र की लगभग पाँचवें दशक में पहुँची एक महिला अग्निहोत्री के पैरों में गिर जाती है। विवेक उन्हें उठाते हैं और गले से लगा लेते हैं। इस दौरान महिला हाथ जोड़े बेसुध से नजर आती है। वह फूट-फूट कर रोते हुए विवेक से कहती है, आपके बगैर कोई नहीं कर सकता। हमारे चाचा को ऐसे ही मारा था। हमने वो सब देखा है।”

एक ही एक और वीडियो विवेक रंजन ने अपने ट्विटर हैंडल से साझा किया है। वीडियो साझा कर उन्होंने लिखा, “टूटे हुए लोग, बोलते नहीं, उन्हें सुना जाता है।”

इस तरह की तस्वीर किसी कलाकार और निदेशक के लिए पुरस्कारों से बड़ा उपहार होता है, लेकिन यह व्यवसायिक नहीं है। इसलिए पीड़ितों के दर्द को दिखाना और जब पीड़ित अपने अतीत को खुली आँखों से देखते हुए संजय बन जाएँ तो यही पुरस्कार होता है।

फिल्म एक कंटेंट नहीं, बल्कि लोगों के दिलों का दर्द, उनके आँसू और उनका अतीत है। जिसे पर्दे पर निर्देशक के साथ-साथ हर कलाकार ने जस का तस रख दिया है। यही कारण है कि अक्षय कुमार जैसा मंझा हुआ कलाकार कहता है कि उन्होंने दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर का इससे बेहतर अभिनय अभी तक नहीं देखा। बताते चलें कि खेर खुद कश्मीर के पीड़ित पंडित परिवार आते हैं।

बॉलीवुड गैंग के विरोध और बॉयकाट के बावजूद विवेक अग्निहोत्री ने बॉलीवुड के स्थापित और अकाट्य कहे जाने वाले तिलिस्म को तोड़ दिया है। कंगना रनौत भी इस लड़ाई में उनकी बहुत बड़ी साझेदार हैं। बहरहाल, दर्शकों के दिलो-दिमाग को झकझोर कर रख देने वाली इस फिल्म को देखने के लिए लोगों में एक अलग किस्म की ही दीवानगी देखने को मिल रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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