विनोद दुआ पत्रकारिता के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है, पुराना नाम है। विनोद दुआ का नाम है या फिर वो बदनाम हैं, इसका निर्णय तो जनता कर ही रही है, लेकिन इस बीच हम उनके ऐसे दोहरे रवैये को जनता के समक्ष रखना चाहते हैं, जिसे आपको देखना, सुनना व जानना चाहिए। यौन शोषण के आरोपित विनोद दुआ की बेटी मल्लिका दुआ भी तब तक पीड़ित महिलाओं के लिए ख़ूब आवाज़ उठा रही थीं, जब तक ख़ुद उनके पिता ही उसमें न फँस गए। लेकिन, उसके बाद उन्होंने अपने पिता का बचाव किया और उनके ख़िलाफ़ एक शब्द भी नहीं कहा। इससे पता चलता है कि विनोद दुआ की लेगेसी सही हाथों में है। ताज़ा विवाद 2 दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्रियों को लेकर उनके द्वारा कही गई बातों से उपजा है।
दरअसल, जब अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ था, तब उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर वामपंथी कविता कृष्णन समेत कई लोगों ने भद्दी टिप्पणियाँ की थीं। विनोद दुआ ने अटल बिहार वाजपेयी के निधन के बाद कहा था कि हमारे देश में मृत व्यक्ति को अचानक से महान बना देने का एक चलन है, जो कि एक प्रकार का पाखंड है। इन्होंने वाजपेयी को दी जा रही श्रद्धांजलि की चर्चा करते हुए कहा था कि उन्हें ‘जिस तरह की’ श्रद्धांजलियाँ दी जा रही हैं, उसे पॉलिटिकली करेक्ट समझा जाता है। इसके आगे विनोद दुआ ने सच्ची श्रद्धांजलि की परिभाषा बताते हुए कहा था कि असली श्रद्धांजलि तभी हो सकती है जब निधन के बाद किसी की अच्छाइयों के साथ-साथ बुराइयों की भी चर्चा की जाए।
Hypocrite or even worse character ?? @VinodDua7
— CONgress Mukt Bharat (@sagenaradamuni) May 7, 2019
This is just another example how Luyten media twists facts & figures to suit their & CONgis agenda pic.twitter.com/qZmqp5Yt5k
अभी कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने पूर्व पीएम राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी नंबर 1 कहा था। इसके बाद सियासी तूफ़ान खड़ा हो गया और कॉन्ग्रेस ने मोदी पर व्यक्तिगत व भद्दी टिप्पणियाँ करनी शुरू कर दी। तरह-तरह के विपक्षी नेताओं व कथित बुद्धिजीवियों ने कहा कि राजीव गाँधी के बारे में ऐसा कोई भी बयान देना ग़लत है क्योंकि वो मर चुके हैं। इनमें विनोद दुआ भी शामिल हो गए हैं। तमाम तरह के लोग जो वाजपेयी के निधन के बाद उनकी बुराइयाँ गिनने के इच्छुक थे, उन्होंने राजीव गाँधी, उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और सिख दंगों में उनकी भूमिका के आरोपों पर कुछ भी बोलने से नाराज़ हैं। विनोद दुआ के लिए, राजीव गाँधी के बारे में कुछ बोलने का अर्थ हुआ- ‘कुर्सी के लिए नीचे गिरना’।
विनोद दुआ ने ताज़ा वीडियो में कहा कि हमारे ‘प्रधानसेवक’ ने कुर्सी पाने की लालसा में गिरते हुए दिवंगत पीएम राजीव गाँधी के बारे में ऐसी टिप्पणी की, जो ग़लत है। विनोद दुआ ने अपने वाजपेयी के समय के स्टैंड को बदलते हुए आगे कहा कि हमारे यहाँ एक नियम है कि जो दिवंगत हो चुके हैं, जिनका निधन हो चुका है, उनके बारे में ऐसा न बोला जाए। यौन शोषण के आरोपित पत्रकार दुआ के लिए जो उस समय ‘पाखंड’ था, वो अब ‘नियम’ बन चुका है। वाजपेयी के निधन के तुरंत बाद उनकी बुराइयाँ गिना कर उन्हें ‘सच्ची श्रद्धांजलि’ देने वाले दुआ राजीव गाँधी पर भ्रष्टाचार से लेकर सिख दंगों में उनकी भूमिका को लेकर लगे आरोपों की चर्चा से खिन्न हैं। दुआ जैसे लोगों के लिए ही शायद दोमुँहे साँप वाली कहावत बड़े-बुजुर्ग लिख गए हैं।