चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव में सभी ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ वीवीपैट (Voter verifiable paper audit trail) जोड़ने की घोषणा की है। ऐसा राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम के ख़िलाफ़ किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों और उसे कटघरे में खड़ा करने के प्रयासों के कारण किया गया है। कई राजनीतिक दलों की माँग है कि वापस बैलेट पेपर से चुनाव होने चाहिए। वैसे बैलेट पेपर के दिनों में बूथ लूट की घटनाएँ किसी से छिपी नहीं हैं। जब पूरी दुनिया आधुनिकता की तरफ़ बढ़ रही है, भारतीय विपक्षी दल भूतकाल में लौटने की बातें कर रहे हैं।
इंग्लैंड और अमेरिका का उदाहरण देने वाले ये नेता उन देशों और भारत के बीच के जनसंख्या गैप को भी काफ़ी आसानी से नज़रअंदाज़ कर देते हैं। कभी अमेरिका में कोई नकाबपोश कथित ख़ुलासे करता है तो कभी ब्लूटूथ से ईवीएम ‘हैक’ होने लगता है। अब जब चुनाव आयोग ने वीवीपैट (VVPAT) लाने की घोषणा की है, तो आइए जानते हैं कि ये क्या है और किस तरह कार्य करता है।
क्या है VVPAT?
वीवीपैट भी एक तरह की मशीन ही होती है जिसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। ईवीएम से वीवीपैट को जोड़ने के बाद अगर कोई मतदाता वोट डालता है तो उसके तुरंत बाद एक पर्ची निकलती है, जिसमें जिस उम्मीदवार को मत दिया गया है, उसका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में ईवीएम में डाले गए वोट और पर्ची का मिलान कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वोट उस उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसपर बटन दबाया गया हो। ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची 7 सेकेंड तक दिखाई देती है।वीवीपैट को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने डिज़ाइन किया है। 2013 में डिज़ाइन की गई इस व्यवस्था का प्रथम प्रयोग उसी साल हुए नागालैंड के चुनावों में किया गया था।
#ElectionCommissionOfIndia has specified elaborate standard operating procedures for #EVM and #VVPAT; Model Code of Conduct comes into effect from today in entire country: CEC Sh Sunil Arora#LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/A5MUHRgp6H
— PIB India (@PIB_India) March 10, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए वित्त की व्यवस्था करने को कहा था। चुनाव आयोग ने जून 2014 में ही तय कर लिया था कि आगामी लोकसभा चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा। आयोग ने इसके लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपए की माँग की थी। बीईएल ने वर्ष 2016 में 33,500 वीवीपैट मशीनों का निर्माण किया था। 2017 के गोवा के चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। 2018 में हुए पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी 52,000 वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया गया था।
यह भी आपके जानने लायक है कि वीवीपैट में जिस प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है, वह भी काफ़ी उत्तम क्वॉलिटी का होता है। इस पर्ची पर जिस स्याही का इस्तेमाल होता है, वो जल्दी नहीं मिटती। इतना ही नहीं, इस प्रिंटर में एक ऐसा सेंसर भी लगा होता है, जो ख़राब प्रिंटिंग को तुरंत चिह्नित कर लेता है। ईवीएम को लेकर विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा कई प्रकार के अफवाह फैलाए जाते रहे हैं। ईवीएम को हैक करने की ख़बरों के बीच एक चुनाव अधिकारी ने बताया:
“ईवीएम एक चिप आधारित मशीन है, जिसे केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। उसी प्रोग्राम से तमाम डेटा को स्टोर किया जा सकता है लेकिन इन डेटा की कहीं से किसी तरह की कनेक्टिविटी नहीं है लिहाजा, ईवीएम में किसी तरह की हैकिंग या रीप्रोग्रामिंग मुमकिन ही नहीं है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है।”
Every election booth will have VVPAT declares CEC. Claims EVM security being beefed up further post assembly election experience. Hope sore losers aren’t going to cry about EVMs being rigged. It’s the same machine that makes you win and lose. Don’t do a Nach Na Aaye…on us pl.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) March 10, 2019
अप्रैल 2017 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया था कि अगस्त 2018 तक 16 लाख 15 हजार वीवीपीएटी मशीनों की ख़रीद की जाएगी। सबसे बड़ी बात कि वीवीपैट की पर्ची में मतदाता को उसके द्वारा वोट किए गए प्रत्याशी के नाम और उसके चुनाव चिह्न उसी भाषा में दिखाई देते हैं, जो मतदाता चुनता है, बशर्ते की वह भाषा सूचीबद्ध हो। वैसे अब वीवीपैट को लेकर भी नया विवाद खड़ा हो जाए, इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या गारंटी है कि ईवीएम जैसी सुरक्षित और विश्वसनीय मशीन को लेकर राजनीति चमकाने वाले नेता वीवीपैट को सवालों के घेरे में खड़ा नहीं करेंगे?