Sunday, November 24, 2024
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ऑल्ट न्यूज वाला जुबैर फैला रहा बिरयानी पर फेक खबर, हिंदू राजा नल के जनेऊ पर भी उड़ाया मजाक

ऑल्ट न्यूज का सह-संस्थापक है मोहम्मद ज़ुबैर। उसने एक ट्वीट को रिट्वीट किया। इसमें राजा नल खाना पका रहे हैं और व्यंजनों की इन्फोग्राफिक दी हुई। जुबैर यह बर्दाश्त न कर सका। व्यंग्य करते हुए लिख डाला - जनेऊ वाला ब्राह्मण दुनिया में सबसे पहले बिरयानी बनाने वाला।

नाम मोहम्मद जुबैर। काम ऑल्ट-न्यूज में। धंधा फैक्ट चेक के नाम पर फेक खबर फैलाना। इस बार जुबैर ने राजा नल और बिरयानी को लेकर झूठ फैलाया। ऐतिहासिक संदर्भ दिए जाने के बाद भी मोटी चमड़ी वाले जुबैर ने अपना ट्वीट डिलीट नहीं किया।

अब कहानी विस्तार से। हुआ यह कि हिंदू इकोसिस्टम (Hindu Ecosystem) नाम के ट्विटर हैंडल ने पाक ग्रंथ पाकदर्पण (Pakadarpanam) का संदर्भ देते हुए सबसे पहले बिरयानी भारत में बनाने का दावा करने वाला एक ट्वीट किया। मोहम्मद जुबैर ने इसी पर कटाक्ष किया।

जुबैर ने लिखा, “तो जनेऊ पहने एक ब्राह्मण ने सबसे पहले बिरयानी को दुनिया के सामने पेश किया। यह कहानी उतनी ही प्रामाणिक है, जितनी कि अनऑफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी (Unofficial Subramanian Swamy) के मोनाली शाह (मोनालिसा) और माई का लाल जयकिशन (माइकल जैक्सन) के बारे में दावे करना।”

ट्वीट डिलीट करके भागेगा तो यही स्क्रीनशॉट से फिर धरा जाएगा

ट्वीट करने के लिए जुबैर ने ट्वीट कर दिया। बिना इतिहास जाने, बिना फैक्ट को चेक किए… जो वो या उसका ऑल्ट न्यूज कभी करता भी नहीं है। उसे सिर्फ यह दिखाना था कि बिरयानी भारतीय व्यंजन नहीं है बल्कि इसे विदेशियों, संभवतः मुगलों और अन्य मुस्लिम शासकों (एक तरह के आतंकी और लूटेरे) द्वारा भारत लाया गया।

मुगल-मुस्लिम प्रेम तो दिखा डाला… लेकिन जुबैर फँस गया। कैसे? राजा नल (King Nala) के बारे में तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी देकर। उन्हें ‘जनेऊ-धारी ब्राह्मण’ बता कर।

यूजर्स ने राजा नल मामले में जुबैर को काटा… तथ्यों से

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की पीएचडी स्कॉलर मोनिका वर्मा ने एक ट्वीट कर जुबैर के झूठे दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने लिखा कि राजा नल ब्राह्मण नहीं क्षत्रिय थे और क्षत्रियों में भी जनेऊ पहनने की प्रथा आम थी। वर्मा ने यह भी लिखा कि क्षत्रिय मांसाहार खा और पका सकते हैं।

सावित्री मुमुक्षु लेखिका और पाक कला में दक्ष हैं। इन्होंने पाकदर्पण (Pakadarpanam) पर प्रकाश डालते हुए लिखा है, जुबैर ने शायद पढ़ा नहीं होगा। पाकदर्पण एक ऐसा ग्रंथ, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे स्वयं राजा नल ने लिखा था। राजा नल की पाक पुस्तक में इमली चावल, नींबू चावल, चिकन-मांस-बटेर वाली अलग-अलग बिरयानी, और तहरी सहित चावल के व्यंजनों का वर्णन किया गया है, जो महाभारत काल से पहले भी भारत में खाए जाते थे।

पाकदर्पण में ममसोदाना नामक व्यंजन का उल्लेख है, जिसमें मांस पुलाव या बिरयानी, कुक्कुटमांसतैलोदाना (चिकन बिरयानी) और लबुकमासोदाना (बटेर चावल) जैसे अलग-अलग बिरयानी के बारे में विस्तार से लिखा गया है।

ट्विटर पर कई लोगों ने जुबैर के फैलाए झूठ पर उसे घेरा। वो आमतौर पर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव भी रहता है लेकिन मुगलों या इस्लामी प्रेम की आड़ में शायद वो ये साले ट्वीट देख न पाया होगा। यही कारण है कि उसने अपना फेक ट्वीट अभी तक डिलीट नहीं किया है।

बिरयानी, चटनी, कोड़ा-लहसुन… सब मुगलों की देन

प्राचीन हिंदू ग्रंथों में है ही क्या? भारत का अपना कोई इतिहास भी है? हिंदू कहाँ से सभ्यता-संस्कृति, खान-पान आदि जानेंगे? वामपंथी ऐसा ही सोचते हैं। ऑल्ट न्यूज हो या उसका मोहम्मद जुबैर… ये सब इसी वामपंथी सोच के चमचे हैं। इनके अनुसार इस्लामी आक्रमणकारियों ने ही भारत को सब कुछ दिया है।

यह सच है कि मुगल व्यंजनों और विशेष रूप से दिल्ली, लखनऊ और हैदराबाद की रसोई में बिरयानी लोकप्रिय थी… लेकिन यह कैसे मान लिया जाए कि इसे इस्लामी आक्रमणकारियों द्वारा ही लाया गया? क्योंकि तर्क इससे परे हैं।

भारत में मुगल वंश का संस्थापक बाबर मध्य एशिया की फ़रगना घाटी से आया था। वहाँ कृषि लगभग असंभव थी… अत्यधिक तापमान, बंजर भूमि और सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण। जबकि चावल जोकि बिरयानी का प्राथमिक घटक है, केवल उसी मिट्टी में उगता है, जिसमें पानी की अधिक मात्रा होती है। इसलिए बिरयानी मुगल लेकर आए… विश्वास करना असंभव है।

भारतीय पहचान को कम करने, भारतीय योगदान को नकारने का प्रयास भारत के वामपंथी इतिहास लेखन की विशिष्टता है। इसलिए जब भी जुबैर जैसे चमचे ऐसा कुछ झूठ फैलाते हैं तो उसका फैक्ट चेक कीजिए, तर्क के तराजू पर तौलिए।

देवदत्त पटनायक का वो लेख, जिसमें उन्होंने माना कि राजा नल पाक कला के बड़े महारथी थे

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देवदत्त पटनायक (वामपंथियों द्वारा जिसे अक्सर भारत के इतिहास पर आधिकारिक माना जाता है, स्रोत के रूप में उद्धृत किया जाता है) ने भी राजा नल के बारे में ऐसी बातें लिखीं हैं, जो ऐतिहासिक विवरणों से मेल खाती हैं। उन्होंने एक लेख लिखा था, जिसमें वर्णन किया गया था कि कैसे राजा नल, जो इस्लामी शासकों के भारत पर आक्रमण करने से बहुत पहले मौजूद थे, ने बिरयानी पकाया।

मिड-डे में प्रकाशित एक लेख में, पटनायक पाकदर्पण (Pakadarpanam) के बारे में लिखते हैं, “सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह पुस्तक स्वदेशी बिरयानी (मनसोदना) के बारे में बताती है: चावल मांस के साथ पकाया जाता है। इसमें चिकन (कुक्कुटा), जानवर, मछली और अंडे सहित पक्षियों के मांस के साथ विभिन्न तैयारियों का विस्तृत विवरण है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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