सावन के महीने में काँवड़िए बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए कोई हरिद्वार तो कोई काशी निकल पड़ा है। उनके लिए जगह-जगह लंगर, आराम करने की जगह से लेकर हरिद्वार में उनपर पुष्प वर्षा भी हो रही है। इस बीच NDTV की पूर्व पत्रकार और मोजो न्यूज़ की संपादक, बरखा दत्त को पुष्प वर्षा से मिर्ची लगी है। जिसके बाद उन्होंने ट्विटर पर आकर इस इसमें प्रशासन की संलिप्तता का विरोध किया है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “राज्य के अधिकारियों के लिए काँवड़ियों पर पंखुड़ियों की बौछार करना लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ पर आपत्ति जताना कैसे ठीक है? मैं साझा सार्वजनिक स्थानों पर फैले धर्म की प्रशंसक नहीं हूँ, लेकिन यह खुले तौर पर पक्षपातपूर्ण है।”
How is it ok for state officials to shower petals on Kanwariyas but object to namaz in public spaces ? Am not a fan of religion spilling over onto shared common public spaces but this is brazenly partisan
— barkha dutt (@BDUTT) July 25, 2022
एक तरह से सार्वजनिक स्थानों पर नमाज के विरोध को देखते हुए उन्होंने काँवड़ियों पर सधा हुआ अटैक किया है। यहाँ उन्हें राज्य की संलिप्तता अखर रही है जबकि कोई त्यौहार सही से उस देश या प्रदेश के लोग मना पाएँ यह भी उसी की जिम्मेदारी होती है। हालाँकि, बरखा दत्त के ट्वीट पर जहाँ लिबरल और वामपंथी गिरोह समर्थन में उतरा तो वहीं बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर करारा जवाब दिया है।
बरखा दत्त को जवाब देते हुए मृत्युंजय कुमार ने लिखा, “भोलेनाथ के भक्त काँवड़िया साल में एक महीने के लिए आते हैं। ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके नहीं बैठ जाते। तुलना तो ठीक से करिए बरखा दत्त जी।”
भोलेनाथ के भक्त कांवड़िया साल में एक महीने के लिए आते हैं.. ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके नहीं बैठ जाते।
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) July 25, 2022
तुलना तो ठीक से करिए @bdutt जी। pic.twitter.com/nz6Rx3ftHp
वहीं स्टोरीटेलर नामक ट्विटर हैंडल ने लिखा, “आपकी बात सराहनीय है लेकिन नमाज़ रोज़ाना 5 बार होती है, जो सुबह अज़ान के साथ शुरू होती है और शाम को समाप्त होती है। नमाज और संबंधित लोगों की संख्या और वार्षिक काँवड़ियों के अनुपात में दूसरे मामले में असुविधा ज़्यादा है। कुरान में सड़कों पर नमाज़ अनिवार्य नहीं है लेकिन वे सड़क… यह एक लंबी बहस है।”
Appreciate your point but
— Soldier/Storyteller (@MajorAkhill) July 25, 2022
Namaz is 5 times daily beginning with an Azaan at dawn n ends at dusk. The nos of both the prayers n related people is disproportionate to the yearly Kanwariyas n inconvenience. N on roads ain't mandated in Qur'an but K take the road route. Long debate.
इस मामले में कई लोगों ने बरखादत्त के नमाज से काँवड़ियों की तुलना पर उन्हें यही बात समझाई कि नमाज एक दिन में पाँच बार होती है और जिसके लिए मस्जिद जाने में कोई मनाही नहीं है लेकिन सड़क पर नमाज अनिवार्य नहीं है। और वह रोज की असुविधा है जबकि काँवड़िया साल भर में एक महीने के लिए बाहर निकलते हैं और काँवड़ यात्रा घर में नहीं हो सकती। इसलिए इनकी तुलना ही बेकार है। लोगों ने बरखा दत्त को इस बात पर भी लताड़ भी लगाई है।
आप लोगों के रिएक्शन देख सकते हैं। नीचे कुछ ट्वीट दिए गए हैं।
Kanwariya yatra (happening once in a year) cannot be done from inside home but regular daily prayers are done either at home or at the prayer place like Mandir, Masjid, Gurudwara or a Church
— Pankaj Malviya (@malviyapankaj) July 25, 2022
Because Kanwariyas walk hundreds of kilometres on the roadside once a year and not in the middle of the road every week
— Deepika Narayan Bhardwaj (@DeepikaBhardwaj) July 25, 2022
Schools started having holidays in Friday in minority dominated areas of jharkhand…. You didn't do religious spilling… Today you are feeling it's urgent to do why?
— Shardendu (@Sharden91747847) July 25, 2022
Can't stop yourself right…
Did you ask the same question when state provided salaries to muzzans and Maulvis? When state provided Haj Subsidies. And it's nothing as compared to the funds sucked out by state from Hindu temples. Don't shower flowers on Kanwariyas. Just leave our temples alone.
— मोगैम्बो का भतीजा (@dehaati_elite) July 25, 2022
कया आपने रोजा इफतार पार्टी का कभी विरोध किया,
— Rajnish Kumar Kashyap (@Rajnish35432830) July 25, 2022
हर सरकारी संसथानो मे होता था,
ये नया भारत है,
हमारी सभ्यता और संस्कृति के हिसाब से चलेगा,
भारत आदि काल से सनातनी है,
सनातन धर्म सर्वोपरि है ।
जिहादियों और वामपंथियों का आज का सबसे बड़ा दर्द ये है की कांवड़ियों पर फूल क्यों बरसाए जा रहे है।
— R. K (@raj758298) July 25, 2022
2/2
— Purushottam Jaiswal (@PuruKJaiswal) July 25, 2022
Btw ask them, Nation comes first for you or religion, then come and ask the nation to treat them equally.
Roads are meant for travelling or for offering namaz ?kanwariyas use roads to go to their destination like any other travelers, just like people travels for Hajj. is this same as reading namaz anywhere anytime ? wht happened to your commonsense? @coolfunnytshirt @theskindoctor13 pic.twitter.com/Bp4Vhzr1NZ
— Abinash (@bubuabinash) July 25, 2022
I will give you an answer but am sure you won't like it. India is a Hindu country. It always was and will always be. Anything that glorifies Muslims and Christians will be deemed gazwa e hind or christianization of the land. It will be unpopular and resented by the society.
— Indian Hindu 🇮🇳 (@archit_b) July 25, 2022
हालाँकि, देखा जाए तो यही बरखा दत्त खुलकर कभी हज सब्सिडी या सड़कों पर नमाज के विरोध में एक शब्द भी कहने या लिखने नहीं आतीं। कभी सरकारी संस्थानों या यहाँ तक कि पूर्व के मंत्रियों-नेताओं के घरों में दिए गए रोजा इफ्तार पर के खिलाफ कभी सवाल नहीं उठाया होगा। इनके ट्वीट अक्सर होली, दिवाली या सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े पर्वों पर ही आते हैं। इसलिए बहुत से लोग अपनी टिप्पणियों में इन्हीं मुद्दों पर बरखा दत्त जैसे वामपंथी-लिबरल गिरोह से जवाब माँग रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें मेरठ के आईजी रेंज प्रवीण कुमार और डीएम दीपक मीणा हेलिकॉप्टर से काँवड़ियों पर फूल बरसा रहे हैं।