कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुहर्रम के मौक़े पर समुदाय विशेष के बंधुओं को सलाम पहुँचाया। हालाँकि, उनके सलाम देने का तरीका बिलकुल आम था लेकिन मुहर्रम के मौक़े को ‘पावन अवसर’ लिखने के कारण लोग सोशल मीडिया पर उनकी चुटकी लेने लगे और देखते ही देखते दिग्विजय सिंह केवल ट्विटर पर ही नहीं पूरे सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे।
मंगलवार को मुहर्रम के मौक़े पर उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा,“सभी मुस्लिम भाईयो और बहनों को मुहर्रम के पावन अवसर पर हमारी सलाम।” दिग्विजय के इस ट्वीट के बाद लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया और कुछ लोग तो इसे वोट की राजनीति तक बताने लगे। वहीं, कुछ लोगों ने समझाने का प्रयास किया कि पावन अवसर जैसे शब्दों का प्रयोग कब किया जाता है और मुहर्म क्या है?
किसी ने लिखा मुस्लिमों का दिल ऐसे जीतना संभव नहीं। जालीदार टोपियाँ लगाकर सेवईंयाँ बहुत खाईं हैं, अब खुद को कोड़े भी मारो तो जानें।
ईद पर जालीदार टोपी लगा कर सेवईयां तो बहुत खाने जाते हो,
— AlkaSingh (@ThAlkaSingh) September 10, 2019
अब खुद को कोड़े भी मारो तो जाने
एक यूजर ने उन्हें कहा कि शहीद दिवस पर राजाजी पावन अवसर कैसे लिख सकते हो? तो उसके जवाब में दूसरे यूजर ने कहा कि राजाजी को मुस्लिम परस्ती का नशा है।
राजा जी को मुस्लिम परस्ती का नशा है
— राज अरोरा (@RajShar49301308) September 10, 2019
लोगों ने दिग्विजय सिंह को समझाया, “जब कोई मरता है तो उसे हर्षोल्लास से नहीं मनाया जाता, क्या तुम पावन अवसर कहकर इसे मनाना चाहते हो? दिग्गी तुम सेकुलर बनने के चक्कर में 10 कोड़े भी खा लोगे।”
#Muharram is not celebrated, it is observed .
— Raj Aanand Singh?? (@rajanandbjp) September 10, 2019
When somebody dies, do you celebrate his death and called it पावन अवसर ?
ye diggi secular banne ke chakkar me aaj 10 kode bhi kha lega#MuharramUlHaram pic.twitter.com/3QVzv8sU7t
एक यूजर ने तो उनकी इस गलती को उनके बुढ़ापे का असर बताया और कहा कि टोपी लगाकर रोजा खुलवाने जाने वालों को समुदाय विशेष के त्यौहार का भी मालूम नहीं है। ये पावन नहीं मातम है।
ये बुढापे का असर है कि डोज ज्यादा हो गयी है……… टोपी लगाकर रोजा खुलवाने जाने वालों को मुसलमानों के त्यौहार का भी मालूम नहीं है।
— योगी पुतिननाथ (@yogiputinnath) September 10, 2019
ये पावन नहीं मातम है
गौरतलब है कि इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार मुहर्रम को मातम का महीना कहा जाता है। लेकिन कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे पावन पर्व बताकर खुद ही आफत मोल ले ली। इसकी वजह से उन्हें लोगों की ऐसी तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी। वास्तव में ये दिन कर्बला में मारे गए मुहम्मद के नवासो के बलिदान का दिन है। इस दिन शोक मनाया जाता है न कि सलाम किया जाता है।