देश में एक ऐसा वर्ग है जो राष्ट्रवाद और भारतीय इतिहास से जुड़ी हर दूसरी गतिविधि पर प्रलाप और प्रपंच का सिलसिला शुरू कर देता है। इस बार लिबरल्स के प्रलाप का विषय है दिल्ली यूनिवर्सिटी में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर की मूर्ती की स्थापना। दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने नॉर्थ कैंपस स्थित आर्ट फैकल्टी के गेट पर बिना इजाजत वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमा लगा दी।
इस प्रकरण के बाद सोशल मीडिया पर लिबरल्स का एक वर्ग तुरंत सक्रीय हो गया और उन्होंने भगत सिंह, बोस और वीर सावरकर की इस प्रतिमा का विरोध करना शुरू कर दिया। इस प्रपंच में कॉन्ग्रेस पार्टी भी शामिल थी और इन सबका मकसद था सिर्फ ट्विटर पर #gaddarsavarkar हैशटैग ट्रेंड कराया जाए।
By flouting DU’s rules, ABVP has reiterated their disregard for India’s institutions. Not only have they disrespected the Uni but by placing Savarkar in line with Bhagat Singh & Subhas Chandra Bose, they’ve disrespected the very freedom fighters in whose name they seek votes. https://t.co/sX2hVUfSYo
— Congress (@INCIndia) August 21, 2019
यह कॉन्ग्रेस का दुर्भाग्य ही हो सकता है कि एक ओर जहाँ कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सर से पाँव तक घोटालों में पकड़े जा रहे हैं वहीं उनकी पार्टी का एकमात्र लक्ष्य आज सिर्फ सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड करवाने तक सीमित हो चुका है। शायद अब कॉन्ग्रेस इन्हीं छोटी-छोटी खुशियों में अपना मनोबल तलाशने लगी है। स्वतन्त्रता संग्राम के जिन नायकों पर देश हमेशा गौरवान्वित रहा है, कॉन्ग्रेस अक्सर उनका अपमान करती आई है। और यह विरोध भी उसी का एक उदाहरण है।
इसी क्रम में मीडिया का एक ख़ास लिबरल वर्ग भी इस प्रतिमा के विरोध में कॉन्ग्रेस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता रहा।
Gaddar Savarkar was implicated in Mahatma Gandhi’s assassination. Gaddar Savarkar opposed Quit India movement. Gaddar Savarkar wrote mercy petitions, pledging allegiance to the British to be released from prison. 1/2
— Ruchi Gupta (@guptar) August 21, 2019
Savarkar’s bust placed in DU.
— Zainab Sikander (@zainabsikander) August 21, 2019
NSUI doesn’t even squeak against it.
I suggest @INCIndia to sack every single office bearer of their student union. What’s the point of @priyankagandhi ji & @RahulGandhi ji to speak so vehemently against the Sangh but have a party full of Sanghis?
#Savarkar was a terrorist and a coward ‘Gaddar’ who sided with the British regime. It’s despicable that his bust has been placed in #DelhiUniversity. The university administration should either remove the bust or face the wrath of the students. It’s a warning from a patriot!
— Varun Choudhary (@varunchoudhary2) August 21, 2019
हालाँकि ट्विटर पर ही एक वर्ग ऐसा भी मौजूद है जो प्रपंची लिबरल्स के दुःख पर तथ्यों से मरहम भी लगाते देखे गए।
Most of freedom fighters like Bhagat Singh , S.C Bose Sukhdev & Many others inspired by the “The Indian War Of Independence 1857” written by #VeerSavarkar , The contribution of VD savarkar is much better than Nehru in Freedom struggle.@ippatel @nsui @INCIndia @SinghShaktiABVP pic.twitter.com/yQ1kYlWTNj
— Atharva Raj (@rims88) August 21, 2019
Such Morons forget History that Smt. Indira Gandhi had issued Postal Ticket on #VeerSavarkar & gave money for Savarkar Smarak & recognize his contribution for Freedom Struggle. Both Bhagat Singh & #Netaji Bose were inspired by him.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) August 21, 2019
Were Smt. Gandhi & they also Gaddar @guptar? https://t.co/PdA5ZIKuKF
Your Tallest leader Indira Gandhi
— Rishi Bagree ?? (@rishibagree) August 21, 2019
➡Issued a commemorative stamp in Savarkar’s honour in 1970
➡Gave private donation to his memorial fund
➡Hailed Savarkar’s “daring defiance of the British government”
➡Commissioned a Films Division documentary on him. https://t.co/N2X3IwSrp1
एबीवीपी नेतृत्व वाले छात्रसंघ के अध्यक्ष शक्ति सिंह का कहना है कि उन्होंने कई बार यूनिवर्सिटी प्रशासन से प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति माँगने के लिए संपर्क किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं आया। और उनकी चुप्पी की वजह से ही छात्रों ने यह कदम उठाया है।
DUSU अध्यक्ष शक्ति सिंह का कहना है कि डीयू कैंपस में एक तहखाना है, जहाँ भगत सिंह को ट्रायल के दौरान रखा गया था। छात्रों ने माँग की थी कि या तो भगत सिंह की प्रतिमा लगाई जाए या तहखाने को सार्वजनिक किया जाए, लेकिन डीयू प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।