कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान की राजधानी है जयपुर। जयपुर जिले के विराटनगर का एक छोटा सा गाँव है सूरजपुरा। ज्यादा पुरानी बात नहीं है, इसी साल अप्रैल में खबर आई थी कि पहली बार इस गाँव में कोई दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा। ऐसी खबरें बेहद सुकून देती हैं, क्योंकि ऐसी हर खबर मुस्लिम-अंग्रेजी दासता के दौरान हिंदुओं को विभाजित करने के नाम पर समाज में घुसेड़ी गई गंदगी के खिलाफ स्वच्छता अभियान का हिस्सा हैं।
देश के स्वतंत्र होने के बाद कॉन्ग्रेसी और वामपंथी गिरोह ‘ब्राह्मणवादी/सवर्ण मानसिकता’ का नाम देकर ऐसी गंदगी को खाद देने का काम करते रहे हैं। मसलन 2018 में स्वयंभू दलित मसीहा दिलीप मंडल ने बीबीसी में बकायदा एक लेख लिखकर पूछ भी लिया था- ‘दलितों के घोड़ी पर चढ़ने से सवर्णों को कष्ट क्यों है?’
अब ऐसा लगता है कि अपने हिंदूफोबिक करतूतों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाला पेटा इंडिया भी ब्राह्मणवादी मानसिकता से ग्रसित है। यदि ऐसा नहीं होता तो सूरजपुरा की खबर के चंद महीने बाद ही पेटा को यह कहने की क्या जरूरत थी, “शादी समारोहों में घोड़ी का उपयोग करना अपमानजनक और क्रूर है।”
Using horses at wedding ceremonies is ABUSIVE and CRUEL.
— PETA India (@PetaIndia) October 11, 2021
पेटा यानी पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स ने सोमवार (11 अक्टूबर 2021) को शाम के करीब 7 बजे यह ट्वीट किया था। इसका विरोध किया जाना चाहिए था और सोशल मीडिया में लोग कर भी रहे हैं। पेटा इंडिया पर प्रतिबंध की माँग रही है।
The fraud @PetaIndia is Charitable Company registered under Companies Act. Its objectives being anti-Hindu & anti-India, are anything but charitable.
— M. Nageswara Rao IPS(R) (@MNageswarRaoIPS) October 11, 2021
Madam @nsitharaman Ji, request revoke its registration of u/s 8 Companies Act-2013 immediately.@nsitharamanoffc@PreetiKBanerjee pic.twitter.com/xIPr9YIKrJ
पूर्व आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव ने बताया है कि चैरिटेबल संस्था पेटा हिंदू और भारत विरोधी है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए कंपनीज एक्ट की धारा-8 के तहत इसका पंजीकरण तुरंत रद्द करने की अपील की है। कुछ और यूजर्स की प्रतिक्रिया पर नीचे गौर करिए;
PETA ko agar pet bhar ke galiya naa mile then this is very ABUSIVE and CRUEL ! https://t.co/qmmq2yk5ac
— Paapsee Tannu ( Tax chor ) 2.0 🐦 (@tiranga__1) October 11, 2021
Peta India is the mouthpiece of George Soros only 👊#Bakrid pic.twitter.com/efMzMKVHcs
— Rekha Humble (@HumbleRekha) October 12, 2021
आर्यन शुक्ला नाम के यूजर ने लिखा है, “जानवरों को मार कर खाना सही है, क्योंकि खाने की आजादी है। क्या जानवरों का भक्षण करने वालों का पेटा पालतू है? घोड़ी पर बैठना अपमानजनक और क्रूर है? जानवरों को मार कर खाने वाले सही हैं?”
जानवरो को मार कर खाना सही है? क्योंकि खाने की आजादी है इसलिए मात्र , peta is pet of who eating animals?
— Avan shukla🚩 #जय_श्रीराम (@avntwitt) October 12, 2021
घोड़े पर बैठना ही ABUSIVE AND CRUAL हैं? जानवरो को मार कर खाने वाले सही है?
एक यूजर ने लिखा है, “पोलो के लिए घोड़ों की सवारी करना अच्छा है! दौड़ प्रतियोगिता के लिए घोड़ों की सवारी करना कुलीन है! पुलिस के लिए घोड़ों की सवारी करना सिविल है! लेकिन… शादी के लिए घुड़सवारी करना क्रूर है! यदि कट्टरता को संस्थागत रूप दिया गया, तो इसे ‘पेटा’ के रूप में जाना जाएगा।”
पोलो के लिए घोड़ों की सवारी करना अच्छा है!
— SEKHAR PATEL (@SEKHARPATEL3) October 11, 2021
दौड़ प्रतियोगिता के लिए घोड़ों की सवारी करना कुलीन है!पुलिस के लिए घोड़ों की सवारी करना सिविल है! लेकिन.. शादी के लिए घुड़सवारी करना क्रूर है! यदि कट्टरता को संस्थागत रूप दिया गया, तो इसे “पेटा” के रूप में जाना जाएगा,
Using horses is cruel but killing animals on festivals is not. I am glad I stopped donating to Peta long ago.
— Sapna Madan / सपना मदान (@sapnamadan) October 12, 2021
सपना मदान नाम की एक यूजर ने ट्वीट कर रहा है कि घोड़ी का इस्तेमाल क्रूरता है। लेकिन त्योहारों पर जानवरों को काटना क्रूर नहीं है। मैं खुश हूँ कि मैंने बहुत पहले पेटा को डोनेट करना बंद कर दिया था।
घोड़ों से इतनी मोहब्बत है peta ko पर बकरो और ऊट से नफरत क्यू हैं ।उन्हें जब कुर्बानी के नाम पे मारते हैं लोग तो peta को बहुत अच्छा लगता हैं।इस डरपोक संस्था को बंद करो इसका कोई महत्व नहीं है।सभी डरते हैं ।इनका टारगेट सिर्फ हिंदू हैं।
— Sakun Kumar Prajapati (@5713436e3156444) October 12, 2021
एक यूजर ने ट्वीट किया है, “घोड़ों से इतनी मोहब्बत है पेटा को पर बकरों और ऊँट से नफरत क्यों है। उन्हें जब कुर्बानी के नाम पे मारते हैं तो पेटा को बहुत अच्छा लगता है। इस डरपोक संस्था को बंद करो इसका कोई महत्व नहीं है। सभी डरते हैं। इनका टारगेट सिर्फ हिंदू हैं।”
पेटा के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए यूजर्स ने उसके हिंदू विरोधी चरित्र को भी उजागर किया है। खुद को जानवरों के हित और अधिकारों का पैरोकार बतातने वाली पेटा ने पिछले साल रक्षाबंधन पर्व के लिए चमड़ा मुक्त अभियान (लेदर फ्री कैम्पेन) चलाया था। जबकि इसका किसी भी सूरत में इस पर्व से कोई लेना-देना नहीं है। वैसे पेटा कैसा ‘पशु प्रेमी’ है इसे आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि उसे बूचड़खानों (कानूनी) में गायों के कटने से दिक्कत नहीं। लेकिन आपके दूध और पनीर से है। हिंदू त्योहारों पर प्रकृति प्रेमी, जीव प्रेमी हो जाने वाला पेटा बकरीद जैसे मौकों पर जब हजारों की संख्या में खुलेआम जानवर काटे जाते हैं तब चुप हो जाता है।