Saturday, November 16, 2024
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‘सर कटा सकते हैं, लेकिन ईशनिंदा बर्दाश्त नहीं, फ्रांस मिट जाएगा-इंशा अल्लाह’: रज़ा अकादमी के समर्थन में उतरे कट्टरपंथी

रज़ा अकादमी ने यह भी माँग की कि मजहबी देशों में सभी फ्रांसीसी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया जाए और फ्रांस के सभी राजदूतों को हाल की घटनाओं के बाद वापस भेज दिया जाए। इसने सोशल मीडिया पर लोगों से हैशटैग 'मैक्रों द डेविल' और 'हुज़ूर की मोहब्बत में' लिख कर पोस्ट करने का आग्रह भी किया।

ट्विटर पर शनिवार से #WeStandWithRazaAcademy ट्रेंड कर रहा है। दरअसल सोशल मीडिया पर कई मजहबी यूज़र्स कट्टरपंथी इस्लामी संगठन- रज़ा अकादमी के लिए अपना समर्थन व्यक्त कर रहे है, क्योंकि उन्होंने देश के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक फ्रांस के खिलाफ एक अभियान छेड़ रखा है।

कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के समर्थन को लेकर सोशल मीडिया पर कई इस्लामवादियों ने रज़ा अकादमी के समर्थन में ट्वीट पोस्ट किए।

रज़ा अकादमी के कारनामों का बचाव करते हुए शाहिद मंसूरी नाम के एक यूजर ने कहा कि वो सर कटा सकते हैं, लेकिन ईशनिंदा के कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जीना और मरना उसके अल्लाह को समर्पित है। रजा अकादमी के समर्थन में उसने ट्वीट किया, “फ्रांस मिट जाएगा, इंशा अल्लाह”

एक यूजर ने दावा किया कि रज़ा अकादमी एक मजहबी संगठन था जो जनता के कल्याण के लिए काम करता था और संगठन के खिलाफ आलोचना उन्हें बदनाम करने का एक प्रयास है। उसने साथियों से रज़ा अकादमी का समर्थन करने का आग्रह किया।

रज़ा अकादमी के एक अन्य प्रशंसक सुहैल रज़ा ने कहा, “क्यों लोग पहले उकसाते हैं और फिर उनकी प्रतिक्रिया के लिए दोषी ठहराते हैं।” उसने प्रतिक्रिया के रूप में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा फ्रांस में आतंकवादी हमलों का उल्लेख किया।

वहीं कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन रज़ा अकादमी ने खुद भी इसी हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए कई ट्वीट्स पोस्ट किए। साथ ही रज़ा अकादमी ने मजहबी यूज़र्स को सपोर्ट करने और टॉप ट्रेंड बनाने के लिए धन्यवाद भी दिया, क्योंकि इन सभी ने संगठन को निंदा के लिए इस्लाम की रक्षा के नाम पर नफरत फैलाने का अवसर दिया।

बता दें रज़ा अकादमी के समर्थन में सोशल मीडिया का रुझान कट्टरपंथी इस्लामी संगठन द्वारा फ्रांस के खिलाफ घृणा अभियान छेड़ने के लिए तीव्र आलोचना के बाद आया था।

रज़ा ने फ्रांस के खिलाफ छेड़ा जंग

इस्लामिक संगठन जैसे रज़ा अकादमी, AIMPLB जैसे संगठनों के साथ मिलकर जानबूझ फ्रांस में चल रहे कट्टरपंथी इस्लामिक आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारतीयों को भड़काने का काम किया है।

गौरतलब है कि फ्रांस में कुछ सप्ताह पहले कट्टरपंथी द्वारा एक शिक्षक के गले को धड़ से अलग कर दिया गया था। जिसके बाद वहाँ के प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ जंग छेड़ दिया। भारत ने भी इस मामले में फ्रांस का समर्थन किया।

वहीं इस्लामी संगठन रज़ा अकादमी ने भी दुनिया भर के बाकी कट्टरपंथियों से प्रेरणा लेते हुए भारत में भी फ्रांस के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। बता दें तुर्की, पाकिस्तान, कतर जैसे इस्लामी देशों ने फ्रांस के खिलाफ दुनिया भर में बहिष्कार अभियान शुरू किया था।

बता दें रज़ा अकादमी ने शार्ली हेब्दो द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर कार्टून प्रदर्शित करने के लिए मजहबी देशों को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग की थी।

रज़ा अकादमी ने यह भी माँग की कि मजहबी देशों में सभी फ्रांसीसी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया जाए और फ्रांस के सभी राजदूतों को हाल की घटनाओं के बाद वापस भेज दिया जाए। इसने सोशल मीडिया पर लोगों से हैशटैग ‘मैक्रों द डेविल’ और ‘हुज़ूर की मोहब्बत में’ लिख कर पोस्ट करने का आग्रह भी किया।

चौंकाने वाली बात यह है कि रज़ा एकेडमी ने मुंबई में मजहबी प्रदर्शनकारियों की हरकतों को सही ठहराया था, जिन लोगों ने शहर की सड़कों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति की तस्वीरें लगा रखी थीं। ताकि लोग उस पर चल कर अपना विरोध दर्ज करें।

कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन रज़ा अकादमी के मौलाना अब्बास रिज़वी ने कहा कि उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति के विरोध में इमैनुएल मैक्रों के पोस्टर को जूते से माला पहनाने की कार्रवाई का समर्थन किया है। मौलाना अब्बास रिज़वी ने कहा, “इमैनुएल मैक्रों द्वारा किया गया अपमान निंदनीय है और वह कड़ी सजा के हकदार हैं।”

उल्लेखनीय है कि रज़ा अकादमी उन कुख्यात कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों में से एक रही है जिसने पहले भी देश की सड़कों पर हिंसा भड़काई है।

रज़ा अकादमी ने अगस्त 2011 में असम और म्यांमार में समुदाय वालों पर कथित अत्याचारों के विरोध में आज़ाद मैदान में मोर्चा संभाला था, जो बाद में दंगे में बदल गया। एक कुख्यात समूह द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमला करने के बाद विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसमें दो व्यक्ति मारे गए और 58 पुलिसकर्मियों सहित 63 लोग घायल हो गए थे।

रज़ा अकादमी ने मुम्बई की सड़कों पर भी हिंसक प्रदर्शन किया था। वहीं आजाद मैदान में सबसे चौंकाने वाली घटना मजहबी लोगों द्वारा अमर जवान ज्योति स्मारक का अपमान था। युद्ध स्मारक 1857 के सेनानियों को समर्पित है – प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम। दंगों के कारण विभिन्न सार्वजनिक संपत्तियों को लगभग 2.72 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

इस संगठन ने पैगम्बर मोहम्मद पर बनी एक फ़िल्म पर भी काफी बवाल मचाया था। साथ ही इस्लामिक संगठन ने फिल्म के संगीतकार एआर रहमान और ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी के खिलाफ 2015 में फतवा भी जारी किया था।

रिपब्लिक के खिलाफ भी दर्ज कराया था एफआईआर

इसी रज़ा अकादमी ने रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें संगठन ने ’सांप्रदायिक घृणा’ फैलाने का आरोप लगाया था। जबकि वे पालघर की भीड़ द्वारा दो साधुओं की हत्या के बारे में बता रहे थे।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में रज़ा अकादमी का प्रतिनिधित्व किया था, जब अर्नब गोस्वामी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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