एक विवादास्पद कदम उठाते हुए माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने कुख्यात कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ट्विटर हैंडल को सत्यापित करते हुए ब्लू मार्क दे दिया है।
शनिवार को सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ट्विटर इंक, जो भारतीय कानूनों की लड़ाई में पहले ही फँसी हुई है, ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस को बढ़ाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कर्नाटक इकाई के ट्विटर हैंडल को ‘सत्यापित’ करने का फैसला किया।
16 हजार से अधिक फॉलोवर वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की कर्नाटक इकाई के हैंडल को अब ट्विटर द्वारा ‘ब्लू टिक’ दे दिया गया है।
गौरतलब है कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने और देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार (15 जून 2021) को आयकर विभाग ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का 80जी पंजीकरण रद्द कर दिया है। आयकर विभाग ने कहा कि यह इस्लामिक संगठन विभिनन्न समुदायों के बीच ‘सद्भावना’ और ‘भाईचारे’ को खत्म कर रहा है।
पिछले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सीएए विरोधी दंगों के दौरान पीएफआई सदस्यों द्वारा की गई हिंसा के कारण पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी। पीएफआई के सदस्यों को अक्सर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया गया है, जिनमें सांप्रदायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हत्या करना भी शामिल है।
वहीं, फरवरी में केरल के चेलारी में पीएफआई ने अपने स्थापना दिवस पर रैली निकाली थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। वीडियो में परेड के दौरान आरएसएस की वेश-भूषा वाले कुछ युवकों को जंजीरों से जकड़ा हुआ दिखाया गया था। इसके अलावा अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह जैसे इस्लामिक नारे लगाए जा रहे थे।
कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का हिंसा फैलाने का इतिहास
पीएफआई का हिंसा फैलाने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान पीएफआई की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। साथ ही, पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा, पिछले साल नवंबर में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगे और हिंसा उकसाने के आरोपित किसानों के सरकार विरोधी प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था। उसने प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।
पीएफआई और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट ने कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।