सोशल मीडिया पर मुस्लिम ये सर्च करने में लगे हुए हैं कि इस्लाम का वर्तमान खलीफा कौन है। जब आप गूगल (Google) करेंगे ‘Present Caliph Of Islam’, तो मिर्जा मसरूर अहमद (Mirza Masroor Ahmad) का नाम दिखाता है। बताया जाता है कि वो मसीहा आमिर-उल-मूमिनीन के खलीफा हैं और अप्रैल 22, 2003 से वो इस पद पर हैं। लेकिन, यहाँ ट्विस्ट ये है कि वो अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और इसीलिए दुनिया भर के कई मुस्लिमों ने नाराजगी जताई।
Present Caliph Of Islam (इस्लाम का वर्तमान खलीफा): मुस्लिमों ने क्यों जताई Google से नाराजगी?
वो सोशल मीडिया पर ये भी शेयर कर रहे हैं कि गूगल सर्च (Google Search) का बॉयकॉट किया जाए, क्योंकि अहमदिया समुदाय से कोई व्यक्ति पूरे मुस्लिम समाज का खलीफा नहीं हो सकता। गूगल सर्च बता रहा है कि गुलाम अहमद के मौत के बाद मिर्जा मसरूर अहमद को 5वाँ खलीफा बनाया गया। गूगल इस सर्च रिजल्ट को विकिपीडिया से लेकर दिखाता है। खिलाफत के नेता को ही खलीफा कहते हैं, जिसकी बात पूरा मुस्लिम समाज मानता है, लेकिन अभी इस्लाम के खलीफाओं को लेकर विवाद है।
Qadiyyanis don’t belong to Islam 。。
— Mrs Khan (@MrsKhan68104069) December 14, 2020
He is not Caliph of Islam
He is Ghustakh e Rasool
He is not Muslim
He is zandeek
He is kafir
He is murtad
Dont Call Them Ahmadies Also …
Ahmad is The Name Of Our Prophet Muhammad ( P.B.U.H )#قادیانی_خلیفہ_نہیں_کافرہے _ pic.twitter.com/yQULkxyAey
1889 में प्रमुखता से उभरने वाले अहमदिया समुदाय के साथ शुरू से भेदभाव होता रहा है और मुस्लिम लोग कभी-कभी इस समुदाय को मुस्लिम भी मानने से इनकार कर देते हैं। ऑर्थोडॉक्स मुस्लिम मानते हैं कि पैगम्बर मुहम्मद और कुरान शरीफ के अलावा उसके बाद आने वाले किसी अन्य को अल्लाह का पैगम्बर नहीं माना जा सकता है। सुन्नी और शिया, ये दोनों ही अहमदिया समुदाय के लोगों से इत्तिफाक नहीं रखते हैं।
He is not caliph of islam
— M4RY4M_4y35h4 (@M4RY4M_4y35h4) December 14, 2020
Please report this on Google feed back section.#قادیانی_خلیفہ_نہیں_کافرہے pic.twitter.com/4jKf5PmEZk
सोशल मीडिया पर मुस्लिम लिख रहे हैं कि मिर्जा मसरूर अहमद इस्लाम के खलीफा नहीं हैं। साथ ही मौलवी लोग भी मुस्लिमों को इस ‘भ्रामक तथ्य’ से बचने की सलाह दे रहे हैं। कई मुस्लिम तो मिर्जा मसूर अहमद को ‘गुस्ताख-ए-रसूल’ और ‘काफिर’ भी बता रहे हैं। मुस्लिमों ने कहा कि मिर्जा का इस्लाम से कोई लेना देना ही नहीं है, इसीलिए गूगल जल्दी से ये सर्च रिजल्ट्स हटाए। वहीं अहमदिया समुदाय के लोग इसे सही मान रहे हैं।
फ़िलहाल मलेशिया, तुर्की और पाकिस्तान जैसे इस्लामी मुल्क हैं जो कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देते हुए खुद के खलीफा बनने का ख्वाब देख रहे हैं। इस वर्ष की शुरुआत में ही पाकिस्तानी सीनेट के पूर्व चेयरमैन मियॉं राजा रब्बानी ने तो यहॉं तक कह दिया था कि ‘इस्लामिक उम्माह का बुलबुला फट गया है’ और पाकिस्तान को उम्माह के साथ रिश्तों पर फिर से विचार करना चाहिए। फ़िलहाल पाकिस्तान इस मामले में तुर्की का पिट्ठू बना हुआ है।