Saturday, July 27, 2024

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अध्यात्म

केदारनाथ धाम में ढोल-ताशा परंपरा या फिर रीलबाजी?

आप दक्षिण भारत को देख लीजिए, जहाँ हर मंदिर के कुछ नियम-कानून हैं और आपको उसका अनुसरण करना पड़ता है। तमाम मंदिरों के अपने ड्रेस कोड भी हैं, प्रधानमंत्री या उनके सुरक्षाकर्मी भी जाते हैं तो उन्हें इसका पालन करना पड़ता है।

‘Jailer’ ने 3 दिन में बटोरे ₹220 करोड़, उधर बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुँचे सुपरस्टार रजनीकांत: आश्रम में साधकों से संवाद, सत्संग...

सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म 'जेलर' ने मात्र 3 दिनों में 220 करोड़ रुपए कमा लिए हैं। उधर वो हिमालय पर साधना में व्यस्त हैं। बद्रीनाथ मंदिर में भी किया दर्शन।

ईश्वर के स्त्री रूप को समर्पित नवरात्रि: दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती स्त्री-शक्ति के तीन आयाम, जानिए क्या है इसका आध्यात्मिक पक्ष

नवरात्रि क्या है? मनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? क्यों है ये आदि सनातन परम्परा का वाहक? कुछ तो होगा इस उत्सव धर्मिता के पीछे का रहस्य?

भगवद्गीता में छिपा है जीवन का सार, स्कूल में बच्चों को पढ़ाई जानी चाहिए: ‘नागिन’ फेम मौनी रॉय

टीवी सीरियल 'नागिन' से प्रसिद्ध हुईं अभिनेत्री मौनी रॉय का कहना है कि स्कूलों में बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जानी चाहिए।

महाशिवरात्रि: शून्यता के उस शिखर को छू लेने की परमरात्रि जहाँ से उद्घाटित होता है शिव तत्व

आधुनिक विज्ञान ने भी साबित कर दिया है कि सब कुछ शून्य से ही उपजा है और शून्य में ही विलीन हो जाता है। इसी संदर्भ में...

कौन हैं हिमालय पर विचरने वाले चिरयुवा अमर योगी?: सुपरस्टार रजनीकांत भी हैं जिनके शिष्य, सैकड़ों वर्षों में कुछ ही को दिया दर्शन

कौन है वो हिमालय पर विचरने वाला लंबे बालों वाला चिरयुवा योगी, जिसका दर्शन कुछेक लोगों को ही हुआ है? कहते हैं, वो इस कल्प की समाप्ति तक पृथ्वी पर ही रहेंगे।

हर रात अपनी माँ को जगत जननी के नाम से खत लिखते थे पीएम मोदी: ‘Letters to Mother’ के रूप में प्रकाशित हुए वो...

जून माह में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की रिलीज हुई किताब 'Letters to Mother' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देवी माँ के प्रति आस्था से रूबरू करवाती है।

बिहार का वो शहर जहॉं पहली बार सीता ने की थी छठ पूजा, आज भी मौजूद हैं चरणों के निशान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सीता ने पहली बार छठ पूजा बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर की थी। इसके प्रमाण स्वरूप आज भी यहॉं अर्घ्य देते उनके चरण चिह्न मौजूद हैं।

12-24-36 घंटे का निर्जला व्रत है छठ: नहाय-खाय के साथ आज शुरू हुआ धार्मिक आस्था का महापर्व

चैती छठ में खासा धूम-धाम देखने को नहीं मिलता है। जबकि कार्तिक छठ में ज्यादा चहल-पहल होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कम ही व्रती चैती छठ करते हैं। गरमी के कारण कार्तिक छठ से ज्यादा मुश्किल होता है चैती छठ करना।

धार्मिक स्थलों और मंदिरों का प्रबंधन क्यों कर रहे सरकारी अधिकारी: SC

“यह नजरिए का मामला है। मैं नहीं जानता कि मंदिरों का प्रबंधन सरकारी अधिकारियों को क्यों करना चाहिए? तमिलनाडु में मूर्तियों की चोरियाँ हो रही हैं। धार्मिक भावनाओं के अलावा ये मूर्तियाँ अनमोल हैं।”

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