Wednesday, September 11, 2024
Homeदेश-समाजहर रात अपनी माँ को जगत जननी के नाम से खत लिखते थे पीएम...

हर रात अपनी माँ को जगत जननी के नाम से खत लिखते थे पीएम मोदी: ‘Letters to Mother’ के रूप में प्रकाशित हुए वो पत्र

17 साल की उम्र में पीएम मोदी घर संसार के बंधनों से मुक्त होकर हिमालय पर साधना के लिए चले गए थे। मोदी ने एक बार इसको लेकर कहा था, "मैं अनिर्दिष्ट और अस्पष्ट था। मुझे नहीं पता था कि मैं कहाँ जाना चाहता था, मैं क्या करना चाहता था और क्यों करना चाहता था। लेकिन मुझे इतना पता था कि मैं कुछ करना चाहता था।"

अपने परिवार से सामाजिक नाता तोड़ने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के एक पुत्र बन कर रहे हैं। इसलिए अपने युवावस्था में, जब वे पत्र लिखने के लिए बैठते थे, तो वो इसे ‘जगत जननी’ या ‘देवी माँ’ को संबोधित करते थे।

वह शख्स, जिसे आज देश का सबसे ताकतवर पद हासिल है, उनका बचपन काफी दुष्कर रहा है। 17 साल की उम्र में पीएम मोदी घर संसार के बंधनों से मुक्त होकर हिमालय पर साधना के लिए चले गए थे। मोदी ने एक बार इसको लेकर कहा था, “मैं अनिर्दिष्ट और अस्पष्ट था। मुझे नहीं पता था कि मैं कहाँ जाना चाहता था, मैं क्या करना चाहता था और क्यों करना चाहता था। लेकिन मुझे इतना पता था कि मैं कुछ करना चाहता था।”

प्रधानमंत्री 1971 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए। माँ के प्रति पीएम मोदी की श्रद्धा, प्रेम और आस्था के बारे में पूरी दुनिया जानती है। जून माह में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की रिलीज हुई किताब ‘Letters to Mother’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देवी माँ के प्रति आस्था से रूबरू करवाती है। फिल्म समीक्षक भावना सोमाया मे इस किताब का ट्रांसलेशन किया है। यह 2014 में मूल गुजराती पुस्तक ‘Saakshi Bhaav’ का अंग्रेजी अनुवाद है। हार्परकॉलिंस इंडिया ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। 

प्रधानमंत्री मोदी युवा काल में रोज अपनी माँ को जगत जननी के नाम से पत्र लिखकर सोते थे। प्रधानमंत्री मोदी रोज अपनी सोच और भावनाओं को डायरी के पत्रों में उकेरते थे। उन्हें प्रतिदिन पत्र लिखने की आदत हो गई थी। वे इन पत्रों को गुजराती भाषा में लिखते थे। 

युवा नरेंद्र मोदी जो डायरी लिखते थे, हर 6-8 महीनों में उन पन्नों को जला देते थे। एक दिन एक प्रचारक ने उसे ऐसा करते हुए देखा और उन्हें ऐसा करने से मना किया, बाद में इन पत्रों ने एक पुस्तक का रूप ले लिया। यह 1986 की उनकी लिखी डायरी के बचे हुए पन्ने हैं। 

मोदी ने किताब के बारे में कहा है, “यह साहित्यिक लेखन में एक प्रयास नहीं है, इस पुस्तक में पेश किए गए अंश मेरे अवलोकन और कभी-कभी अपरिवर्तित विचारों के प्रतिबिंब हैं, जो बिना किसी परिवर्तन के व्यक्त किए गए हैं। मैं लेखक नहीं हूँ, हम में से अधिकांश नहीं हैं, लेकिन हर कोई अभिव्यक्ति चाहता है, और जब इसे जाहिर करने का आग्रह प्रबल हो जाता है, तो कलम और कागज के अलावा कोई विकल्प नहीं होता, जरूरी नहीं कि लिखना हो लेकिन आत्मचिंतन करने और दिल व दिमाग में क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है, इसके लिए करना होता है।”

2017 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली और सिनेमा पर कई किताबें लिख चुकीं भावना सोमाया ने कहा कि मेरे विचार से, एक लेखक के रूप में नरेंद्र मोदी की ताकत उनका भावनात्मक हिस्सा है।

पुस्तक की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं, 

“माँ मुझे शंकाओं से मुक्त कर दो,

निराशाओं

भय और चिंताओं से

विजय और पराजयों से

नुकसान से, संपत्ति से

मुझे सदा के लिए मुक्त कर दो।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जब मैं 36 साल का था तब जगत जननी माँ के साथ मेरे संवाद का एक संकलन है साक्षी भाव। यह पाठक को मेरे साथ जोड़ता है और पाठक को न केवल समाचार पत्रों के द्वारा, बल्कि मेरे शब्दों के द्वारा मुझे जानने में सक्षम करता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘अजान से 5 मिनट पहले बंद करो पूजा-पाठ, वरना जाओ जेल’: बांग्लादेश में दुर्गा पूजा से पहले हिन्दुओं को सरकार का फरमान, कहा –...

बांग्लादेश में नई सरकार ने अपने राष्ट्रगान को भारत द्वारा थोपा बताते हुए हिन्दुओं को अज़ान से 5 मिनट पहले पूजा-पाठ बंद करने का फरमान सुनाया।

‘सनातनियों की सुनेंगे, सनातनियों को चुनेंगे’: 2 दिन में कॉन्ग्रेस में शामिल होने के फैसले से पलटे भजन गायक कन्हैया मित्तल, लोगों से माँगी...

उन्होंने गलती का एहसास करवाने के लिए लोगों को धन्यवाद किया और आशा जताई है कि उनसे सब ऐसे ही जुड़े रहेंगे। बोले - "मैं नहीं चाहता कि किसी भी सनातनी का भरोसा टूटे।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -