जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद के 115 दिनों में जिहादियों ने 88 घटनाओं को अंजाम दिया। यह संख्या 370 हटने के पहले के 115 दिनों (12 अप्रैल, 2019 से 4 अगस्त, 2019 तक) में हुई ऐसी ही 106 घटनाओं के मुकाबले 17% कम है।
जॉंच एजेंसी ने कहा कि संदिग्धों से इस मामले में दो आरोपियों से उनके संबंधों के बारे में पता लगाने के लिए पूछताछ की जा रही है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या वे आईएस की किसी गतिविधि में शामिल हैं।
अक्टूबर में, एक आतंकी को टीवी समाचार रिपोर्ट में सीरियाई नरकहोल जेल की फ़र्श पर धमाके करते देखा गया था। उसे उसके माता-पिता ने भी देखा था। जैक लेट्स नाम के इस शख़्स का फुटेज भी सामने आया था, जिसमें उसने ख़ुद को "ब्रिटेन का दुश्मन" घोषित कर दिया था।
केरल से युवाओं को आईएस में भेजने वाले अब्दुल्ला ने बड़ी ही चालाकी से अन्य सम्प्रदाय और विचार के लोगों का धर्मांतरण करवाया और फिर उन्हें अपने साथ अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रान्त में ले गया। यहाँ तक की उसकी पत्नी सोनिया खुद शादी से पहले ईसाई थी, जिसका नाम बाद में आयशा रख दिया।
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के कार्यवाहक निदेशक, राष्ट्रीय ख़ुफ़िया विभाग के निदेशक रसेल ट्रैवर्स के अनुसार, ISIS-K दक्षिण एशिया में संचालित होता है। ISIS-K अमेरिका के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
इशारा साफ़ था, हमारी हैसियत बन्दूक खरीदने की है, हमने चाहा तो पत्रकारों को मार देंगे। इससे पहले भी लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देने वाले जेएनयू के छात्रों ने रिपब्लिक भारत के मीडियाकर्मियों से काफी बदतमीजी की थी।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के मुताबिक इस संगठन की गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए जाने की ज़रूरत है। अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो इस संगठन को हथियारबंद होकर पैर-पसारते देर नहीं लगेगी।
सलाहुद्दीन ने कहा कि कश्मीरियों को 'दासता' से मुक्त कराने के लिए अब मजबूत क़दम उठाने का समय आ गया है। उसने कहा कि अगर इसमें कोई भी दिक्कत आती है तो जम्मू कश्मीर में 8 साल के बच्चों से लेकर 80 साल के बूढ़ों तक, सभी को हथियार थमाया जाना चाहिए।
जिन खालिस्तानी आतंकियों को गिरफ़्तार किया गया है, उन्हें पंजाब में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विदेश से फंड मिल रहे थे। हिंदुवादी नेताओं की हत्या सहित किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश दोनों रच रहे थे।