"मेरे पिता का अपहरण कर पाकिस्तान उन महिलाओं को आतंकित करने की कोशिश कर रहा है, जिन्होंने मेरे पिता का समर्थन किया और पाकिस्तान से असहमति जताई। अब पाकिस्तान ऐसे लोगों को आतंक के नाम पर डराने की कोशिश कर रहा है।"
26,629 ग्राम स्तर पर पंच और सरपंच पदों पर आसीन उम्मीदवार BDC के अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी के योग्य पाए गए हैं। इनमें एक-तिहाई से ज़रा ही कम (8,313) अनुपात महिलाओं का है।
धमाके के वक्त मस्जिद में करीब 350 लोग थे। चश्मदीदों ने मस्जिद की छत गिरने से पहले एक बड़ा धमाका सुना। स्थानीय पुलिस अधिकारी तेज़ाब ख़ान ने बताया कि मौलवी अजान पढ़ रहे थे और फिर अचानक एक धमाके के बाद उनकी आवाज बंद हो गई।
ज़्यादा संभावना इस बात की है कि पुलिस को मामले में किसी भी 'एंगल' के सबूत अब तक न मिले हों, जिसमें कोई आश्चर्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हत्या को अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं। ऐसे में सबूत न मिलने को बहुत सम्भव है कि मीडिया में क्लीन चिट मिलने के रूप में दिखाया जा रहा है।
एडीजी ने बताया, "यह जोड़ी दूसरे देशों से अपने बैंक खातों में पैसा ट्रान्सफर करती थी और बाद में इसे वापस ले लेती थी। फ़हीम इस पैसे को आतंकी गतिविधियों के लिए दिल्ली ले गया था।"
सरकार की दिल जीतने की कोशिशों को शांतिदूतों का यह 'करारा जवाब' है। पिछले ही महीने सरकार ने सेब उत्पादकों को सही मूल्य दिलाने के लिए योजना शुरू की थी- यह राज्य में पहली ऐसी योजना है।
डोभाल ने मीडिया के बारे में कहा, "जब हम नहीं बताते हैं, तो मीडिया अटकलबाज़ी करने लगता है।" उन्होंने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को मीडिया के इस्तेमाल में सक्रिय होने के लिए कहा।
पाकिस्तान को इस मामले में चीन, तुर्की और मलेशिया से मदद की आस थी। पिछली बार उसे ब्लैकलिस्ट होने से इन्हीं तीन मुल्कों ने बचाया था। लेकिन, इस बार ये तीनों देश भी उससे किनारा करते नजर आ रहे हैं।
गिरफ्तार किए गए लोग छह फीसदी कमीशन पर इस काम को अंजाम देते थे। मुमताज, सिराज़ुद्दीन और सदाक़त अली के इशारे पर वे काम करते थे। वे पैसा लाकर बरेली के फ़ईम और सदाकत को देते थे। दोनों पैसा दिल्ली पहुँचाते थे।