प्रणव एआई 161 फ्लाइट से लंदन रवाना होने वाला था। लखनऊ के अंसल टाउनशिप घोटाले में उसके पिता सुशील अंसल सहित तीन अन्य निदेशकों के गिरफ़्तारी की क़वायद लखनऊ पुलिस की ओर से पहले से ही शुरू कर दी गई थी।
महाराष्ट्र के पूर्व उप-मुख़्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने अंतःकरण की आवाज़ सुन कर इस्तीफा दिया है क्योंकि उनके चाचा शरद पवार का नाम इस घोटाले में घसीटा जा रहा है। 25,000 करोड़ रुपए के घोटाले में ईडी ने शरद और अजित के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।
बताया जाता है कि शरद पवार बेटी सुप्रिया सुले को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। सालों से पार्टी में निर्णायक भूमिका में रहे भतीजे अजित ने उन्हें बताए बिना विधायकी छोड़ दी है। एनसीपी नेताओं के अनुसार जिस तरीके से पार्टी चलाई जा रही है उससे अजित नाखुश हैं।
एमएससीबी को 2007 और 2011 के बीच 1000 एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसको लेकर सामाजिक कायर्कर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ‘ठोस साक्ष्य’ हैं।
जलगाँव के पूर्व नगर आयुक्त प्रवीण गेडाम ने फरवरी 2006 में इस संबंध में शिकायत दर्ज की थी। जलगाँव के बाहरी इलाके में बनाए जाने वाले 5,000 घरों में से केवल 1,500 घरों का ही निर्माण पूरा हो पाया था। फैसला सुनाने के बाद सभी आरोपितों को हिरासत में ले लिया गया।
रतुल पुरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी निदेशालय पर आरोप लगाए थे कि उनका मुवक्किल पूरे मामले की जाँच में सहयोग करने को तैयार है। लेकिन एजेंसी का बर्ताव कानूनी दुर्भावना और प्रतिशोध से भरा हुआ है।
डीएसके ग्रुप धोखाधड़ी मामले में अब तक 15 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जा चुका है। इनमें से 10 आरोपितों को अलग-अलग समय पर गिरफ़्तार कर उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है।
IAS विजय शंकर से पहले सहायक कमिश्नर एलजी नागराज और एक ग्रामीण अकॉउंटेंट मंजूनाथ को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों पर मंसूर खान से 4.5 करोड़ रुपए लेकर क्लीनचिट देने का आरोप है। इनके अलावा एक पार्षद और बंगलुरू विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।
UPA की सरकार के दौरान जनवरी 2007 में आरोपितों ने मध्य प्रदेश में कोल ब्लॉक का अधिकार पाने के लिए स्क्रीनिंग कमिटी के समक्ष गलत तथ्य दिए थे। गलत तरीके से लाभ पाने के कारण कोयला मंत्रालय को धोखे में रखा था, जिसके कारण कोल आवंटन मामले इन आरोपितों के नाम की सिफ़ारिश की गई है।
कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल के करीबी माने जाने वाले संदेसरा ब्रदर्स ने फर्जी कंपनियाँ बनाकर कई बैंकों को करीब ₹14,500 करोड़ का चूना लगाया। जबकि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी बैंक में ₹11,400 करोड़ का घोटाला किया था।